Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कांग्रेस ने सरकार पर कोरोना के कुप्रबंधन का लगाया आरोप, टीकाकरण के लिए आयु सीमा घटाने की मांग

हमें फॉलो करें कांग्रेस ने सरकार पर कोरोना के कुप्रबंधन का लगाया आरोप, टीकाकरण के लिए आयु सीमा घटाने की मांग
, शनिवार, 17 अप्रैल 2021 (23:18 IST)
नई दिल्ली। कांग्रेस ने कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी से निपटने में केंद्र सरकार पर कुप्रबंधन और अक्षमता का आरोप लगाते हुए शनिवार को कहा कि तत्काल सुधारात्मक उपाय नहीं किए गए तो देश को अभूतपूर्व विनाश का सामना करते रहना पड़ेगा। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में यह कहा कि टीकाकरण के लिए आयु सीमा को घटाकर 25 साल किया जाए तथा अस्थमा, मधुमेह और कुछ अन्य बीमारियों से पीड़ित युवाओं को प्राथमिकता के आधार पर टीका लगाया जाए।

उन्होंने यह आग्रह भी किया कि सरकार को कोरोना महामारी से निपटने के लिए जरूरी चिकित्सा उपकरणों और दवाओं को जीएसटी से मुक्त करना चाहिए तथा कोरोनावायरस संक्रमण के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कदम उठाने पर गरीबों को प्रति माह छह हजार रुपए की मदद देनी चाहिए।

सीडब्ल्यूसी की बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, पार्टी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और कार्य समिति के कई अन्य सदस्य शामिल थे।सीडब्ल्यूसी की बैठक में यह फैसला भी किया गया है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पार्टी के सुझावों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजेंगे।

कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बताया कि सोनिया गांधी ने नेताओं और कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया है कि वे देशभर में जरूरतमंद लोगों की मदद करें। प्रदेश कांग्रेस कमेटियों से कहा गया है कि वे राज्य स्तर पर कंट्रोल रूम और हेल्पलाइन स्थापित करें ताकि लोगों की मदद की जा सके।

बैठक में दिए गए अपने संबोधन में सोनिया ने बड़ी संख्या में लोगों के कोरोनावायरस संक्रमण के चपेट में आने और रोजाना सैकड़ों लोगों की मौत होने पर दुख जताते हुए कहा कि इस संकट की घड़ी में अपना कर्तव्य निभा रहे स्वास्थ्यकर्मियों एवं दूसरे कर्मचारियों को कांग्रेस सलाम करती है।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र तथा कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ अपनी बैठक का उल्लेख किया और आरोप लगाया कि कई जगहों पर टीकों, ऑक्सीजन और वेंटिलेंटर की कमी हो रही है, लेकिन सरकार चुप्पी साधे है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, सरकार को टीकाकरण के लिए अपनी प्राथमिकता पर पुनर्विचार करना चाहिए और आयु सीमा को घटाकर 25 साल करना चाहिए। अस्थमा, मधुमेह, किडनी और लीवर संबंधी बीमारियों से पीड़ित सभी युवाओं को टीका लगाया जाना चाहिए।उल्लेखनीय है कि टीकाकरण के लिए अभी न्यूनतम आयु सीमा 45 साल निर्धारित है।

सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया,भारत में कोविड-19 का पहला मामला 30 जनवरी, 2020 को सामने आया था। भारत में कोविड का पहला टीका 16 जनवरी, 2021 को लगाया गया था। इन दो तारीखों के बीच और उसके पश्चात, त्रासदी, अक्षमता और भारी कुप्रबंधन की एक विस्तृत गाथा है।कांग्रेस कार्य समिति ने आरोप लगाया कि पहले दिन से ही केंद्र सरकार ने महामारी के नियंत्रण से संबंधित सभी शक्तियां और अधिकार अपने हाथों में ले लिए।

कांग्रेस की शीर्ष इकाई ने कहा, संक्रमण से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए गए प्रारंभिक उपाय सतही थे। जब कोई टीका या उपचार उपलब्ध नहीं था, ऐसी परिस्थितियों में रोकथाम ही मात्र विकल्प था। उसके लिए ‘टेस्टिंग, ट्रैकिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट’ की आवश्यकता थी। लेकिन इस दिशा में भी केंद्र सरकार का प्रयास अपर्याप्त रहा।
ALSO READ: 100 दिन तक रह सकती है Coronavirus की दूसरी लहर
बयान में दावा किया गया, पर्याप्त धन और अन्य रियायतें प्रदान करके भारत में दो स्वीकृत टीकों के उत्पादन और आपूर्ति में तेजी से वृद्धि करने में विफलता रही। भारत में अन्य टीका बनाने वाली कंपनियों के स्वीकृत टीकों के अनिवार्य लाइसेंसिंग और उत्पादन का विकल्प अपनाने में विफलता रही।
ALSO READ: ‘जीनोम सीक्वेंसिंग’ से लगेगा Coronavirus के Double Mutation का पता
सीडब्ल्यूसी ने कहा, पहले चरण में स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कर्मियों के टीकाकरण के बाद सार्वभौमिक टीकाकरण लागू करने में विफलता रही। टीकाकरण कार्यक्रम में पूर्व पंजीकरण और नौकरशाही नियंत्रण से छुटकारा दिलाने में विफलता रही। टीकाकरण का क्रियान्वयन राज्य सरकारों और सरकारी तथा निजी अस्पतालों को सौंपने में विफलता रही।

उसने यह आरोप भी लगाया, आत्मनिर्भरता के अव्यावहारिक जोश के कारण अन्य ऐसे टीकों के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी देने में विफलता रही, जिन्हें अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ और जापान में मंजूरी मिल गई थी।सीडब्ल्यूसी ने दावा किया कि राज्यों को पर्याप्त मात्रा में टीके उपलब्ध नहीं कराए गए।
ALSO READ: इंसानों के साथ जंगल को भी खा रहा है Coronavirus
उसने कहा, अपारदर्शी पीएम-केयर फंड में सैकड़ों करोड़ रुपए जमा होने के बावजूद राज्य सरकारों को पर्याप्त धन मुहैया कराने में केंद्र विफल रहा, जबकि राज्य दो मोर्चों पर युद्ध लड़ रहे थे- एक महामारी के खिलाफ और दूसरा आर्थिक मंदी के खिलाफ।सीडब्ल्यूसी ने कहा, लोगों को समझना होगा कि जब तक तत्काल सुधारात्मक उपाय नहीं किए जाएंगे, राष्ट्र को एक अभूतपूर्व विनाश का सामना करते रहना पड़ेगा। आशा करते हैं कि सरकार विवेक और सद्बुद्धि से काम लेगी।(भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

24 घंटे में मिले कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट, शिवराज की अफसरों को दो टूक