देश में 67.6 प्रतिशत लोगों में मिली Corona के खिलाफ Antibodies, 21 राज्यों के 70 जिलों के सर्वे में ICMR ने बताया
तीसरी लहर के मंडराते खतरे के बीच ICMR ने किया इशारा, खोले जा सकते हैं प्राइमरी स्कूल
नई दिल्ली। सरकार ने मंगलवार को कहा कि एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण के मुताबिक करीब 40 करोड़ लोगों को अब भी कोरोनावायरस संक्रमण का खतरा है, जबकि 6 साल से अधिक आयु की देश की आबादी के दो तिहाई हिस्से में सार्स-सीओवी-2 एंटीबॉडी पाई गई है।
सरकार ने कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के चौथे राष्ट्रीय कोविड सीरो सर्वे के नतीजों से उम्मीद की किरण नजर आ रही है, लेकिन ढिलाई की कोई जगह नहीं है और कोविड से जुड़े नियमों का अनुपालन करना होगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हालिया राष्ट्रीय सीरो सर्वे में दो तिहाई या 6 वर्ष से अधिक आयु की भारत की 67.6 प्रतिशत आबादी में सार्स-सीओवी-2 एंटीबॉडी पाई गई है।
अधिकारी ने कहा कि एक तिहाई आबादी में यह एंटीबॉडी नहीं है, जिसका मतलब है कि करीब 40 करोड़ लोगों को अब भी कोरोनावायरस संक्रमण का खतरा है। सरकार के मुताबिक सर्वेक्षण में शामिल किए गए स्वास्थ्यकर्मियों में 85 प्रतिशत में सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ एंटीबॉडी है और स्वास्थ्यकर्मियों में 10 प्रतिशत का अब तक टीकाकरण नहीं हुआ है।
सर्वेक्षण में 28,975 आम आदमी और 7,252 स्वास्थ्य कर्मियों को शामिल किया गया था। चौथे दौर का सर्वेक्षण 21 राज्यों में 70 जिलों में किया गया, जहां पिछले तीन दौर का सर्वेक्षण भी किया गया था। सरकार ने कोविड-19 से जुड़े नियमों का पालन करने पर जोर देते हुए कहा कि सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक समागम से दूर रहना चाहिए और अनावश्यक यात्राएं टालनी चाहिए।
सरकार ने कहा कि पूरी तरह से टीकाकरण कराने के बाद ही यात्रा करनी चाहिए। आईसीएमआर ने यह सुझाव भी दिया कि प्राथमिक विद्यालयों को पहले खोलना विवेकपूर्ण होगा क्योंकि बच्चे वायरस संक्रमण से कहीं बेहतर निपट सकते हैं। आईसीएमआर ने कहा कि फैसला लेने के बाद और सभी कर्मचारियों का टीकारकण होने के बाद प्राथमिक विद्यालयों को पहले खोलना विवेकपूर्ण होगा।
4 टीकों का ट्रायल : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 के चार टीकों का विभिन्न चरणों में परीक्षण चल रहा है जबकि जैनिक लाइफ साइंसेस द्वारा विकसित टीका फिलहाल क्लीनिकल पूर्व चरण में है। उन्होंने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि कैडिला हेल्थकेयर लि. के डीएनए आधारित टीके का, तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण चल रहा है। इसने आपात स्थिति में उपयोग की मंजूरी हासिल करने के वास्ते अंतरिम आंकड़े प्रस्तुत किए हैं।
उन्होंने कहा कि बायोलॉजिकल ई लि. के टीके का भी तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण चल रहा है। सिंह ने कहा कि इसके अलावा भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड के एडेनो इंट्रानेजल टीके के क्लीनिकल परीक्षण का भी तीसरा चरण चल रहा है वही जिनोवा बायोफर्मास्यूटिकल्स लि. के टीके के क्लीनिकल परीक्षण का पहला चरण चल रहा है।
सिंह ने बताया कि गुड़गांव की जैनिक लाइफ साइंसेस प्रा लि द्वारा विकसित टीका फिलहाल क्लीनिकल पूर्व चरण में है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश में सीरम इंस्ट्यिूट ऑफ इंडिया द्वारा विकसित टीका कोविशील्ड, भारत बायोटेक का कोवैक्सीन और रूस का टीका स्पूतनिक वी लोगों को लगाया जा रहा है।