दिल्ली। देश में कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 टीकों की कमी को पूरा करने के लिए सरकार इनके उत्पादन को बढ़ाने की संभावना तलाश रही है। इसमें स्वदेशी रूप से विकसित 'कोवैक्सीन' टीके के लिए भारत से बाहर उत्पादन स्थलों की पहचान करना शामिल है।
सूत्रों ने यह जानकारी दी है। सूत्रों के अनुसार सरकार कोवैक्सीन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ चर्चा करने पर भी विचार कर रही है। साथ ही वह मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन और अन्य वैक्सीन निर्माताओं के साथ प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के आधार पर भारत में तीसरे पक्ष के निर्माताओं को स्वैच्छिक लाइसेंस देने के मामले पर भी चर्चा करेगी।
सूत्रों ने कहा 18 मई को हुई अंतर-मंत्रालयी बैठक में कोविड-19 रोगियों के इलाज में इस्तेमाल की जा रही दवाओं और टीकों की उपलब्धता बढ़ाने के विकल्पों पर चर्चा की गई, जिनमें स्वैच्छिक लाइसेंस, अनिवार्य लाइसेंस और पेटेंट अधिनियम, 1970 के तहत सरकारी इस्तेमाल को मंजूरी देने जैसे विकल्प शामिल हैं।
विदेश मंत्रालय ने 'कोविशील्ड' के निर्माता एस्ट्राजेनेका से बात कर उसे भारत में और अधिक स्वैच्छिक लाइसेंस देने के लिए प्रोत्साहित करने का भी सुझाव दिया है। सूत्रों ने कहा कि जहां तक फाइजर के टीके की बात है तो उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) इस मामले पर विदेश मंत्रालय, नीति आयोग, और विधि सचिव से चर्चा कर फाइजर द्वारा प्रस्तावित क्षतिपूर्ति और दायित्व समझौते के मुद्दे पर स्थिति रिपोर्ट तैयार करेगा।
कई राज्य टीकों की कमी की शिकायत कर चुके हैं। इससे निपटने के लिए सरकार कोवैक्सीन के उत्पादन को बढ़ाने के उपाय कर रही है।(भाषा)