प्रार्थना...

येसु प्रार्थना सिखाने वाले महान गुरु

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येसु प्रार्थना सिखाने वाले महान गुरु थे। हमारे प्रभु ने हमें प्रार्थना करने की आज्ञा दी क्योंकि प्रार्थना के बिना ईश्वर की आराधना और उसके साथ संयुक्त होना असंभव है। प्रार्थना करने के कई तरीके हैं-

ख्रीस्तयाग महानतम प्रार्थना है- यह सार्वजनिक प्रार्थना है।

निर्धारित नियम में प्रार्थनाएँ- जैसे हे हमारे पिता, प्रणाम, मरिया, माला विनती आदि। हमें उस समय बहुत मदद करती है, जब हम प्रार्थना करना महसूस नहीं करते हैं।

स्वयं के शब्दों में प्रार्थना बहुत उत्तम होती है।

छोटी प्रार्थनाएँ व्यस्त और कठिनाइयों के दिन में सहायता कर सकती हैं। जैसे- हे ईश्वर मुझे क्षमा कर। या ईश्वर को धन्यवाद या येसु मेरी सहायता कर या कोई भी दूसरी छोटी-छोटी प्रार्थनाएँ। प्रलोभन के समय हमेशा प्रार्थन करो।

प्रथम विश्वयुद्ध, सन्‌ 1918 के प्रारंभ में जब जर्मन हमलावर मित्र राष्ट्रों को पराजय की धमकी दे रहा था, उस वक्त फ्रांस के जनरल मार्र्शल फॉक को पश्चिमी मोर्चे का सेनापति बनाया गया था। 18 जुलाई 1918 को प्रातः जिसे युद्ध के विजयी समाप्ति में परिणत होना था और कुछ यही प्रतिपक्षी हमलावरों का चुना हुआ समय था।

उसके अगली शाम को जनरल फॉक ने मित्र राष्ट्रों के मुख्यालय को अनुमति लेकर छोड़ दिया था कि उसे एक घंटे तक बाधा न पहुँचाई जाए।

उसकी अनुपस्थिति में एक संदेशवाहक अति आवश्यक संदेश लेकर आया, जिसे स्टाफ के अधिकारियों ने फॉक को सूचित करना जरूरी समझा। उन्होंने उसे उनके खेमे में ढूँढा पर वे वहाँ नहीं मिले। उनका अर्दली अपने सेनाध्यक्ष की आदतें जानता था। अतः उन्हें गाँव के गिरजाघर में ले गया।

वहाँ पर उन्होंने सेनाध्यक्ष को वेदी के सम्मुख घुटनों के बल शांत मुद्रा में प्रार्थना करते पाया।

एक प्राचीन परिभाषा के अनुसार ईश्वर की संगति में रहना अथवा ईश्वर से बातचीत करना ही प्रार्थना है। प्रार्थना अपने आप में जो है वह शब्द सूत्रों का प्रयोग करती है। जैसे- पूजन विधि की प्रार्थना- यह कलीसिया की अधिकृत सामुदायिक प्रार्थना है जो प्रामाणिक सूत्र का प्रयोग करती है। यहाँ तक कि व्यक्तिगत प्रार्थना में परंपरागत सूत्र काफी सहायक हो सकते हैं। व्यक्तिगत प्रार्थना अकसर स्वाभाविक या तात्कालिक और कभी-कभी मौन होती है।

फिर भी जो व्यक्ति निरन्तर प्रार्थना करते हैं वे यह अनुभव करते हैं कि ये प्रार्थना सूत्र उस विश्वास को व्यक्त करने में काफी मददगार होते हैं, जिसमें वे दूसरे ख्रीस्तीय सदस्यों के साथ भाग लेते हैं। अतः आराधना के लिए कुछ प्रार्थना सूत्र यहाँ दिए गए हैं जो अतिप्रिय और समयानुकूल हैं। ये प्रार्थनाएँ, प्रार्थनामय अभिवृत्ति के हर क्षेत्र जैसे- आराधना, धन्यवाद, याचना और प्रायश्चित सभी को व्यक्त करती हैं।

क्रूस का चिह्न
पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम पर आमेन। (अकसर प्रार्थना के आरंभ और अंत में प्रयोग होता है।)

हमारे पिता (प्रभु की प्रार्थना)
हे हमारे पिता, जो स्वर्ग में हैं, तेरा नाम पवित्र किया जाए, तेरा राज्य आए। इच्छा, जैसे स्वर्ग में है वैसे पृथ्वी पर भी पूरी हो।

हमारा प्रतिदिन का आहार आज हमें दे और हमारे अपराध हमें क्षमा कर जैसे हम भी अपने अपराधियों को क्षमा करते हैं और हमें परीक्षा में न डाल, परन्तु बुराई से बचा। आमीन!

