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कॉफ़ी बुक - प्रस्तावना

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कॉफ़ी बीन से उसके कप तक आने की कहानी बहुत रोचक है। किसी भी कॉफ़ी पीने वाले के लिए, रोमांटिक पृष्ठभूमि वाली या अच्‍छी कॉफ़ी बनाने की कोई युक्ति बताने वाली कोई छोटी सी जानकारी भी उसके कॉफ़ी पीने के आनंद को दोगुना कर देगी।

पिछले दशक में भारत में कॉफ़ी के परिदृश्‍य में ज़बरदस्‍त बदलाव आया है। 1996 में हुए कॉफ़ी व्‍यापार में उदारीकरण के कारण कच्‍ची कॉफ़ी के घरेलू उपभोग और निर्यात के तरीके में भारी परिवर्तन आए हैं। इससे खुदरा व्‍यापार को बढ़ावा मिला है जिसके कारण भारत के शहरी क्षेत्रों में सैकड़ों कैफ़े खुल गए हैं और खुदरा व्‍यापार फैल रहा है। हाल के वर्षों में, भारतीय कंपनियों की सफलता ने विदेशी निवेशकों को बाज़ार बनाने के लिए आकर्षित किया और कुछ ही वैश्विक प्रमुख कॉफ़ी व्‍यावसायियों ने भारत में एक उपक्रम स्‍थापित किया। यह सब कुछ भारत के एक नई और उत्‍साहित कॉफ़ी पसंद करने वाले समाज, कॉफ़ी व्‍यापार के उत्‍साहित उभरते हुए परिवेश और साथ ही उपभोक्‍ताओं के लिए हुआ।

गोरमेट कॉफ़ी के आगमन से भारत के कॉफ़ी ज्ञान में महत्‍वपूर्ण परिवर्तन आया। एक तरीका जिसमें परंपरागत दक्षिण भारतीय फ़िल्‍टर कॉफ़ी इटैलियन एस्‍प्रेसो और इंस्‍टेंट कॉफ़ी के साथ आज भी मौजूद है यह कुतूहल का विषय है। उपभोक्‍ता टूटायर स्‍टेनलेस स्‍टील के फ़िल्टर में बनी कॉफ़ी के साथ जागें, ऑफ़िस कैंटीन में बनी घुलनशील कॉफ़ी का मज़ा लें, शाम को अपने मित्रों से कैफ़ेबार में मिलें और इटैलियन शैली की कैपुचिनो का आनंद लें। भारतीय कॉफ़ी बाज़ार उत्‍पादित और बेची गई कॉफ़ीज़ की किस्‍मों और साथ ही उनके उपभोग के तरीकों के संदर्भ में विविधतापूर्ण है। आज भी देश के कई भागों में इसे अभी भी एक विदेशी और दुर्लभ पेय माना जाता है जहाँ संभवत: इंस्‍टेंट कॉफ़ी सीमित मात्रा में उपलब्‍ध होती है लेकिन कॉफ़ी के बीज और खेत नहीं मिलते। वास्‍तव में भारत में कॉफ़ी का एक जटिल बाज़ार है लेकिन संभावित रूप से अत्‍यधिक लाभकारी है।

स्‍पष्ट रूप से, उपभोक्ता अपने दैनिक जीवन में कॉफ़ी पीने संबंधी आदतें और व्‍यवहार बदल रहे हैं और क्रय व्‍यवहार विकासशील भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था द्वारा निर्धारित होते हैं। बाज़ार में जमे लोगों के लिए यह चुनौती है कि वे गति बनाए रखें, मौजूद बाज़ार की जानकारी रखें और नया विकसित करें। उपभोक्‍ता के लिए क्‍वालिटी कॉफ़ी और सतत् प्रयोगों के लिए पर्याप्त अभिप्रेरणा ज़रूरी है और साथ ही कॉफ़ीज़ के भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों के समृद्ध और सुगंधित विश्व का अन्‍वेषण करना ज़रूरी है। दृढ निश्चय आवश्‍यक है और वह ब्रू से शुरू होता है।

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