कुरुद में विकास व जाति की लड़ाई

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- भोलाराम सिन्हा
कुरुद विधानसभा सीट पर रमन मंत्रिमंडल के दिग्गज मंत्री अजय चंद्राकर को इस बार कड़ी चुनौती मिल रही है। कांग्रेस ने नया चेहरा साहू समाज के लेखराम साहू को मैदान में उतारकर चंद्राकर की हैट्रिक के रास्ते में रोड़ा अटकाने का प्रयास किया है। चंद्राकर रास्ता बनाने के लिए जी-जान से जुटे हैं। वहाँ विकास बनाम भ्रष्टाचार का मुद्दा छाया हुआ है। इसके साथ ही जातिवाद भी हावी होता नजर आ रहा है।

भाजपा प्रत्याशी चंद्राकर तीसरी बार मैदान में उतरे हैं। उन्होंने पिछले दो चुनावों में कांग्रेस की दीपा साहू को हराया था। इस चुनाव में पहली बार मंत्री की हैसियत से चुनाव लड़ रहे हैं, इसलिए उनके खिलाफ कई मुद्दे खड़े हो गए हैं। कांग्रेस का आरोप है कि विकास के नाम पर भारी भ्रष्टाचार हुआ है। दूसरी ओर उनके कार्यकर्ता मानते हैं कि आरोपों पर विकास कार्य भारी पड़ रहे हैं। क्षेत्र में काफी विकास कार्य हुए हैं। हर गाँव में सड़कें, स्कूल, पंचायत व सामुदायिक भवन का निर्माण कराया गया है। कुरुद का भी कायाकल्प हो गया है। इनमें नवोदय विद्यालय, सिविल कोर्ट, मंडी, आईटीआई, विश्रामगृह भवन आदि उल्लेखनीय है।

ज्यादा उत्सुकता लोगों में भखारा क्षेत्र के 40 गाँवों को लेकर है। कांग्रेस प्रत्याशी लेखराम साहू वहीं के निवासीहैं। कुरुद व मेघा क्षेत्र के लोग उनसे ज्यादा परिचित नहीं हैं, लेकिन भखारा क्षेत्र के सिलौटी गृहग्राम होने के कारण पलड़ा भारी हो सकता है। यह उनका पहला विधानसभा चुनाव है। वे किसान के साथ व्यवसायी भी हैं। कुरुद साहू बहुल क्षेत्र है। वे साहू समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष होने के साथ जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं।

साहूवाद का फैक्टर भी असर दिखा सकता है, लेकिन पूर्व विधायक दीपा साहू की बेटी राखी साहू कांग्रेस प्रत्याशी को मात देने मैदान में कूद गई हैं। हालाँकि उनका प्रभाव सिर्फ मेघा क्षेत्र के कुछ गाँवों में ही है। इनके अलावा चार लोग कांग्र्रेस प्रत्याशी के हमनाम वाले हैं। कहा जा रहा है भाजपा प्रत्याशी ने कांग्रेस के वोट काटने उन्हें खड़े किए हैं। गाँवों में भाजपा के बैनर-पोस्टर ज्यादा नजर आ रहे हैं।

पिछले चुनाव में भखारा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी को बढ़त मिली थी, लेकिन इस बार परिस्थितियाँ बदल गई हैं। यह क्षेत्र परंपरागत रूप से कांग्रेसी गढ़ माना जाता है। परिसीमन के बाद चंद्राकर यहाँ सक्रिय हुए और भखारा क्षेत्र में भी विकास के कार्य करवाए। यहाँ मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की सभा हो चुकी है। लोग चाहते हैं कि कुरुद की तरह ही इस क्षेत्र का भी विकास हो। इससे चंद्राकर के समर्थक उत्साहित हैं।

पक्ष में माहौल बनता दिख रहा है। चंद्राकर खुद प्रचार के दौरान विकास और सरकार की उपलब्धियों को गिना रहे हैं। वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी भ्रष्टाचार को उछाल रहे हैं। कांग्रेस की तरफ पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की कुरुद में सभा हो चुकी है। बसपा से राजेंद्र साहू मैदान में दाँव खेल रहे हैं, जो कांग्रेस व भाजपा के वोट बैंक पर सेंधमारी कर सकते हैं। हालाँकि वे मुकाबले से बाहर हैं। इनके अलावा दस अन्य प्रत्याशी हैं, जो सिर्फ उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।

परिसीमन में मगरलोड क्षेत्र के 93 गाँव कुरुद क्षेत्र से अलग होकर सिहावा क्षेत्र में जुड़ गए हैं। भखारा क्षेत्र के 40 गाँव धमतरी विधानसभा से अलग होकर कुरुद विधानसभा में आ गए हैं। गांवों के जुड़ने व कटने से क्षेत्र में राजनीतिक समीकरण बदल गया है। चंद्राकर को कुरुद से ही बढ़त मिलती रही है। मगरलोड क्षेत्र से वे पिछड़ते रहे हैं, जो अब सिहावा क्षेत्र में चला गया है। मात्र दो दर्जन गाँव बचे, जहाँ चकाचक सड़कें व अन्य विकास कार्य काफी हुए हैं, जिसका फायदा उन्हें चुनाव में मिलने की संभावना है।

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