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हवा से फैलता है ओमिक्रॉन वैरिएंट, एक्सपर्ट से जानें संक्रमण से कैसे बचेंगे आप?

हवा से फैलने वाले ओमिक्रॉन वैरिएंट के दावों की पूरी पड़ताल

हमें फॉलो करें हवा से फैलता है ओमिक्रॉन वैरिएंट, एक्सपर्ट से जानें संक्रमण से कैसे बचेंगे आप?
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विकास सिंह

, मंगलवार, 7 दिसंबर 2021 (13:24 IST)
दुनिया के साथ भारत में तेजी से फैले रहे ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर लगातार नई स्टडी सामने आती जा रही है। अब तक सबसे तेजी से फैलने वाले कोरोना के खतरनाक ओमिक्रॉन वायरस हवा के जरिए भी फैल रहा है। हॉन्गकॉन्ग यूनिवर्सिटी की एक नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट हवा के जरिए फैलकर लोगों को संक्रमित कर रहा है।

मेडिकल जर्नल इमर्जिंग इन्फेक्शयस डिसीज में छपी नई स्टडी में बताया गया है कि हॉन्गकॉन्ग में एक होटल में आमने-सामने कमरे में ठहरे दो यात्री ओमिक्रॉन पॉजिटिव पाए गए है। जबकि दोनों व्यक्ति एक दूसरे के संपर्क में नहीं आए। स्टडी में आशंका है कि हवा के जरिए फैले वायरस के संपर्क में आने वह संक्रमित हुए होंगे।

तेजी से फैलने वाले ओमिक्रॉन वैरिएंट क्या हवा के जरिए भी लोगों को संक्रमित कर सकता है इस सवाल पर  बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में आनुवंशिकी (जैनेटिक्स) के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे कहते हैं कि हवा के जरिए ओमिकॉन वैरिएंट इसलिए फैल सकता है क्योंकि यह बहुत ही अधिक इन्फेक्टिव है। इसलिए इस वायरस के हवा के जरिए फैलने के चांस बहुत ज्यादा बढ़ जाते है।
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वह आगे कहते हैं कि ओमिक्रॉन वैरिएंट की जो इनफेक्टिविटी हाई है उसका सबसे बड़ा कारण है कि कम मॉलिक्यूल भी लोगों को संक्रमित कर रहे है। कोरोना वायरस से अब तक आए वैरिएंट पर की गई अब तक की स्टडी बताती है कि सामान्य तौर पर जब वायरस के 100 मॉलिक्यूल किसी व्यक्ति के अंदर जाते है तो वह कोरोना संक्रमित हो सकता है। 
 
ज्ञानेश्वर चौबे आगे कहते हैं कि ओमिक्रॉन वैरिएंट में बहुत संभावना है कि कम और छोटे मॉलिक्यूल भी लोगों को संक्रमित कर रहे है। ऐसे में अगर मान लिया जाए 100 मॉलिक्यूल वाला छोटा कण 5 मीटर आगे जाता है तो उससे छोटा मॉलिक्यूल वाला कण 10 मीटर आगे जाएगा। इसलिए ओमिक्रॉन वायरस की इनफेक्टिविटी ज्यादा है क्योंकि कम मॉलिक्यूल भी लोगों को आसानी से संक्रमित कर दे रहे है और यहीं कारण है कि यह वैरिएंट बहुत तेजी से फैल रहा है। 
 
वहीं कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में देश के प्रमुख रणनीतिकार भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्था (ICMR) के महामारी विज्ञान और संक्रामक रोग विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. रमन गंगाखेडकर डॉक्टर ने ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में बताया था कि कोरोना वायरस का संक्रमण मुख्य रुप से दो तरह से फैलता है जिसमें पहला ड्रॉपलेट इंफेक्शन होता है और दूसरा एयरोसोल ट्रांसमिशन। 
 
कोरोना के एयरोसोल के ट्रांसमिशन का खतरा वहां अधिक होता है जहां सही तरीके से वेंटीलेशन नहीं होता है जैसे बंद कमरे। बंद स्थानों पर देर तक हवा में कोरोना वायरस का विषाणु रहता है। ऐसे में बंद जगह जब लोग इक्ट्ठा होते है तो किसी संक्रमित व्यक्ति से न निकलने वाले एयरोसोल दूसरे अन्य लोगों को भी संक्रमित कर सकते है। 
 
ऐसे में जब ओमिक्रॉन वैरिएंट के मामले भारत मे तेजी से बढ़ते जा रहे है और स्टडी में यह सामने आ चुका है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट हवा के जरिए फैल कर लोगों को संक्रमित कर सकता है तब एक्सपर्ट मास्क पहनने के साथ ऐसी जगह से जाने से बचने की सलाह दे रहे है जहां वेंटीलेशन नहीं है क्योंकि यहां पर संक्रमित व्यक्ति के एयरोसोल से आप संक्रमण का शिकार हो सकते है। इसके साथ सार्वजनिक स्थल पर आपको सोशल डिस्टेंसिंग बनानी होगी। 
 
एक्सपर्ट कहते हैं कि वायरस का तेजी से संक्रमण वहीं होगा जहां वेंटीलेशन नहीं होगा। जैसे बंद कमरे अगर कोई संक्रमित व्यक्ति आता है तो एयरोसोल की वजह से दूसरे लोगों के संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है। अगर आप कोई संयमित व्यवहार कर रहे है तो आपक इंफेक्शन से बच सकते है। अगर आप सोशल डिस्टेंसिंग नहीं कर रहे तो आप इंफेक्शन में आ सकते है। 
 

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