नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र के एशिया प्रशांत आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (यूएनइस्केप) ने कोरोना वायरस के मद्देनजर भारत द्वारा उठाए गए कदमों की तारीफ की है।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लिए यूएनइस्केप का वर्ष 2020 का आर्थिक एवं सामाजिक सर्वेक्षण जारी किया गया। इसमें कहा गया है कि कोरोना वायरस के कारण मौजूदा वित्त वर्ष में क्षेत्र आर्थिक मंदी से इनकार नहीं किया जा सकता। संस्था ने बुधवार को पेश प्रस्तुतिकरण में आर्थिक विकास दर के बारे में कोई अनुमान जारी नहीं किया, लेकिन कहा है कि अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट देखी जा सकती है।
हालांकि 10 मार्च की स्थिति के आधार पर तैयार लिखित रिपोर्ट में भारत की विकास दर 2019-20 के 5 फीसदी से घटकर चालू वित्त वर्ष में 4.8 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष में सुधरकर 5.1 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जारी किया गया है।
इस मौके पर यूएनइस्केप के वृदह नीति एवं विकास-वित्त पोषण विभाग की प्रमुख श्वेता सक्सेना ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि भारत की नीति अब तक सही दिशा में जा रही है। पूरे देश में लॉकडाउन किया गया है। कोरोना से उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के एक प्रतिशत के बराबर की राशि का प्रावधान किया है। पिछले दिनों रिजर्व बैंक ने भी नीतिगत उपायों की घोषणा की है।
उन्होंने कहा कि जहां तक यह प्रश्न है कि क्या और ज्यादा करने की जरूरत है तो आगे जैसी स्थिति होगी सरकार उसके हिसाब से कदम उठा सकती है।
विभाग के निदेशक हमजा अली मलिक ने कहा कि सरकारों को बड़े पैमाने पर और लक्षित उपाय करने की जरूरत है। गरीबों और हासिये पर जी रहे लोगों की निश्चित आमदनी सुनिश्चित की जाए। उन्हें वित्तीय घाटा बढ़ने की कीमत पर भी स्वास्थ्य पर निवेश करना चाहिए।
मलिक ने कहा कि कोविड-19 के मद्देनजर नीतियों में अर्थव्यवस्था को दुबारा पटरी पर लाने से अधिक लोगों को प्राथमिकता देनी होगी। सरकारों को स्वास्थ्य आपात तंत्र में निवेश करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद स्थिति पूरी तरह बदल गयी है और हर दिन बदल रही है। इसलिए यूएनइस्केप अभी किसी भी देश के बारे में कोई विकास अनुमान जारी नहीं कर रहा है। (वार्ता)