वे अपने विरोधियों से सहमत होने से भी पीछे नहीं हटते थे

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- डॉ. रश्मिकांत व्या स

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पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉनसन के शब्दों मे ं, ' पं. नेहरू ने भारत के स्वाधीनता संघर्ष के लिए तथा संसार में स्थायी शांति स्थापित करने के लिए जो काम किय ा, उसका इतिहास में हमेशा उल्लेख रहेगा ।'

अपनी तटस्थ नीति से पं. नेहरू ने अनेक बार विश्व के अनेक देशों के युद्धों को रोका। विकासशील राष्ट्रों की शांति एवं प्रगति के लिए पंचशील तथा निरस्त्रीकरण जैसे मुद्दों को उठाया। वे सुखी-समृद्ध भारत का सपना देखते थे। उनकी शेरवानी में लगे गुलाब के फूलों में समृद्धि की सुहानी गंध और निर्माण की कोंपलें होती थीं। उनके सफल नेतृत्व ने स्वतंत्रता के बाद हमें उठत े, गिरत े, संभलते हुए प्रगति की राह पर बढ़ाया। उसी कारण विश्व उनका लोहा मानता है। अपनी नीति में यदि कुछ खामी होत ी, तो वे अपने विरोधियों से सहमत होने से भीपीछे नहीं हटते थे। वे प्रजातंत्र के सच्चे आराधक थे। उनका कहना था कि प्रजातंत्र का अर्थ ह ै, हमें हमारी सभी समस्याएँ आपस में सलाह-मशविरा करके एक-दूसरे का ख्याल करके हल करना है और अपने फैसले पर अमल भी करना है।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने पं. नेहरू के बारे में कहा था, 'वे अद्वितीय राजनीतिज्ञ थे। उनके जीवन एवं चिंतन का हमारे समाज एवं विकास पर बहुत बड़ा असर रहा। उनके सक्रिय एवं सार्वदेशिक नेतृत्व के बिना भारत के स्वरूप का चिंतन लगभग असंभव लगता है।'


नेहरूजी ने सर्वप्रथम प्राथमिकता दी खाद्य समस्या को। सिंचाई के लिए बड़े-बड़े बाँध बनवाए और जोर दिया नए वैज्ञानिक साधनों के अधिक से अधिक उपयोग और उनके प्रचार का। देश पर जब चीन और पाकिस्तान के आक्रमण हुए तब उन्हें देश की सुरक्षा के लिए बजट में सर्वाधिक प्राथमिकता देनी पड़ी। टैं क, हवाई जहाज आदि युद्ध सामग्री बनाने को प्राथमिकता देते हुए भी वे गरीब ी, बेकारी की समस्या से चिंतित थे। देश में अधिक छुट्टियों के वे पक्षधर नहीं थे। उन्होंने लोगों से कहा कि सभी बातों के लिए सरकार की ओर देखना गलत है। चीन और योरप के देशों का हवाला देते हुए वे कहते थे कि वहाँ के लोगों ने अपने बलबूते पर अन्य लोगों से मदद लेकर अस्पता ल, स्कूल आदि कई चीजें काफी मात्रा में बना ली हैं। इसीलिए वे तरक्की की दौड़ में हमसे आगे हो गए।

युवकों को राजनीति में लाने के वे पक्षधर नहीं थे। उनका कहना था कि राष्ट्रीय विकास के रचनात्मक कार्यों में युवकों को अपनी शक्ति लगानी चाहिए। उन्हें अपनी शक्ति पर भी अतिविश्वास नहीं था। इसीलिए वे स्पष्ट कहते थ े, ' आपने मुझे प्रधानमंत्री बना दिया। कई जवाहरलाल आएँग े, चले जाएँगे। यदि करोड़ों लोगों को आजादी का सही लाभ नहीं मिलता तो हमारी आजादी अधूरी है ।'

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने पं. नेहरू के बारे में कहा थ ा, ' वे अद्वितीय राजनीतिज्ञ थे। उनके जीवन एवं चिंतन का हमारे समाज एवं विकास पर बहुत बड़ा असर रहा। उनके सक्रिय एवं सार्वदेशिक नेतृत्व के बिना भारत के स्वरूप का चिंतन लगभग असंभव लगता है ।'
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