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ऑक्सीजन से वेंटिलेटर तक... भारत में Omicron से निपटने की मोदी सरकार की क्या है तैयारी?

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, सोमवार, 20 दिसंबर 2021 (18:12 IST)
नई दिल्ली। दुनियाभर में कोरोनावायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर हड़कंप मचा हुआ है। भारत में भी नए वैरिएंट के 161 मामले आ चुके हैं। भारत ने इस वैरिएंट से निपटने के लिए कितनी तैयारी कर रखी है। इसकी जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दी।
 
राज्यसभा में ‘कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमिक्रॉन की वजह से उत्पन्न हालात’ पर हुई अल्पकालिक चर्चा का जवाब दे रहे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि देश में ओमिक्रॉन के 161 मामले अब तक सामने आए हैं जिनमें से 13 फीसदी मामलों में लक्षण अत्यंत मामूली हैं। 80 प्रतिशत मामलों में कोई लक्षण सामने नहीं आए। 44 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। ’
भ्रम न फैलें : उन्होंने बताया कि 96 देशों में ओमिक्रॉन फैल चुका है और इसके प्रभावों पर सतत नजर रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार वायरस के इस स्वरूप को लेकर पूरी तरह सतर्क है तथा आने वाले समय में इसे लेकर जरूरत के अनुसार परामर्श जारी किए जाएंगे जिनके आधार पर ही अवलोकन किया जाना चाहिए ताकि लोगों में किसी तरह का भ्रम न फैले।
 
काम आएगा पहली और दूसरी लहर का अनुभव : मांडविया ने कहा कि कोविड महामारी की पहली और दूसरी लहर में मिले अनुभवों को भी ध्यान में रखते हुए कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है और वैज्ञानिक समुदाय भी इस बात से सहमत है कि कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप के लिए भी दवाएं और प्रोटोकॉल वही होंगे जो इस घातक वायरस के डेल्टा, गामा सहित अन्य स्वरूपों के लिए रहे हैं। 
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प्रयोगशाला की संख्या में बढ़ोतरी : उन्होंने कहा कि अब तक ओमिक्रॉन के जो 161 मामले सामने आए हैं वे राजस्थान, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, चंडीगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना, गुजरात आदि अलग अलग राज्यों के हैं। उन्होंने कहा कि ओमिक्रॉन के मामलों का जल्दी पता लगाने के लिए और ‘जीनोम सीक्वेंसिंग’ के लिए 38 प्रयोगशालाएं काम कर रही हैं। हमारी उपलब्धि प्रति माह 30,000 ‘जीनोम सीक्वेंसिंग’ की है जिसे बढ़ाने के प्रयास जारी हैं।
 
सदस्यों ने किया हंगामा : मंत्री ने कहा कि कोविड महामारी के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार टीकाकरण है और हमारे देश की 88 फीसदी आबादी को कोविड रोधी टीके की पहली खुराक तथा 58 फीसदी आबादी को दूसरी खुराक लग चुकी है। मांडविया जब चर्चा का जवाब दे रहे थे उस समय विपक्षी सदस्य 12 निलंबित सदस्यों का निलंबन समाप्त करने और लखीमपुर खीरी मामले को लेकर गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ को हटाने की मांग करते हुए सदन में हंगामा कर रहे थे।
 
हंगामे के बीच मांडविया ने कहा  कि देश की 130 करोड़ आबादी का टीकाकरण आसान नहीं था। लेकिन भारत ने अभियान चलाया और उसे सफलता मिली। ब्रिटेन में 76 फीसदी लोगों को, अमेरिका में 72 फीसदी लोगों को, जर्मनी में 73 फीसदी और इटली में 79 फीसदी लोगों को पहली खुराक मिली।
ये सभी विकसित देश हैं जहां स्वास्थ्य अवसंरचना बहुत मजबूत है। लेकिन इसके सापेक्ष देखें तो विविधता और विषमता के बावजूद हमारे देश में 88 फीसदी लोगों को टीके की पहली खुराक और 58 फीसदी आबादी को दूसरी खुराक मिल चुकी है। देश की बड़ी आबादी का टीकाकरण हो चुका है और लोगों को कोविड से बड़ी सुरक्षा हासिल हुई है।  इसके लिए उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों की सराहना की।
 
मंत्री ने कहा कि देश में हर राज्य के पास पर्याप्त मात्रा में टीका उपलब्ध है। राज्यों के पास 17 करोड़ खुराक है। उन्होंने कहा कि भारत में हर माह टीकों की 31 करोड़ खुराक का उत्पादन हो रहा है जो जल्द ही बढ़ जाएगा और अगले दो माह में यह 45 करोड़ खुराक प्रति माह हो जाएगी। उन्होंने बताया कि अभी दो कंपनियां देश में टीका तैयार कर रही हैं लेकिन दो और कंपनियों के आंकड़े हमें मिल गए हैं और उम्मीद है कि उन्हें जल्द ही अनुमति मिल जाएगी।
 
उन्होंने कहा कि एक समय था जब टीके पर अनुसंधान करने के बाद उसे स्वीकृति मिलने में कुछ साल तो लग ही जाते थे। लेकिन हमने नियमों को सरल बनाया और मात्र नौ माह के भीतर, शोध के बाद देश को टीका मिल गया। अनुसंधान से लेकर उत्पादन तक, सब देश में ही हुआ।
 
