पाम संडे दक्षिण भारत में प्रमुखता से मनाया जाता है। इसे 'पैसन संडे' भी कहा जाता है। पाम संडे यानी खजूर रविवार को ईसाई धर्म के अनुयायियों के प्रमुख त्योहारों में से एक त्योहार मनाया जाएगा। यह दिन ईसाई समुदाय के लोगों में प्रभु यीशु के यरुशलम में विजयी प्रवेश के रूप में मनाया जाता हैं।
इस वर्ष रविवार, 28 मार्च 2021 को पाम संडे मनाया जा रहा है। पाम संडे के बारे में पवित्र बाइबल में कहा गया है कि प्रभु यीशु जब यरुशलम पहुंचे, तो उनके स्वागत में बड़ी संख्या में लोग पाम यानी खजूर की डालियां अपने हाथों में लहराते हुए एकत्रित हो गए थे।
लोगों ने प्रभु यीशु की शिक्षा और चमत्कारों को शिरोधार्य कर उनका जोरदार स्वागत किया था। यह बात करीब दो हजार वर्ष पहले की बताई जाती है। उस दिन की याद में पाम संडे मनाया जाता है। पाम संडे को पवित्र सप्ताह की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है। इसका समापन ईस्टर के रूप में होता है। इस अवसर पर चर्चों में विशेष आयोजन होते हैं। इसमें बाइबल का पाठ, प्रवचन और मिस्सा का आयोजन तथा शाम को विशेष चल समारोह निकाला जाता है। ज्ञात हो कि पाम संडे / खजूर रविवार, पवित्र बृहस्पतिवार और गुड फ्राइडे यीशु के आखिरी रात्रिभोज के रूप में जाने जाते हैं।
क्या खास होता है इस दिन-
* इस दिन लोग खजूर की डालियों को लेकर चर्च में जाते हैं।
* ईसाई समाज पाम संडे के दिन प्रभु के आगमन की खुशी में गीत गाकर इस दिन का स्वागत करते हैं।
* वे हाथों में खजूर की डालियां लेकर प्रभु के आने की खुशी में गीत गाएंगे।
* गिरजाघरों में शुरू हुआ प्रभु आराधना एवं भक्ति का सिलसिला ईस्टर तक जारी रहेगा।
* इसमें झांकी सजाकर प्रभु के जीवन को दर्शाया जाएगा।
* पाम से ईस्टर संडे तक प्रभु की विशेष आराधना की जाती है।
* अधिकांश घरों में, चर्च से प्राप्त ताड़ के पत्ते यीशु की तस्वीर के सामने रखे जाते हैं।
* इस दिन सभी चर्चों में विशेष प्रार्थना सभाएं होती हैं।
* इन दिनों संपूर्ण ईसाई समाज प्रभु यीशु की भक्ति में लीन रहते हैं तथा रविवार, पाम संडे के साथ ही यीशु की विशेष आराधना का दौर ईस्टर तक जारी रहता है। हालांकि इस समय कोरोना के चलते यह पर्व हर में ही मनाया जा सकता है।