चीन में कहर मचाने वाले ओमिक्रॉन का सब वैरिएंट BF.7 भारत में बेअसर, नेचुरल इम्युनिटी कोरोना को दे रही मात!
जुलाई और सितंबर में ही भारत में दस्तक दे चुका है ओमिक्रॉन का सब वैरिएंट BF.7,संक्रमित मरीजों में कोरोना के माइल्ड लक्षण
चीन के साथ दुनिया के कई देशों में कोरोना के बढ़ते केसों ने भारत में कोरोना की नई लहर को लेकर एक बार फिर चिंता बढ़ा दी है। कोरोना के किसी नए संभावित खतरे को लेकर सरकार अलर्ट मोड पर है। शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ बैठक कर कोरोना को लेकर सतर्कता बरतने के निर्देश दिए। केंद्र ने राज्यों को अस्पतालों में पर्याप्त तैयारी रखने के निर्देश दिए है। केंद्र ने लोगों को मास्क लागने और कोविड एप्रोपियट व्यवहार का पालन करने की सलाह दी है।
एक ओर जहां चीन में कोरोना के ओमिक्रॉन का सब वेरिएंट BF.7 कहर मचा रहा है, वहीं भारत में जुलाई और सितंबर में रिपोर्ट होने वाला सब वेरिएंट BF.7 इतना घातक नजर नहीं आ रहा है। देश मेंं अब तक इसके चार केस ही मिले है। आखिरी क्या कारण है कि चीन में तबाही मचाने वाले ओमिक्रॉन का सब वेरिएंट BF.7 से लोग अब तक सुरक्षित नजर आ रहे है। आज चर्चित मुद्दे में इसी विषय पर बात करेंगे।
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भारत में अब तक कोरोना के ओमिक्रॉन के सब वेरिएंट BF.7 के चार केस गुजरात और ओडिशा में मिले है। देश में अब तक ओमिक्रॉन के BF.7 वेरिएंट के जो मामले सामने आए है,उनमें माइल्ड लक्षण ही पाए गए है और संक्रमित व्यक्ति जल्दी ही स्वस्थ हो गए। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या भारत में ओमिक्रॉन का BF.7 वेरिएंट घातक नहीं होगा।
इस सवाल पर बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में आनुवंशिकी (जैनेटिक्स) के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे से वेबदुनिया से बातचीत में कहते हैं कि भारत में बड़ी आबादी में कोविड के खिलाफ प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो चुकी है। भारत की बड़ी जनसंख्या में नेचुरल इंफेक्शन हो चुका है,अब हमारे शरीर में मौजूद टी-सेल (मेमोरी सेल) को पता है कि वायरस हमारे लिए खतरनाक है,ऐसे में हमको जैसे ही इंफेक्शन होगा तो शरीर में एंटीबॉडी उसको निष्क्रिय कर देगी।
एक ओर जहां चीन के साथ दुनिया के देशों में कोरोना के केस लगातार बढ़ रहे वहीं भारत में कोरोना के केसों में लगातार कमी देखी जा रही है। भारत में वर्तमान मेंं हर दिन औसतन कोरोना के 150 केस आ रहे है, जिसमें अधिकांश में माइल्ड लक्षण पाए गए। मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में कोरोना की संक्रमण दर शून्य है और नए केसों की संख्या भी जोरी है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्था (ICMR) के महामारी विज्ञान और संक्रामक रोग विभाग के पूर्व प्रमुख डॉक्टर रमन गंगाखेडकर वेबदुनिया से बातचीत में कहते हैं कि भारत में कोरोना के केस में कम संख्या में रिपोर्ट होने का बड़ा कारण भारत में कोरोना वायरस को लेकर हर्ड इम्युनिटी की स्टेज का होना है। मौजूदा समय में भारत हर्ड इम्युनिटी की स्टेज में हैं और यहीं कारण है कि भारत में मौजूदा समय कोरोना के केसों में कमी देखी जा रही है।
भारत में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन को बड़ा हथियार माना गया है। ऐसे में चीन में कोरोना विस्फोट के बाद भारत में एक बार फिर कोरोना वैक्सीन बूस्टर डोज को लेकर चर्चा जोर पकड़ ली है। आज के हालात में बूस्टर डोज कितना जरूरी है इस सवाल पर प्रो ज्ञानेश्वर चौबे कहते हैं कि मेरी नजर में बार-बार वैक्सीन लगवना भी सहीं नहीं है। कोरोना की पहले की लहरों और आज के हालात में बहुत अंतर है। पहली बार वायरस नया था इसलिए हमको वैक्सीन लगवना पड़ा। मेरे विचार से वैक्सीन का बूस्टर डोज उन्हीं को लगवाना चाहिए जो बुजुर्ग है या कोमॉर्बिड की श्रेणी में आते है, ऐसे लोगों अगर फिर से इंफेक्शन हुआ तो उनके लिए खतरा हो सकता है।
वेबदुनिया से बातचीत में प्रो ज्ञानेश्वर चौबे कहते हैं कि ओमिक्रॉन सब वेरिएंट BF.7 को लेकर इस तरह का दहशत होना ठीक नहीं है। सभी को सतर्कता के साथ मास्क लगाने के साथ कोरोना एप्रोप्रियट व्यवहार का पालन करना होगा। वहीं महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर रमन गंगाखेडकर कहते हैं कि कि अगर हम सही तरीके से मास्क लगाते है और कोरोना एप्रोपियट व्यवहार का पालन करते हैं तो हम कोरोना संक्रमण की चपेट में आने से बच सकते है।
इससे पहले चीन में कोरोना विस्फोट के बाद डॉ वीके पॉल ने लोगों से भीड़ भाड़ वाले स्थानों पर मास्क लगाकर जाने की सलाह दी है। वहीं कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लिए विशेषज्ञ भी मास्क को सबसे बड़ा हथियार मानते है।