लंदन। कोरोनावायरस से संक्रमित न हो पाए लोगों की तुलना में संक्रमित पाए गए लोगों के 'न्यूरोडीजेनेरेटिव' विकारों की चपेट में आने का अधिक जोखिम रहता है। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों को कोरोनावायरस का संक्रमण हुआ है, उनके अल्जाइमर, पार्किंसन रोग और 'इस्केमिक स्ट्रोक' से ग्रस्त होने की आशंका काफी अधिक रहती है।
इस्केमिक स्ट्रोक तब होता है, जब मस्तिष्क के हिस्से में रक्त की आपूर्ति बाधित या कम हो जाने से मस्तिष्क के ऊतकों को ऑक्सीजन व पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में रविवार को यूरोपीय न्यूरोलॉजी अकादमी के 8वें सम्मेलन में प्रस्तुत किए गए अध्ययन में डेनमार्क की आधे से अधिक आबादी के स्वास्थ्य रिकॉर्ड का विश्लेषण किया गया।
अध्ययन के अनुसार कुल 9,19,731 लोगों की कोविड-19 जांच की गई जिनमें से 43,375 लोग संक्रमित पाए गए। इन लोगों के अल्जाइमर से पीड़ित होने की आशंका 3.5 गुना अधिक थी। इस अध्ययन में कहा गया है कि इन लोगों के पार्किंसन से पीड़ित होने की आशंका 2.6 गुना, इस्केमिक स्ट्रोक से पीड़ित होने की आशंका 2.7 गुना और इंटरसेरीब्रल हेमोरेज (मस्तिष्क में रक्तस्राव) होने की आशंका 4.8 गुना अधिक थी।
अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि 'न्यूरोइन्फ्लेमेशन' न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों के त्वरित विकास का कारण हो सकता है। अध्ययन के दौरान फरवरी 2020 और नवंबर 2021 के बीच डेनमार्क में कोविड रोगियों, पूर्व रोगियों और महामारी के पहले से इन्फ्लुएंजा के रोगियों का भी विश्लेषण किया गया। अध्ययनकर्ताओं ने संभावित खतरे की गणना के लिए सांख्यिकीय तकनीकों का उपयोग किया और परिणामों को अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति, आयु, लिंग और सहवर्ती रोगों के आधार पर बांटा गया।(भाषा)
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