चारों सीटों पर बराबर कांग्रेस-भाजपा

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रायपुर। मतगणना के दो दिन पहले पार्टी के सत्ता पर काबिज होने और राजधानी की चार सीट पर प्रत्याशियों की जीत-हार पर दाँव लग रहा है। शुक्रवार रात के बाद खाईवाले भाव लेना बंद कर देंगे। अब तक करोड़ों रुपए का दाँव लग चुका है।

छत्तीसगढ़ में तीसरी विधानसभा के लिए 20 नवम्बर को वोट डाले गए थे। मतदान के पहले से ही पार्टी की जीत-हार और उम्मीदवारों के जीतने-हारने को लेकर दाँव लगने लगे थे। वोटिंग के बाद जैसे-जैसे मतगणना का समय करीब आया, रुझान के हिसाब से पैसा लगाने वालों की संख्या में इजाफा हुआ। मतगणना के दो दिन पहले शुक्रवार को खाईवाले रात 12 बजे अपना कारोबार समेट लेंगे। उसके बाद कोई दाँव नहीं लगेगा। फिलहाल मार्केट में आधे अरब का सट्टा लग चुका है। राज्य में कौन सी पार्टी सत्ता पर काबिज होगी, इसे लेकर असंमजस की स्थिति है, जिसके चलते सट्टाबाजार में लोग पैसा लगाने से पहले सोच रहे हैं।

खाईवाले किसी भी पार्टी के सत्ता पर काबिज होने को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। वर्तमान में भाजपा का रेट 80 पैसा और कांग्रेस का भाव 1 रुपए 20 पैसा है। पिछले कई दिनों से खाईवाले इसी में अटके हुए हैं और बाजार बंद होने तक यहीं भाव दोनों पार्टियों का रहा। राजधानी की चार सीटों के लिए दोनों दलों के बीच काँटे की टक्कर है। दो सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी भारी हैं तो दो सीट पर भाजपा के उम्मीदवार बढ़त बनाए हुए हैं।

खाईवाले शुरू से ही चार सीटों में कांग्रेस और भाजपा को बराबर मानकर चल रहे हैं। वोटिंग के दो दिन पहले सट्टाबाजार में जो रेट खुला है, उसके हिसाब से रायपुर उत्तर विधानसभा सीट पर कांग्रेसी उम्मीदवार कुलदीप जुनेजा भाजपा प्रत्याशी सच्चिदानंद उपासने से आगे हैं। दक्षिण विस सीट पर बृजमोहन अग्रवाल को खाईवालों ने मजबूत मानते हुए बहुत कम भाव दिया है, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी योगेश तिवारी का रेट उनके मुकाबले कई गुना ज्यादा है।

पश्चिम विस सीट पर राजेश मूणत को कांग्रेस प्रत्याशी संतोष अग्रवाल के मुकाबले मजबूत मानते हुए सट्टेबाजों ने कम रेट दिया है। भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे वीरेन्द्र पांडे पर भी भाव दिया जा रहा है, हाँलाकि दोनों उम्मीदवारों की उपेक्षा वे कमजोर माने जा रहे हैं। ग्रामीण विस सीट पर भाजपा के नंदे साहू को खाईवाले ने कांग्रेसी प्रत्याशी सत्यनारायम शर्मा की अपेक्षा ज्यादा भाव दिया है। दोनों के रेट में आधे से ज्यादा का अंतर हैं।

तकनीकी खामी से सट्टेबाज परेशान - तीसरे विधानसभा के लिए हुए मतदान में सट्टेबाज तकनीकी खामी के कारण परेशानी में आ गए हैं। जीत-हार के लिए लगने वाले दाँव में उन्होंने भाव लेना पहले ही बंद कर दिया था, केवल स्थाई ग्राहकों से ही भाव लिए जा रहे थे। कांग्रेस ने राकांपा के साथ कुछ सीटों पर समझौता किया है, जिसकी वजह से वे रेट देने में कतरा रहे हैं। क्योंकि कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता और राकांपा से मदद लेकर सरकार बनाती है तो सट्टेबाज मुश्किल में पड़ सकते हैं। वहीं बसपा से भी मदद लेकर कांग्रेस सत्ता पर काबिज होती है तो खाईवालों को परेशानी होगी, जिसके कारण सट्टेबाज को जीत-हार पर दाँव लेने में मुश्किल हो रही है। (नईदुनिया)

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