प्रणाम मरिय ा
प्रणाम मरिया, कृपापूर्ण, प्रभु तेरे साथ है, धन्य तू स्त्रियों में और धन्य तेरे गर्भ का फल येसु।

हे संत मरिया, परमेश्वर की माँ, प्रार्थना कर, हम पापियों के लिए अब, और हमारे मरने के समय आमीन!!

बड़ाई की प्रार्थना
पिता, पुत्र और पवित्रआत्मा की बड़ाई हो जैसे वह आदि में थ़ी, अब है और अनन्तकाल तक सदा रहेगी। आमीन!!

प्रेरितों का धर्मसार
स्वर्ग और पृथ्वी के सृजनहार, सर्वशक्तिमान पिता परमेश्वर में मैं विश्वास करता हूँ और उनके एकलौते पुत्र, हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त में, जो पवित्रात्मा द्वारा गर्भ में पड़ा, कुँवारी मरिया से जन्म लिया। पोंतियुस पिलातुस के शासन काल में दुःख उठाया, क्रूस पर ठोंका गया, मर गया, गाड़ा गया, अधोलोक में उतरा, तीसरे दिन धर्मग्रंथ के अनुसार जी उठा। स्वर्ग में गया, सर्वशक्तिमान पिता परमेश्वर की दाहिनी ओर बैठा है। वहाँ से जीवितों और मृतकों का विचार करने फिर आएगा।

मैं पवित्रात्मा पर, पवित्र काथलिक धर्म मंडली, धर्मियों के संबंध, पापों की क्षमा, देह के लिए जी उठने और अनन्त जीवन में विश्वास करता हूँ। आमीन!!

विश्वास की प्रार्थना
हे मेरे ईश्वर! मैं विश्वास करता हूँ कि तू तीन दैविक व्यक्तियों, पिता, पुत्र और पवित्रात्मा में एक ही ईश्वर है। मैं विश्वास करता हूँ कि तेरा दिव्य पुत्र हमारे पापों के कारण मनुष्य बन मर गया और वह जीवितों और मृतकों का न्याय करने आएगा। मैं इन सब में और पवित्र काथलिक कलीसिया, जो सिखाती है, विश्वास करता हूँ, जिनका तूने रहस्योद्घाटन किया है। तू न कभी हमें धोखा देगा और न कभी तुझे दिया जा सकता है। आमीन!!

भरोसे की प्रार्थना
हे मेरे ईश्वर, तेरी असीम अच्छाई और प्रतिज्ञा पर भरोसा कर, मैं अपने पापों की क्षमा याचना की आशा करता हूँ, तेरी कृपा की सहायता और अनन्त जीवन पर हमारे प्रभु ख्रीस्त के पुण्य प्रताप द्वारा। आमीन!!

प्रेम की प्रार्थना
हे मेरे ईश्वर, मैं सब वस्तुओं से भी अधिक अपने संपूर्ण हृदय और आत्मा से तुझे प्यार करता ़हँू, क्योंकि तू पूर्ण भला और मेरे पूरे प्रेम के योग्य है। तेरे प्रेम की खातिर मैं अपने पड़ोसियों को अपने ही समान प्यार करता हूँ। जो मेरे अपराधी हैं, उन्हें मैं क्षमा करता हूँ और जिनका मैं अपराधी हूँ उनसे क्षमा माँगता हूँ। आमीन!!

