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कोविड-19 के खिलाफ शुरू हुआ आयुर्वेदिक दवाओं का परीक्षण

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, शनिवार, 9 मई 2020 (13:20 IST)
उमाशंकर मिश्र,

नई दिल्ली, वैज्ञानिक एक तरफ सेप्सिस, टीबी, मलेरिया और अन्य बीमारियों में उपयोग होने वाली दवाओं का परीक्षण कोविड-19 के मरीजों के उपचार के लिए कर रहे हैं, तो दूसरी ओर इस महामारी से निपटने के लिए अब चार आयुर्वेदिक यौगिकों का परीक्षण भी शुरू किया गया है।

जिन चार आयुष (आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) यौगिकों का कोविड-19 के खिलाफ परीक्षण किया जा रहा है, उनमें अश्वगंधा, यष्टिमधु, गुडुची, पिप्पली और मलेरिया-रोधी दवा आयुष-64 शामिल हैं।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण व आयुष मंत्रालय द्वारा यह परीक्षण वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ मिलकर किया जा रहा है। आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों के अनुसार कोरोना संक्रमण के शिकार मरीजों के परिजनों और उनका इलाज करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) दिया जा रहा है, ताकि उन्हें कोविड-19 के प्रकोप से बचाया जा सके। अब एचसीक्यू के साथ-साथ कुछ लोगों को अश्वगंधा, यष्टिमधु, गुडुची व पिप्पली और आयुष-64 देकर उसके प्रभावों का भी पता लगाया जाएगा।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा है कि “कोविड-19 के उपचार में इन दवाओं की उपयोगिता का पता लगाने के लिए स्वास्थ्य और आयुष मंत्रालय ने आईसीएमआर और सीएसआईआर के साथ मिलकर संयुक्त अभियान शुरू किया है, जिसमें वैज्ञानिक  परीक्षणों के जरिये पता लगाया जाएगा कि ये दवाएं किसी व्यक्ति को कोरोना से बचाने में कितनी कारगर हैं। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों पर यह परीक्षण किया जाएगा।”

हाल में, फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरणों के लिए राष्ट्रीय स्तरीय नियामक संस्था- सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने आयुर्वेद और होम्योपैथी चिकित्सकों को कोविड-9 बीमारी की बेहतर समझ विकसित करने के लिए संगरोध (क्वारांटाइन) केंद्रों में शोध करने की अनुमति दी थी।

देश के 25 राज्यों में आयुष मंत्रालय के तहत चार अनुसंधान परिषदों, विभिन्न राष्ट्रीय संस्थानों और कई राज्य सरकारों के साथ मिलकर यह अध्ययन किया जाएगा। इसके साथ ही, सरकार ने एक ऐप – ‘संजीवनी’ भी लॉन्च किया है, जिसकी मदद से आयुष मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के आधार पर हर्बल दवाओं के सेवन से जुड़े अनुभवों से संबंधित आंकड़े एकत्रित किए जाएंगे। (इंडिया साइंस वायर)

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