नई दिल्ली, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और इसके सार्वजनिक उपक्रम; जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) के समर्थन से भारत बायोटेक द्वारा विकसित नाक से दिए जाने वाले (Intranasal ) कोविड-19 टीके के आपात उपयोग को नियामक मंजूरी मिल गई है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के ताजा वक्तव्य में यह जानकारी दी गई है।
बीबीवी154 इंट्रानैसल COVID-19 वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) द्वारा मंजूरी दी गई है। बीबीवी154 नाक से दिया जाने वाला प्रतिकृति-अल्पता (इंट्रानैसल रेप्लिकेशन-डेफिसिएन्ट) वाले चिंपैंजी एडेनोवायरस सार्स-कोव-2 (SARS-COV-2) वेक्टरीकृत वैक्सीन है। इसमें स्थिर स्पाइक एसएआरएस–सीओवी-2 (वुहान वेरिएंट) को व्यक्त करने में सक्षम प्रतिकृति-अल्पता वाला सीएचएडी वेक्टर है।
इस उपलब्धि पर हर्ष व्यक्त करते हुए डीबीटी सचिव एवं बाइरैक अध्यक्ष, डॉ राजेश एस. गोखले ने कहा है कि “मिशन कोविड सुरक्षा के माध्यम से कोविड-19 के लिए सुरक्षित और प्रभावशाली टीकों के विकास के लिए डीबीटी प्रतिबद्ध है।
बीबीवी154 कोविड वैक्सीन कोविड-19 के खिलाफ 18 वर्ष से ज्यादा आयु के लोगों के लिए आपातकालीन स्थिति में सीमित उपयोग के लिए डीसीजीआई द्वारा अनुमोदित नाक द्वारा दिया जाने वाला पहला टीका है। इसे मिशन कोविड सुरक्षा के अंतर्गत देश में विकसित किया जा रहा है। इस टीके के बाद हमारी कोविड-19 वैक्सीन की सूची में एक और नाम जुड़ा है। यह भारत सरकार की आत्मनिर्भरता की पहल का एक उत्कृष्ट उदाहरण भी है।”
डीबीटी से सम्बद्ध स्वायत्त संस्थान, राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (एनआईआई), नई दिल्ली ने परीक्षण प्रतिभागियों पर वैक्सीन-प्रेरित सार्स–कोव-2-विशिष्ट प्रणालीगत और म्यूकोसल सेलुलर प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं की जाँच के लिए अपने "मानव प्रतिरक्षा निगरानी और टी-सेल इम्यूनोसे प्लेटफॉर्म" का उपयोग किया है।
इंटरैक्टिव रिसर्च स्कूल फॉर हेल्थ अफेयर्स (आईआरएसएचए), पुणे ने तीन परीक्षण स्थलों से वायरस के लिए एंटीबॉडी को निष्क्रिय करने के अनुमापांक का निर्धारण करने के लिए प्लाक रिडक्शन न्यूट्रलाइज़ेशन (पीआरएनटी) जाँच को पूरा किया है।
कोविड सुरक्षा अभियान के मिशन को डीबीटी द्वारा शुरू किया गया, और बाइरैक द्वारा कार्यान्वित किया गया। इस पहल के उद्देश्यों में आत्मनिर्भर 3.0 के भाग के रूप में कोविड-19 टीके के विकास की कोशिशों को सुदृढ़ करने, और इसमें तेजी लाना शामिल है। वैक्सीन का विकास के विभिन्न स्तरों पर डीबीटी प्रयोगशालाओं के साथ-साथ बाइरैक ने वैज्ञानिक नेतृत्व प्रदान किया है। मिशन कोविड सुरक्षा के अंतर्गत यह चौथी सफल कोविड-19 वैक्सीन है। (इंडिया साइंस वायर)