ईसाइयों का धर्मग्रंथ बाइबल, जानिए क्या है इसमें

अनिरुद्ध जोशी
बाइबल या बाइबिल का अर्थ किताब माना गया है। यह ईसाइयों का पवित्र धर्मग्रंथ है। कहते हैं कि बाइबल को ईसा के 200 साल बाद लिखा गया था। हालांकि विद्वानों में इसको लेकर भी मतभेद हैं। ऐसा कहा जाता है कि बाइबल 40 लेखकों के द्वारा लिखी गई। शोधकर्ताओं द्वारा यह भी कहा जाता है कि बाइबल में समय के साथ बहुत से फेरबदल या रद्दोबदल हुए हैं लेकिन ईसाई अनुयायी इस बात से इनकार करते हैं।
 
 
बाइबल के दो हिस्से हैं पहला पुराना नियम और दूसरा नया नियम। पुराने नियम को पहले 'पुराना अहदनामा' कहा जाता था बाद में अंग्रेजी में अनुवाद के चलते इसे ओल्ड टेस्टामेंट कहा जाने लगा। इसी तरह नए नियम को न्यू टेस्टामेंट कहते हैं। ओल्ड टेस्टामेंट अर्थात पुराने सिद्धांत या नियम।
 
 
क्या है ओल्ड टेस्टामेंट : ओल्ड टेस्टामेंट में यहूदी धर्म और यहूदी पौराणिक कहानियों, नियमों आदि बातों का वर्णन है। यहूदियों की धर्मभाषा 'इब्रानी' (हिब्रू) और यहूदी धर्मग्रंथ का नाम 'तनख' है, जो इब्रानी भाषा में लिखा गया है। इसे 'तालमुद' या 'तोरा' भी कहते हैं। असल में ईसाइयों की बाइबिल में इस धर्मग्रंथ को शामिल करके इसे 'पुराना अहदनामा' अर्थात ओल्ड टेस्टामेंट कहते हैं। तनख का रचनाकाल ई.पू. 444 से लेकर ई.पू. 100 के बीच का माना जाता है।
 
 
ओल्ड नियम में उत्पत्ति, निर्गमन, लैव्यवस्था आदि कई अध्याय है जिसमें एडम और हव्वा से पैगंबर अब्राहम, पैगंबर नूह, मूसा और यहूदी जाति के 12 कबिलों के बारे में विस्तार से मिलेगा।
 
 
क्या है न्यू टेस्टामेंट : नए नियम अर्थात न्यू टेस्टामेंट के अंतर्गत ईसा के जीवन और दर्शन के बारे में उल्लेख है। इसमें खासतौर पर 4 शुभ संदेश हैं, जो ईसा के 4 अनुयायियों- मत्ती, लूका, युहन्ना और मरकुस द्वारा वर्णित हैं। इसके अलावा इसमें ईसा मसीह के कुछ शिष्यों के सुसमाचार को भी शामिल किया गया है।
 
 
कहते हैं कि नए नियम के अंतर्गत लगभग 130-170 ईस्वी में यहूदा द्वारा रचित सुसमाचार (नोस्टिक) रहस्यवादी संप्रदाय के द्वारा उनकी मृत्यु के बाद बाद लिखा गया था। फिर थॉमस द्वारा रचित 'सुसमाचार’ लगभग 140 ईस्वी में लिखा गया था, लेकिन उक्त सभी को फर्जी माना गया। इसके बाद सन् 367 ईस्वी में सिकंदरिया के अथेन्सियस ने औपचारिक रूप से ‘नया नियम’ (न्यू टेस्टमेंट) की 27 किताबें सूचीबद्ध की थीं उसे ही आज मान्य माना जाता है। बाइबल मूल रूप से ग्रीक भाषा में लिखि गई थी।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

क्या कर्मों का फल इसी जन्म में मिलता है या अगले जन्म में?

वैशाख अमावस्या का पौराणिक महत्व क्या है?

शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि में होंगे वक्री, इन राशियों की चमक जाएगी किस्मत

Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया से शुरू होंगे इन 4 राशियों के शुभ दिन, चमक जाएगा भाग्य

Lok Sabha Elections 2024: चुनाव में वोट देकर सुधारें अपने ग्रह नक्षत्रों को, जानें मतदान देने का तरीका

धरती पर कब आएगा सौर तूफान, हो सकते हैं 10 बड़े भयानक नुकसान

घर के पूजा घर में सुबह और शाम को कितने बजे तक दीया जलाना चाहिए?

Astrology : एक पर एक पैर चढ़ा कर बैठना चाहिए या नहीं?

100 साल के बाद शश और गजकेसरी योग, 3 राशियों के लिए राजयोग की शुरुआत

Varuthini ekadashi 2024: वरुथिनी व्रत का क्या होता है अर्थ और क्या है महत्व

अगला लेख