पछतावे की प्रार्थना
हे मेरे ईश्वर, मैं इसलिए उदास हूँ कि मैंने अपने पापों से तुझे नाराज किया है, मुझे स्वर्ग खोने और नरक के दुःख भोगने का भय है, परन्तु सबसे अधिक मुझे इस बात का दुःख है कि वे तेरा विरोध करते हैं- मेरे ईश्वर तू जो बहुत भला एवं मेरा पूरा प्रेम माँगता है।

तेरी महती कृपा से मैं सच्चे दिल से अपने पापों पर पछताता हूँ और दृढ़ प्रतिज्ञा करता हूँ कि फिर ऐसा नहीं करूँगा। आमीन!!

दूत का संदेश
प्रभु के दूत ने मरिया को संदेश दिया।

सब : और वह पवित्र आत्मा से गर्भवती हुई। (प्रणाम- मरिया)
देख, मैं प्रभु की दासी हूँ।

सब : तेरा कथन मुझमें पूरा हो।
और शब्द देह बना।

सब : और हमारे बीच में रहा। (प्रणाम मरिया) हे परमेश्वर की पवित्र माँ! हमारे लिए प्रार्थना कर।
सब : कि हम ख्रीस्त की प्रतिज्ञाओं के योग्य बन जाएँ।

हम प्रार्थना करें : हे प्रभु! हमने स्वर्गदूत के संदेश द्वारा तेरे पुत्र येसु ख्रीस्त का देह धारण जान लिया है। हमारी प्रार्थना सुन, अपनी कृपा हमारी आत्माओं को प्रदान कर और ऐसा कर कि हम उसी ख्रीस्त के दुःख भोग और पुनरुत्थान द्वारा स्वर्ग का अनन्त सुख प्राप्त कर सकें। आमीन!

भोजन के पूर्व की प्रार्थना
हे प्रभु! हम लोगों को और अपने इन दोनों को, जो हम तेरी भलाई से लेने पर हैं, आशीष दे, ख्रीस्त हमारे प्रभु द्वारा। आमीन!

भोजन के बाद की प्रार्थना
तेरे सब दानों के लिए, हम लोग तेरा धन्यवाद करते हैं, हे सर्वशक्तिमान ईश्वर, जो सदा जीवित रहता और राज्य करता है। आमीन!

मृत विश्वासियों की आत्माएँ परमेश्वर की दया से शांति में रहें। आमीन!

( भोजन के समय स्वतः निकली प्रार्थनाएँ भी कर सकते हैं)

कुँवारी मरिया से स्मरण कर प्रार्थना

हे अत्यंत धर्मिष्ठ कुँवारी मरिया! स्मरण कर कि आज तक यह कभी सुनने में नहीं आया कि कोई भी शरणागत तुझसे सहायता की मदद माँग कर तथा परमेश्वर के पास तेरी सहायता की मदद चाहकर तुझसे अनसुना छूट गया हो। हे कुँवारियों में श्रेष्ठ कुँवारी! हे मेरी माता! इसी विश्वास को लेकर मैं तेरी शरण में दौड़ा आया हूँ, मैं शोकपूर्ण पापी तेरे सम्मुख उपस्थित हूँ। हे परमेश्वर की माता! मेरी प्रार्थना अनसुनी न करना, किन्तु कृपा करके उस पर ध्यान देना। आमीन!!

बुलाहट के लिए प्रार्थना
हे येसु! महापुरोहित और संसार के मुक्तिदाता, हम तुझसे याचना करते हैं कि अधिक से अधिक युवक-युवतियों को धार्मिक जीवन में पुरोहित, धर्मबंधु और धर्मबहन बनने के लिए बुला लें। वे समर्पित पुरोहितों, धर्मबंधुओं और धर्मबहनों के जीवन से प्रेरणा प्राप्त कर लें। माता-पिता को ऐसी कृपा एवं सहृदयता प्रदान कर कि तेरे प्रति एवं अपने बच्चों के प्रति उनमें भरोसा हो, जिससे कि उनके पुत्र-पुत्रियाँ अपने जीवन में बुद्धिमानी एवं स्वतंत्रता से अपना जीवन मार्ग चुन सकें । आमीन!!

रखवाल दूत से प्रार्थना
हे ईश्वर के दूत! जो मेरा रखवाला है, मैं ईश्वर की दया से तेरे हाथों में सौंपा गया हूँ। मुझको उजाला दे, मेरी रक्षा कर और मुझको सीधे मार्ग पर ले जा। आमीन!!

