दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के जिस नीलावाया गांव की सड़क जवानों और कैमरामैन के खून से रक्तरंजित हुई, उसी गांव में 20 साल बाद मतदान केंद्र खुलने जा रहा है। अब तक नीलावाया के ग्रामीणों को छह किलोमीटर दूर माड़ेंदा के मतदान केंद्र पर वोट डालना पड़ता था।
बताया गया है कि इस बार नीलावाया में रेवाली, पुजारी पाल और नीलावाया के 803 मतदाताओं के लिए बूथ बनाने की तैयारी चल रही है। इससे पहले नीलावाया समेत इन तीनों गांवों के ग्रामीणों को भी वोट डालने माड़ेंदा जाना पड़ता था। गांव से दूरी ज्यादा होने की वजह से ग्रामीण वोट देने नहीं निकलते थे। पिछले दो विधानसभा चुनाव में से वर्ष 2008 के चुनाव में यहां मतदान प्रतिशत शून्य रहा। इसके बाद 2013 के चुनाव में सिर्फ 6 मत पड़े थे।
कम मतदान के कारण इस बार फिर से नीलावाया में ही पोलिंग बूथ बनाने की तैयारी चल रही है। पोलिंग बूथ बनाने के बाद ही नक्सलियों ने गांव के राशन दुकान और स्कूल की दीवार पर चुनाव बहिष्कार के नारे लिख दिए थे। यह भी चौंकाने वाली बात है कि जिस नीलावाया सड़क पर यह नक्सली हमला हुआ, उसी सड़क के चौड़ीकरण का विरोध गांव वाले पेड़ों के कटने और खेतों के खराब होने के कारण कर रहे थे। इस सड़क के चौड़ीकरण को रोकने की मांग को लेकर 4 ग्राम पंचायतों के हजारों लोगों ने कुछ दिन पहले रैली भी निकाली थी।
नीलावाया घटना के बाद पोटाली में लगने वाला साप्ताहिक बाजार भी नहीं लगा। व्यापारी पोटाली बाजार इसी सड़क से जाते हैं, जो दहशत के चलते नहीं आए। इस इलाके में हुई दो बड़ी वारदातों के बाद राजनीतिक दल के लोग पालनार तक भी जाने से कतरा रहे हैं। घटना से पहले बड़ी संख्या में नक्सलियों के यहां जमावड़े की खबर पुलिस तक नहीं पहुंची। नीलावाया से लगे गांव पोटाली, बुरगुम में लगातार नक्सलियों की आमद की खबरें भी किसी न किसी माध्यम से बाहर आ रही थीं, फिर भी सतर्कता नहीं बरती। (वार्ता)