मरिया

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गलीलिया (इसराइल) प्रदेश में, नाजरेथ नामक एक शहर था। यहाँ पर एक युवती रहती थी, जिसका नाम मरिया था। उसकी शादी योसेफ नामक बढ़ई व्यक्ति से निश्चित हुई थी।

एक दिन ईश्वर ने देवदूत गाब्रिएल को मरिया के पास भेजा। देवदूत ने मरिया के पास जाकर कहा- 'आपको शांति! प्रभु आपके साथ है।' जब मरिया ने देवदूत को देखा तो वह डर गई और विचारने लगी। तब देवदूत ने उनसे कहा, 'मरिया, डरिए नहीं, आपको ईश्वर का अनुग्रह प्राप्त है। देखिए आप गर्भवती होंगी और पुत्र जनेंगी। आप उनका नाम येसु रखिएगा। वह महान होंगे और सर्वोच्च ईश्वर के पुत्र कहलाएँगे। वे राजा होंगे और उनके राज्य का कभी अंत नहीं होगा।'

तब मरिया ने देवदूत से पूछा- 'यह कैसे होगा, मैं पुरुष को नहीं जानती?' देवदूत ने उत्तर दिया, 'पवित्रात्मा आप पर उतरेगा और सर्वोच्च सामर्थ्य की छाया आप पर पड़ेगी, इस कारण जो पवित्रतम जन्मेंगे वे ईश्वर के पुत्र कहलाएँगे।'

तब देवदूत ने उससे, उनकी कुटुंबिनी एलिजाबेथ के विषय में भी बताया, जिसे ईश्वर बुढ़ापे में पुत्र दे रहे थे, 'क्योंकि ईश्वर के लिए कोई भी बात असंभव नहीं है।'

तब मरिया ने विश्वास किया कि ईश्वर उसे यह साधारण पुत्र देंगे और इसलिए उसने कहा, 'देखिए, मैं प्रभु की दासी हूँ, आपका वचन मुझमें पूरा हो।' इसके बाद देवदूत उससे विदा हो गया।

इस घटना के तुरंत बाद मरिया अपनी कुटुंबिनी एलिजाबेथ से मिलने निकल पड़ी, क्योंकि वह उस शुभ संदेश का उसे भागीदार बनाना चाहती थी। वह ईश्वर के प्रति कितनी खुश और कृतज्ञ थी कि वह येसु मुक्तिदाता की माँ बनेगी।

उसने ईश्वर के बखान में यह गीत गाया-

' मेरी आत्मा प्रभु का गुणगान करती है, मेरा मन अपने मुक्तिदाता ईश्वर में उल्लसित है, क्योंकि उसने अपनी दासी की दीनता पर कृपादृष्टि की है। देखिए, अब से सब पीढ़ियाँ मुझे धन्य कहेंगी, क्योंकि जो शक्तिशाली है, उसने मेरे लिए महान कार्य किए हैं और पवित्र है उसका नाम। पीढ़ी दर पीढ़ी उसके श्रद्धालु भक्तों पर उसकी दया बनी रहती है। उसने अपना बाहुबल दिखाया है।

अहंकारियों को उसने उनके मन के अहंकार द्वारा तितर-बितर कर दिया है। उसने शक्तिशालियों को सिंहासन से उतारा है और दीनों को महान बनाया है। उसने दरिद्रों को सम्पन्न किया है और धनवानों को खाली हाथ लौटा दिया है। उसने अपने दया का स्मरण करके अपने सेवक इसराइल को संभाला है, जैसे उसने युग-युग में इब्राहीम तथा उनकी संतान ने हमारे पूर्वजों से प्रतिज्ञा की थी।'

मरिया कोई तीन महीने एलिजाबेथ के यहाँ रहकर अपने घर लौट गई।

प्रणाम-मरिया
प्रणाम मरिया, कृपापूर्ण, प्रभु तेरे साथ हैं, धन्य तू स्त्रियों में और धन्य तेरे गर्भ का फल, येसु।
हे संत मरिया, परमेश्वर की माँ, प्रार्थना कर हम पापियों के लिए, अब और हमारे मरने के समय।
आमीन!

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