परमेश्वर की योजना थी यीशु मसीह का जन्म

पहले ही हो चुकी थी जीसस के जन्म की भविष्यवाणी

Webdunia
- आशालता कुमार
ND

क्रिसमस मसीह समुदाय द्वारा प्रभु यीशु मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाने वाला सबसे खास त्योहार है। यीशु मसीह के जन्म के विषय में आप जानते ही होंगे कि यीशु मसीह का जन्म बैतलहम में पवित्रात्मा द्वारा कुंआर‍ी मरियम से हुआ। उनको मानने वाले मसीह समाज के साथ-साथ सभी धर्मों के लोग बड़ी धूमधाम से क्रिसमस का यह पावन पर्व मनाते हैं क्योंकि पवित्र बाइबिल के अनुसार यीशु मसीह का जन्म सारी मानव जाति के उद्धारकर्ता के रूप में हुआ।

यीशु मसीह का जन्म एक कुंआर‍ी से होना महज एक घटना नहीं है। यह तो परमपिता परमेश्वर की एक सुनियोजित इच्छा का परिणाम है। बाइबिल के अनुसार यीशु मसीह के जन्म के विषय में कई सौ साल पहले भविष्यवाणी की गई थी। बाइबिल में पुराने नियम की पुस्तक यशायाह के नौवें अध्याय और उसकी छठवीं आयत में लिखा है 'क्योंकि हमारे लिए एक पुत्र उत्पन्न हुआ, हमें एक पुत्र दिया गया और प्रभुता उसके कंधे पर होगी और उसका नाम अद्भुत युक्ति करने वाला, पराक्रमी परमेश्वर, अनंतकाल का पिता और शांति का राजकुमार रखा जाएगा।'

यीशु मसीह के जन्म के बाद और उनके कामों व व्यवहार के कारण उन्हें इन सब नामों से जाना गया और आज भी सारे मसीहजन उनके इन्हीं नामों के द्वारा उनकी स्तुति, प्रशंसा करते हैं। इसके अला‍वा कुंआरी से यीशु मसीह के जन्म के विषय में भी पहले से ही भविष्यवाणी की गई थी। इसी पुस्तक के सातवें अध्याय और उसकी चौहदवीं आयत में लिखा है 'इस कारण प्रभु आप ही एक चिह्न देगा, सुनो एक कुंआर‍ी गर्भवती होगी और पुत्र जनेगी और उसका नाम इम्मानुएल रखेगी।' इम्मानुएल का अर्थ है परमेश्वर हमारे साथ है।

ND
इसके साथ ही यीशु के जन्म की और भी कुछ भविष्यवाणियां हैं जो सही साबित हुईं। जैसे कि-
1. यीशु इस्राएल से आएंगे।
2. यीशु दाउद के घराने और यहूदा के गोत्र में पैदा होंगे।
3. यीशु बैतलहम में पैदा होंगे।
4. यीशु कुंआरी से पैदा होंगे।

यीशु मसीह के जन्म के कारण : -
आखिर परमेश्वर के पुत्र को मनुष्य रूप में इस धरती पर आने की क्या आवश्यकता थी। परमेश्वर चाहते तो इतने वर्षों से जैसा चला आ रहा था वैसा ही रहने देते। लेकिन उन्होंने अपने इकलौते पुत्र को धरती पर भेजा। यीशु मसीह के जन्म के कारण भी हमें पवित्र बाइबिल में मिलते हैं जो इस प्रकार हैं -

1. परमेश्वर को धरती पर प्रगट करने के लिए यीशु मसीह का जन्म हुआ। क्योंकि परमेश्वर को किसी ने नहीं देखा उनको मनुष्यों के बीच में प्रभु यीशु मसीह ने ही प्रगट किया। पवित्र बाइबिल के नए नियम की पुस्तक यूहन्ना के पहले अध्याय और उसकी अट्ठारहवीं आयत में लिखा है 'परमेश्वर को किसी ने कभी नहीं देखा, इकलौता पुत्र जो उसकी गोद में है उसी ने उसे प्रगट किया।'

2. परमेश्वर और मनुष्य के बीच की खाई पर एक पुल बनाने के लिए यीशु मसीह मनुष्य रूप में जगत में आए। जिससे वे परमेश्वर की बात मनुष्यों को बता सकें कि परमेश्वर उनसे क्या चाहते हैं। बाइबिल के नए नियम की पहली ‍तीमुथीयुस पुस्तक के दूसरे अध्याय और उसकी पांचवीं आयत में लिखा है 'क्योंकि परमेश्वर एक ही है और मनुष्य के बीच में एक ही बिचवई है अर्थात मसीह यीशु जो मसीह है।'