मंत्री ने बताया कि आज टीके की 137 करोड़ खुराक लोगों को लग चुकी है। यह भी एक बड़ी उपलब्धि है कि एक दिन में लोगों को टीके की ढाई करोड़ खुराक लगी। कभी देश के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पूछने पर कहा था ‘सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा।’आज एक बार फिर देश में कुछ अच्छा हुआ है जिसकी सराहना की जानी चाहिए। कई देशों की तो आबादी भी ढाई करोड़ नहीं है। हमारे यहां तो ढाई करोड़ लोगों को एक ही दिन में टीका लगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर लोग टीका लगवाने के लिए खुद आगे आए। आलोचना ठीक है, लेकिन राष्ट्र गौरव की बात हो तो सबको एकजुट होना चाहिए।’’
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बफर मनी की व्यवस्था : मांडविया ने कहा कि देश में ओमिक्रॉन के कारण उत्पन्न वर्तमान स्थिति को देखते हुए परेशान या चिंतित होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे निपटने के लिए सरकार ने तैयारी कर रखी है और तैयारियां जारी भी हैं, पहले का भी अनुभव है। राज्यों को 22 हजार करोड़ रुपए का कोविड-2 पैकेज दिया गया है। इसके माध्यम से राज्य अस्पतालों में समुचित व्यवस्था करेंगे। इसमें बच्चों के लिए यूनिट बनाने से लेकर ऑक्सीजन, बेड की व्यवस्था आदि शामिल है और फिर एक करोड़ रुपये बफर मनी के रूप में रखे जाएंगे।
 
सतर्कता के निर्देश : उन्होंने बताया कि ओमीक्रोन कोरोना वायरस का एक नया स्वरूप है । इसका मामला 24 नवंबर को पहली बार अफ्रीका में पाया गया और फिर यह बोत्सवाना सहित दूसरे देशों में भी फैला। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे ‘चिंता’ करार दिया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ-साथ भारत भी इसके विभिन्न पहलुओं पर नजर बनाए हुए है और सरकार पूरी तरह सतर्क है। मंत्री ने बताया कि सरकार पूरी सतर्कता बरत रही है और जिस देश में इसके मामले हैं, उसे जोखिम वाला देश मान कर, वहां से आने वाले लोगों की हवाई अड्डे पर आरटी-पीसीआर जांच, घर में सात दिन पृथक-वास, फिर पुन: जांच आदि विशेष मानक प्रक्रिया (एसओपी) तय की गए हैं।
 
दवाओं का बफर स्टॉक : उन्होंने बताया कि विशेषज्ञ दलों के साथ नियमित चर्चा कर इसके पहलुओं के बारे में आकलन किया जा रहा है जिसमें टीकाकरण करवा चुके लोगों पर और जिन्हें टीका नहीं लगा है, उन पर इसका असर, इसका इलाज आदि शामिल है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि सभी राज्यों के पास पर्याप्त दवा उपलब्ध हो। इसके लिए कोविड पैकेज दो में प्रावधान किया गया है। 
 
दवाओं का बफर स्टॉक रखा गया है। ऑक्सीजन संयंत्रों की क्षमता बढ़ाई जा चुकी है। आज 48,000 वेंटीलेटर राज्यों के पास भेजे गए हैं। वेंटीलेटर की खराबी की शिकायतें पहले मिली हैं जिन्हें देखते हुए तय किया गया कि जिस राज्य को भी वेंटीलेटर दिए गए, वह लिखित में उसके बारे में हमें प्रमाण-पत्र दे। आज 48,000 वेंटीलेटर के बारे में राज्यों से सकारात्मक रिपोर्ट हमें मिल चुकी है। 
उन्होंने बताया कि हम राज्यों को वेंटीलेटर देते हैं। राज्य अस्पतालों को वेंटीलेटर मुहैया कराते हैं। को विड से निपटने में विपक्ष द्वारा सरकार की आलोचना किए जाने का अप्रत्यक्ष संदर्भ देते हुए मांडविया ने कहा ‘‘यह विषय राजनीतिक का बिल्कुल नहीं है। प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि इस महामारी से एकजुट हो कर लड़ना है। दूसरी लहर में ऑक्सीजन की मांग तेजी से बढ़ी।
 
हमने ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ाया। औसतन 1000 से 1500 टन की मांग अचानक बढ़ी और 9000 टन की मांग पूरी करने की व्यवस्था की गई। विमान, ट्रेन, जहाजों से भी ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई। विदेश से भी जरूरत के अनुसार ऑक्सीजन मंगवाई गई। तब भी राजनीति हुई और समर्थन करने के बजाय लोग अदालतों में गए तथा कोटा मंजूर करवाया गया। ऑक्सीजन के टैंकर मंगवा लिए गए लेकिन रखने की व्यवस्था नहीं की गई....। यह राजनीति नहीं तो और क्या था।’’
 
मंत्री ने कहा कि अगर हम महामारी के खिलाफ एकजुट होते तो सफलता का दायरा अधिक व्यापक होता। दुनिया में जब कोविड संकट प्रबंधन की बात होगी तो हिंदुस्तान की ही सराहना होगी। तब कोई भारतीय जनता पार्टी की सरकार को नहीं बल्कि भारत को ही देखेगा। यह राष्ट्र गौरव की बात है।’’
 
मांडविया ने बताया कि टीके का प्रभाव देखने के लिए ‘कल्चर डेवलप’ करना होता है और ओमिक्रॉन स्वरूप का ‘कल्चर डेवलप’ कर उस पर टीके का प्रभाव देखा जा रहा है। एक सप्ताह में इसकी रिपोर्ट आ जाएगी। उन्होंने कहा कि कोविड को लेकर सरकार की ओर से दी जाने वाली अद्यतन सूचना पर ही ध्यान देना चाहिए और किसी तरह का भ्रम नहीं फैलने देना चाहिए।

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