अंतिम न्याय

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पवित्र धर्मग्रंथ हमसे स्पष्ट रूप से कहता है कि यह दुनिया अनन्त काल तक नहीं रहेगी।

जब हमारे प्रभु, अपने शिष्यों को जंगली बीजों के विषय में समझा रहे थे, उसने कहा, इन्हें बोने वाला बैरी शैतान है, कटनी संसार का अन्त है औरा काटने वाले हैं स्वर्गदूत।

(' जिस प्रकार लोग जंगली बीज बटोरकर आग में भस्म कर देते हैं, उसी प्रकार संसार के अन्त में होगा'।) (मत्ती 13:40)

इसका अन्त कैसे होगा और यह कब होगा, उसे केवल ईश्वर ही जानता है।

फिर भी कलीसिया की शिक्षा है, जिसकी परिभाषा चौथी लेटरन महासभा ने की है (सन्‌ 1215 ई.में) 'सब कोई अपने स्वयं के शरीरों के साथ पुनः जीवित होंगे, जिसका अर्थ है, वे कर्मों के अनुसार उसे (शरीर को) प्राप्त करेंगे।

शरीर के पुनरुत्थान के बाद अतिम न्याय होगा। इस वक्त हमारे शरीर आत्माओं से संयुक्त होंगे और तब ये तो पुरस्कार या सजा के भागीदार होंगे।

(' तुरही बजेगी और मृतक अविनाशी रूप में जलाए जाएँगे और हम बदल जाएँगे।')
(1 कुरिंथ 15:52)
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