नई दिल्ली। कोरोनावायरस महामारी की तीसरी लहर में बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा बताया जा रहा है। इस बीच सरकार ने मंगलवार को बताया कि देश की दो वैक्सीन निर्माता कंपनियां बच्चों के लिए कोविड रोधी टीकों का परीक्षण कर रही हैं और उम्मीद जतायी कि इन परीक्षणों के सफल होने पर बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने साथ में यह आश्वसन भी दिया कि कोरोनावायरस महामारी की पहली और दूसरी लहर के आंकड़ों को देखते हुए बच्चों को लेकर अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है।
फिर भी सरकार इस मामले में पूरी तैयारिया कर रही है। मंडाविया ने मंगलवार को राज्यसभा में कोविड-19 को लेकर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि लोग कह रहे हैं कि कोविड-19 की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए व्यवस्था की जानी चाहिए । उन्होंने कहा कि भारत की दो कंपनियां इस दिशा में काम कर रही है। जायडस कैडिला ने इसे लेकर परीक्षण शुरू कर दिया है।
उन्होंने बताया कि भारत बायोटैक कंपनी ने भी यह परीक्षण शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी उन्हें यह अनौपचारिक रूप से सूचना मिली है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वह इन कंपनियों के साथ संपर्क में हैं। उन्होंने उम्मीद जतायी कि इन कंपनियों के टीकों के परीक्षण सफल होंगे ताकि देश के सभी बच्चों के टीकाकरण के लिए खुराक उपलब्ध हो सके।
उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस महामारी की पहली लहर में शून्य से दस वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों में इसके संक्रमण की दर 3.28 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि दूसरी में लहर में यह दर 3.05 प्रतिशत थी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि लोगों में महामारी की तीसरी लहर के दौरान बच्चों को लेकर विशेष चिंता है।
उन्होंने कहा कि यह चिंता होनी भी चाहिए और सरकार ऐसी किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तैयारी भी कर रही है। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि यदि पहली और दूसरी लहर के आंकड़ों को देखा जाए तो अगली लहर में बच्चों को लेकर बहुत चिंता करने की जरूरत नहीं है। फिर भी सरकार सारी तैयारी कर रही है। (भाषा)