छग विस चुनाव में किस्मत आजमा रहीं 85 महिलाएं

Webdunia
रविवार, 17 नवंबर 2013 (15:46 IST)
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रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कुल 85 महिलाएं अपनी किस्मत आजमा रही हैं और राज्य में सारंगढ़ एक ऐसी विधानसभा सीट है, जहां वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य के अस्तित्व में आने के बाद से मतदाताओं ने महिला उम्मीदवार पर ही भरोसा जताया है।

राज्य की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए हो रहे चुनाव के पहले चरण में 18 सीटों के लिए 11 नवंबर को वोट डाले गए थे। पहले चरण में कुल 143 उम्मीदवारों का राजनीतिक भविष्य इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में बंद हो गया। इनमें 10 महिला उम्मीदवार शामिल हैं।

अब दूसरे चरण में राज्य की 72 विधानसभा सीटों के लिए 19 नवंबर को मतदान होने वाला है। दूसरे चरण में 75 महिलाएं अपनी किस्मत आजमा रही हैं।

क्या रमन सिंह सरकार में महिलाओं को समुचित प्रतिनिधित्व का मौका नहीं मिल रहा, इस सवाल के जवाब में राज्य की मंत्री रहीं लता उसेंडी ने बताया कि ऐसा नहीं है। छत्तीसगढ़ एक पिछड़ा राज्य है, जो विकास की राह पर बढ़ रहा है। यहां हर वर्ग को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की गई है।

लता ने कहा कि छत्तीसगढ़ आदिवासी बहुल राज्य है और आदिवासियों में महिलाओं को पूरा महत्व दिया जाता है। टिकट वितरण में भी यह बात साफ है। छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण में जिन निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतदान होना है उनमें 9 सीटें अनुसूचित जाति के लिए और 17 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। यहां कुल मिलाकर 1 करोड़ 39 लाख 75 हजार मतदाता कुल 843 उम्मीदवारों के राजनीतिक भाग्य का फैसला करेंगे।

राज्य में 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में कुल 94 महिलाओं ने अपनी किस्मत आजमाई थी जिनमें से 11 को सफलता मिली थी, जबकि 2003 के विधानसभा चुनाव में 62 महिलाएं चुनावी मैदान में उतरी थीं जिनमें से 5 विजयी हुई थीं।

छत्तीसगढ़ में सारंगढ़ एक ऐसा विधानसभा क्षेत्र है, जहां छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद मतदाताओं ने महिला उम्मीदवार पर ही भरोसा जताया है।

राज्य निर्माण के बाद यहां के मतदाताओं ने पहली बार वर्ष 2003 में सभी पुरुष उम्मीदवारों को नकारते हुए बसपा की महिला उम्मीदवार कामदा जोलहे को जिताया था। वर्ष 2008 के चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवार पद्मा मनहर जीती थीं।

सारंगढ़ विधानसभा सीट में इस बार कांग्रेस ने पद्मा मनहर को फिर से टिकट दी है, वहीं भाजपा ने महिला उम्मीदवार केराबाई मनहर को अपना उम्मीदवार बनाया है। बसपा की ओर से कामदा जोलहे एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं।

कामदा ने कहा कि दावे तो बहुत किए जा रहे हैं लेकिन पिछड़ा वर्ग यहां आज भी पिछड़ा ही है। जब तक वह आगे नहीं बढ़ेगा, विकास कैसे होगा। पूर्व में भी सारंगढ़ क्षेत्र से महिलाओं ने जीत हासिल की है। इस सीट से नान्हूबाई चौहान पहली दलित महिला थी, जो अविभाजित मध्यप्रदेश में पहली बार 1957 में विधानसभा के लिए निर्वाचित हुई थीं।

पूर्व सारंगढ़ रियासत की राजकुमारी रजनीगंधा 1967 में कांग्रेस से रायगढ़ लोकसभा के लिए निर्वाचित पहली महिला सांसद बनी थीं। इसके बाद सारंगढ़ राजपरिवार की कमला देवी सिंह सरिया से लगातार 5 बार विधायक रहीं और मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री भी रहीं। (भाषा)

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