मृत विश्वासियों के लिए प्रार्थना
हे प्रभु! सब मृत विश्वासियों को अनन्त शांति प्रदान कर और उन्हें अनन्त प्रकाश से प्रकाशित कर- उनकी आत्माएँ एवं सब मृत विश्वासियों की आत्माएँ ईश्वर की दया से शांति में रहें। आमीन!!

पाप स्वीकार की प्रार्थना
मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर, धन्य कुँवारी मरिया, महादूत संत मिखाएल और गाब्रिएल, धन्य योहन बपतिस्तता, धन्य प्रेरित मौलुस और अन्द्रेयस और सब दूतों और संतों के सामने मैं स्वीकार करता हूँ कि मैने मन, वचन और कर्म से बहुत पाप किए हैं, अपने कसूर से, अपने बड़े भारी कसूर से इसलिए मैं धन्य कुँवारी मरिया, महादूत संत मिखाएल और गाब्रिएल, धन्य योहन बपतिस्तता, संत प्रेरित पेत्रुस, पौलुस और अन्द्रेयस और स्वर्ग के समस्त दूतों और संतों के साथ मैं स्वीकार करता हूँ कि अब से फिर कभी पाप नहीं करूँगा। आमीन!!

सर्वशक्तिमान ईश्वर हम पर दया कर, हमारे पापों को क्षमा कर, हमें अनन्त जीवन प्रदान कर।

सर्वशक्तिमान और दयालु ईश्वर, मुझे मेरे समस्त पापों से मुक्ति प्रदान कर।

माला विनत ी
माला विनती को प्रार्थना के रूप में बोलने का अर्थ होता है मरिया के माध्यम से ईश्वर से आशीष पाना और माता मरिया और येसु के जीवन में घटित घटनाओं का स्मरण करना।

संपूर्ण माला विनती पंद्रह रहस्यों से बना है। तीन प्रमुख भागों में विभक्त यह माला प्रत्येक भाग पाँच रहस्यों की घटनाओं का खुलासा करती है। प्रथम भाग सुख के पाँच रहस्य हैं, दूसरा भाग दुःख के पाँच रहस्य तथा तीसरा भाग बढ़ाई के पाँच रहस्यों में विभक्त है।

माला वितनी के प्रारंभ में हम ईश्वर से प्रार्थना करते है, कि हम इन्हें ठीक से बोल सकें।

फिर हम प्रेरितों का धर्मसार बोलते हैं, फिर एक हे पिता हमारे, तीन प्रणाम मरिया और एक बार पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम पर आदि प्रार्थना बोलते हैं।

माला विनती बोलने के लिए उचित है कि प्रत्येक रहस्य पर घटित प्रत्येक घटना पर मनन किया जाए कि एक 'हे पिता हमारे' और दस 'प्रणाम मरिया' कही जाए। यह एक रहस्य पूरा करती है। प्रत्येक रहस्य के पश्चात 'पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा की बढ़ाई होवे कही जाए। माल विनती के अंत में 'प्रणाम रानी दया की माँ' या फिर अन्य कोई प्रार्थना बोली जाए।

सुख के पाँच रहस्य
1. ग्राबिएल दूत मरिया को संदेश देते हैं।
2. मरिया एलिजाबेथ से भेंट करती है।
3. हमारे प्रभु जन्म लेते हैं।
4. येसु मंदिर में चढ़ाए जाते हैं।
5. येसु मंदिर में पाए जाते हैं।

दुःख के पाँच रहस्य
1. बाग में येसु का मरण संकट होता है।
2. स्तंभ पर येसु को कोड़े मारे जाते हैं।
3. येसु को काँटों का मुकुट पहनाया जाता है।
4. येसु अपना क्रूस ढोते हैं।
5. येसु क्रूस पर मर जाते हैं।

बढ़ाई के पाँच रहस्य
1. येसु मृतकों में से जी उठते हैं।
2. येसु स्वर्ग पर चढ़ते हैं।
3. पवित्र आत्मा प्रेरितों पर उतरते हैं।
4. मरिया स्वर्ग में उठा ली जाती है।
5. मरिया स्वर्ग में राजकीय मुकुट पाती है।
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