मुंबई। साइबर जालसाजी करने वाले कुछ लोग कोविड-19 से ठीक हुए रोगियों के रक्त प्लाजमा को अवैध ढंग से डार्क नेट पर बेचते हुए पाए गए हैं, जिसका वे कोरोना वायरस संक्रमण के चमत्कारिक इलाज के तौर पर प्रचार कर रहे थे। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी दी। भारत और अन्य देशों में कोविड-19 के गंभीर मामलों के उपचार के लिए प्रायोगिक आधार पर प्लाज्मा थैरेपी का उपयोग किया जा रहा है।
महाराष्ट्र साइबर पुलिस के विशेष पुलिस महानिरीक्षक यशस्वी यादव ने कहा कि इसी बात का फायदा उठाते हुए, जालसाज ठीक हुए मरीजों के प्लाज्मा (रक्त का एक घटक) को डार्क नेट पर चमत्कारिक इलाज के तौर प्रचारित कर इसे बेचने की पेशकश कर रहे हैं, जो कि वायरस के लिए एंटीबॉडी माना जाता है।
उन्होंने कहा कि हमारी टीम इसकी जांच कर रही है। हमें इस तरह के किए गए प्रचार के स्क्रीन शॉट मिल गए हैं। उन्होंने बताया कि इसकी वेबसाइट डार्क नेट पर मौजूद हैं, जो सूचीबद्ध नहीं है। उन्होंने बताया कि इस तरह की अवैध गतिविधियों पर नजर रखने के अलावा साइबर पुलिस सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री के प्रसार और गलत सूचनाओं पर भी नजर रख रही है।
देश में पहली बार महाराष्ट्र साइबर पुलिस आपत्तिजनक सामग्री ऑनलाइन प्रसारित करने वालों को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 149 के तहत नोटिस भेज रही है। धारा 149 पुलिस को संभावित अपराध को रोकने के लिए कदम उठाने की शक्ति देती है।
यादव ने कहा कि अब तक 122 ऑनलाइन यूजर्स को नोटिस भेजे जा चुके हैं और 60 से अधिक लोगों द्वारा पोस्ट या शेयर की गई आपत्तिजनक सामग्री को हटा दिया गया है। (भाषा)