ईश्वर की दूसरी आज्ञा

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' यदि तुम मुझसे प्यार करते हो, तो मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे।' (योहन 14:15)

दूसरी आज्ञा कहती है- 'प्रभु अपने ईश्वर का नाम व्यर्थ न लेना।' (निर्गमन 20:7)

नाम का आदर करने से हम, वास्तव में उस व्यक्ति का आदर करते हैं, जिसका नाम हम लेते हैं। हम यह कभी पसंद नहीं करेंगे कि कोई हमारे माता-पिता, स्कूल, क्लब या राष्ट्र का अनादर करे। इसी तरह हमें ईश्वर के नाम का भी आदर एवं सत्कार करना चाहिए।

' किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा मुक्ति नहीं मिल सकती, क्योंकि समस्त संसार में इस नाम के सिवा मनुष्यों को दूसरा नाम नहीं दिया गया है, जिसके द्वारा हमें मुक्ति मिल सकती है।' (प्रे. चरित (4:12)

हमें सदा येसु के नाम को आदर से लेना है... साथ ही साथ, संत कुँवारी माता मरिया, संतों और उन सबों का नाम सम्मान से लेना चाहिए जो येसु ख्रीस्त के साथ घनिष्ठता से जुड़े हैं।

उत्तरी अमेरिका में, 'पवित्र नाम की संस्था' है, जिसके दो करोड़ से भी अधिकर सदस्य हैं, सब ने येसु के नाम को आदर से लेने और येसु उन्हें जैसा जीवन जीने देना चाहता है, वैसे ही जीने की उन्होंने प्रतिज्ञा की है।

हम ईश्वर के नाम का आदर और सत्कार ख्रीस्तयाग और दूसरे सार्वजनिक प्रार्थना सभाओं में भाग लेकर कर सकते हैं।

हमें ईश्वर और येसु का नाम प्यार और आदर से प्रार्थना करते हुए ही लेना चाहिए।

किसी व्यक्ति के नाम का सही ढंग से न लिया जाना और न बोला जाना, उस व्यक्ति का व्यक्तिगत अपमान किया जाना है।

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