बंबई उच्च न्यायालय ने कहा, फर्जी टीकाकरण मामलों में बड़ी मछली को न छोड़ें

Webdunia
मंगलवार, 29 जून 2021 (17:30 IST)
मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि शहर में फर्जी कोविड-19 टीकाकरण शिविरों की जांच कर रही मुंबई पुलिस को ऐसे मामलों में शामिल बड़ी मछलीकी पहचान करनी चाहिए और उन्हें नहीं छोड़ना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को भी निर्देश दिया कि वह अदालत को उन कदमों के बारे में सूचित करे, जो नगर निकाय ने एंटीबॉडी के लिए ऐसे शिविरों द्वारा ठगे गए लोगों और नकली टीके के कारण उनके स्वास्थ्य पर किसी भी प्रतिकूल प्रभाव की जांच करने के वास्ते प्रस्तावित किए हैं।

ALSO READ: मुंबई में 2000 से ज्यादा लोग हुए फर्जी टीकाकरण का शिकार, सरकार ने कोर्ट को बताया
 
अदालत कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण अभियान की नागरिकों तक पहुंच बढ़ाने पर कई जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी। राज्य के वकील, अधिवक्ता दीपक ठाकरे ने उच्च न्यायालय को बताया कि इस मामले में सात प्राथमिकी दर्ज की गई हैं और 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच अभी जारी है। बीएमसी के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल सखारे ने अदालत को बताया कि आवास समितियों और कार्यालयों के लिए निजी कोविड-19 टीकाकरण शिविरों के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को बुधवार तक अंतिम रूप दिया जाएगा।

ALSO READ: मध्य प्रदेश में चल रहा टीकाकरण का फर्जीवाड़ा, 13 साल के बच्चे और मृतक को भी लगा डाली पेपर पर वैक्सीन
 
इसके बाद उच्च न्यायालय ने कहा कि अधिवक्ता ठाकरे को मामले में जांच अधिकारियों से कहना चाहिए कि वे घोटालेमें शामिल पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को नहीं बख्शें। अदालत ने कहा कि हो सकता है कि बड़ी मछली की पहचान की जानी बाकी हो। उनकी पहचान की जानी चाहिए और उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए। पुलिस को कहा जाए कि जांच सही होनी चाहिए और किसी भी दोषी व्यक्ति को छूटने नहीं देना चाहिए।

ALSO READ: मुंबई में Vaccination में फर्जीवाड़ा, 390 लोगों को लगाया टीका, 4 गिरफ्तार
 
अदालत ने कहा कि बीएमसी को पीड़ितों की जांच करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में अदालत को सूचित करना चाहिए। अदालत ने पूछा कि बीएमसी और राज्य के अधिकारी अब तक यह निर्धारित करने में असमर्थ क्यों हैं कि पीड़ितों को कोविड-19 रोधी टीके के नाम पर क्या लगाया गया है। उच्च न्यायालय ने कहा कि यह राज्य की विफलता प्रतीत होती है। निगम जांच के बारे में क्यों नहीं सोचता? आप दुर्भाग्यपूर्ण लोगों के लिए क्या करने की सोच रहे हैं, आप हमें गुरुवार को बताएं। राज्य और बीएमसी ने इससे पहले उच्च न्यायालय को बताया था कि शहर भर में कुल 2,053 लोग फर्जी टीकाकरण शिविरों के शिकार हुए हैं। उच्च न्यायालय एक जुलाई को इन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखेगा।(भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

stampede : बेंगलुरु में भगदड़ की घटना में 11 की मौत, PM मोदी ने जताया दुख, खरगे बोले- हादसा दुर्भाग्यपूर्ण

क्या आपका 500 रुपए का नोट नकली तो नहीं? इस तरह पहचानें Fake currency

Stampede : चिन्नास्वामी स्टेडियम में अंदर RCB का जश्न, बाहर लोगों की भगदड़, फोटो खिंचवाने में लगे थे कांग्रेस नेता, BJP ने लगाया आरोप

यादव के बेटे तेज प्रताप के 'जयचंद' जिक्र का क्या है मतलब, जानें क्यों गद्दारों को कहा जाता है 'जयचंद'

राहुल गांधी का लंगड़े घोड़े वाला बयान कमलनाथ, दिग्विजय की सियासत से रिटायरमेंट का संकेत?

सभी देखें

नवीनतम

बाहर से शांत पाटीदार के अंदर है सफलता के लिये ज्वालामुखी, बचपन के कोच ने क्या कहा

श्रीकांत शिंदे का बड़ा बयान, पाकिस्तान भारत के खिलाफ करता है राहुल के बयानों का इस्तेमाल

मायावती ने बताया, कैसे आएंगे बसपा के अच्छे दिन?

तेजस्वी का नए आरक्षण कानून को लेकर नीतीश को पत्र, सरकार पर लगाया टालमटोल का आरोप

बेटी से गैंगरेप के मामले में महिला भाजपा नेता गिरफ्तार, पार्टी ने भी लिया एक्शन

अगला लेख