भारत के पहले प्रधानमंत्री नेहरू

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जन्म : 14 नवम्ब र, 1889
मृत्यु : 27 म ई, 1964

स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री और 6 बार कांग्रेस अध्यक्ष के पद को सुशोभित करने वाले (लाहौर 1929, लखनऊ 1936, फैजपुर 1937, दिल्ली 1951, हैदराबाद 1953 और कल्याणी 1954) पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म इलाहाबाद में हुआ।

हैरो और कैम्ब्रिज में पढ़ाई कर 1912 में नेहरूजी ने बार-एट-लॉ की उपाधि ग्रहण की और वे बार में बुलाए गए। 1942 के 'भारत छोड़ ो' आंदोलन में नेहरूजी 9 अगस् त, 42 को बंबई में गिरफ्तार हुए और अहमदनगर जेल में रह े, जहाँ से 15 जू न, 1945 को रिहा किए गए।

आजादी के पहले गठित अंतरिम सरकार में और आजादी के बाद 1947 में भारत के प्रधानमंत्री बने और 27 म ई, 1964 को उनके निधन तक इस पद पर बने रहे। नेहरू के कार्यकाल में लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूत करन ा, राष्ट्र और संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को स्थायी भाव प्रदान करना और योजनाओं के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को सुचारु करना उनके मुख्य उद्देश्य रहे।
'स्वाधीनता और स्वाधीनता की लड़ाई को चलाने के लिए की जाने वाली कार्रवाई का खास प्रस्ताव तो करीब-करीब एकमत से पास हो गया।... खास प्रस्ताव इत्तफाक से 31 दिसम्बर की आधी रात के घंटे की चोट के साथ, जबकि पिछला साल गुजरकर उसकी जगह नया साल आ रहा था, मंजूर हुआ।


पंडित नेहरू शुरू से ही गाँधीजी से प्रभावित रहे और 1912 में कांग्रेस से जुड़े। 1920 के प्रतापगढ़ के पहले किसान मोर्चे को संगठित करने का श्रेय उन्हीं को जाता है। 1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के विरोध में नेहरू घायल हुए और 1930 के नमक आंदोलन में गिरफ्तार हुए। उन्होंने 6 माह जेल काटी। 1935 में अलमोड़ा जेल में 'आत्मकथ ा' लिखी। उन्होंने कुल नौ बार जेल यात्राएँ की। उन्होंने विश्व भ्रमण किया और अंतरराष्ट्रीय नायक के रूप में पहचाने गए। नेहरू ने पंचशील का सिद्धांत प्रतिपादित किया और 1954 में 'भारत रत् न' से अलंकृत हुए नेहरूजी ने तटस्थ राष्ट्रों को संगठित किया और उनका नेतृत्व किया ।

' स्वाधीनता और स्वाधीनता की लड़ाई को चलाने के लिए की जाने वाली कार्रवाई का खास प्रस्ताव तो करीब-करीब एकमत से पास हो गया।... खास प्रस्ताव इत्तफाक से 31 दिसम्बर की आधी रात के घंटे की चोट के सा थ, जबकि पिछला साल गुजरकर उसकी जगह नया साल आ रहा थ ा, मंजूर हुआ ।' - लाहौर अधिवेशन में स्वतंत्रता प्रस्ताव पारित होने के बारे में नेहरू की 'मेरी कहान ी' से ।

' हम कोटि-कोटि कुटुम्बियों की और विश्व विशाल क ी,
सुख-शांति-चिंता थ ी, तुम्हारी सहचरी चिरकाल की।
तुम जागते थे रात में भ ी, जबकि सोते थे सभ ी,
जन-मात्र की सच्ची विजय ह ै, जय जवाहरलाल की ।'

मैथिलीशरण गुप्त की कविता 'ज य' से ।
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