3. यीशु मसीह के मनुष्य रूप में इस जगत में आने का प्रमुख कारण है मनुष्यों का उद्धार। परमेश्वर सारी मानव जाति से प्रेम करते हैं इसलिए उन्होंने अपने इकलौते बेटे को इस जगत में मनुष्यों के उद्धार के लिए भेज दिया। बाइबिल में यूहन्ना के तीसरे अध्याय और उसकी सोलहवीं आयत में हम पाते हैं 'परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना इकलौता पुत्र दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्वास करें वह नाश न हो बल्कि अनंत जीवन पाए।'

यीशु मसीह के कुंआरी से जन्म का अभिप्राय :
मनुष्य पूरी तरह पतित है। उसे एक उद्धारकर्ता की आवश्यकता है जो उसे पापों से छुड़ाकर उद्धार दिला सके। इसलिए उद्धारकर्ता का शुद्ध और सक्षम होना नितांत आवश्यक है। सिर्फ एक ही उपाय था जिसके द्वारा यीशु मसीह पापरहित स्वभाव में मनुष्य बन सकते थे और यह उपाय था कुंआरी के द्वारा जन्म लेना। इसी कारण कुंआरी मरियम को यीशु के जन्म के लिए चुना गया। मरियम ने भी बिना शंका के परमेश्वर की इस आज्ञा का पालन किया।

यीशु के कोई मानवीय पिता नहीं थे क्योंकि पवित्र आत्मा उनके पिता थे। जिस कारण पापी स्वभाव यीशु मसीह तक नहीं पहुंचा। क्योंकि पापी स्वभाव पैतृक उत्तराधिकारी से ही प्राप्त होता है लेकिन यीशु मसीह का कोई इंसानी पिता नहीं था जिस कारण वे निष्पाप रूप में धरती पर आए।

प्रभु यीशु मसीह साढ़े 33 वर्ष तक पृथ्वी पर थे। उन्होंने यहां रहकर परमेश्वर के राज्य के बारे में बताया। अपने सुसमाचार प्रचार में उन्होंने परमेश्वर से प्रेम करना, अपने पड़ोसी व सभी लोगों से अपने समान प्रेम करने की आज्ञा दी। उन्होंने हमें अपने सताने वालों को क्षमा करना सिखाया। बीमारों की सेवा कर और उन्हें चंगा कर हमें सेवा करना सिखाया।

यहूदी धर्म में प्रचलित कुरीतियों का विरोध करने के कारण ही यीशु मसीह को यहूदी धर्म गुरुओं, शास्त्रियों और फरिस्तियों द्वारा सताया गया। अंत में सारी मानव जाति के पापों को अपने ऊपर लेकर अपना बलिदान कर दिया ताकि परमेश्वर पिता की इच्छा पूरी हो सके। जिस प्रकार बलिदान का मेमना निष्पाप होता है उसी तरह यीशु मसीह भी निष्पाप हैं ‍जिन्होंने हम मनुष्यों को पाप से मुक्त कराने हेतु अपने आपको बलिदान कर दिया।

यीशु मसीह चरनी में जन्म लेकर कलवरी क्रूस पर बलिदान हुए और तीसरे दिन मृतकों में से जी उठे। इसी कारण उन्हें जीवित खुदा भी कहा जाता है। यीशु मसीह के जीवन की यही सत्य घटना प्रत्येक क्रिसमस पर सभी मसीह विश्वासी को उत्साहित करती है और सारे विश्व में क्रिसमस का यह पावन पर्व पूरे जोश के साथ मनाया जाता है।

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पीपल की पूजा के पीछे क्या है लॉजिक, क्या सच में होता है भूत-प्रेत का वास या कुछ और है चमत्कार, जानिए सच्चाई

सावन में भोलेनाथ के इन 10 गुणों को अपनाकर आप भी पा सकते हैं स्ट्रेस और टेंशन से मुक्ति

सत्य शिव हैं, अनंत शिव हैं...हर मन में बसे भगवंत शिव हैं, भक्ति से सराबोर सावन की शुभकामनाएं

क्या सितंबर में मोदी जी छो़ड़ने वाले हैं पद, यदि ऐसा है तो फिर कौन बनेगा नया पीएम?

विश्व का एकमात्र ज्योतिर्लिंग जहां हर रात शयन के लिए आते हैं भोलेनाथ और माता पार्वती, साथ खेलते हैं चौपड़

सभी देखें

धर्म संसार

मधुमेह रोगियों को सावन व्रत में क्या खाना चाहिए, जानें डायबिटिक व्रत भोजन की सूची और 6 खास बातें

अद्भुत संयोग गणेश चतुर्थी पर सावन का सोमवार व्रत, करें ये 3 अचूक उपाय

कालकूट विष के प्रभाव से बचने के लिए शिवजी ने 60,000 वर्षों तक यहां की थी तपस्या, जानिए इस चमत्कारी मंदिर का रहस्य

त्रिसंध्या क्या होती है, कैसे करते हैं इसे?

सावन सोमवार में भगवान शिवजी की 3 प्रकार से करें पूजा, फिर देखें चमत्कार