जम्मू। ओमिक्रॉन वायरस की प्रदेश में दस्तक के बाद से सबसे बड़ा खतरा देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले वैष्णो देवी के श्रद्धालु भी हैं। औसतन प्रतिदिन 15 से 25 श्रद्धालु संक्रमित पाए जा रहे हैं जिन्हें क्वारांटीन करने की बजाय उन्हें वापस लौटाया जा रहा है।
जम्मू में ओमिक्रॉन के तीन मामलों की पुष्टि हो चुकी है। तीनों मरीजों की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। उन्होंने सिर्फ शादी समारोहों में शिरकत की थी। हालांकि इसमें एक छात्र भी है जो कहीं नहीं गया था। बताया जा रहा है कि कश्मीर में भी इतनी ही संख्या में ओमिक्रॉन के मामले सामने आए हैं पर उनकी अभी तक सरकारी तौर पर पुष्टि नहीं हो पाई थी। लद्दाख में भी ओमिक्रॉन के एक मामले की पुष्टि हो गई है।
नतीजतन ओमिक्रॉन का खतरा प्रदेश में बढ़ता जा रहा है। प्रशासन सामाजिक दूरी और कोरोना प्रतिबंधों को न मानने पर लाकडाउन लगाए जाने जैसे उपायों की चेतावनी देने लगा है।
हालांकि प्रदेश में आने वाले लोगों में से वैक्सीन की दो खुराकें लेने वालों का छूट दी जा रही है पर चौंकाने वाली बात यह थी कि पिछले कुछ दिनों से वैष्णो देवी के तीर्थस्थान पर आने वालों में से औसतन 15 से 25 जो संक्रमित आ रहे हैं उनमें से कई ऐसे थे जिन्होंने वैक्सीन की 2-2 खुराकें ले रखी थीं।
ऐसे में चिंता और बढ़ जाती है जिसमें प्रशासन का वह तरीका तड़का जरूर लगाता था जो उसने संक्रमित पाए जाने वालों के लिए अपना रखा था। देश के अन्य भागों से आने वालों में जो संक्रमित पाया जा रहा है उसे क्वारांटाइन की कवायद से बचने की खातिर उन्हें वापस उनके घरों में लौटाया जा रहा है। यह वापसी सिर्फ प्रदेश के प्रवेश द्वार लखनपुर तक ही सीमित है। अर्थात संक्रमितों को प्रदेश की सीमा के बाहर कर दिया जा रहा है और वह आगे कहां जाएगा कोई चिंता नहीं है।