जम्मू।कश्मीर का टूरिज्म खात्मे के कगार पर है, क्योंकि कोरोनावायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर के चलते जून के अंत तक की सभी बुकिंगें कैंसिल हो गई हैं। कोई भी अपने घूमने के प्लान को आगे बढ़ाना नहीं चाहता। अग्रिम भुगतान वापसी की मांग चल रही है। यह लगातार तीसरा साल है जब कश्मीर का टूरिज्म बुरी तरह से डूबा है। वर्ष 2019 में धारा 370 ने पर्यटन को लील लिया था। पिछले दो साल से कोरोना का दंश कश्मीर का टूरिज्म झेलने को मजबूर है।
सरकारी तौर पर मान लिया गया है कि कोरोना महामारी के कारण जम्मू कश्मीर के पर्यटन क्षेत्र में पर्यटकों की भारी गिरावट आई है। प्रदेश की जीडीपी में करीब सात प्रतिशत पर्यटन क्षेत्र का योगदान है। लाखों लोगों का रोजगार पर्यटन के भरोसे ही चलता है।
25 अप्रैल तक कश्मीर के करीब सभी होटल बुक चल रहे थे, जबकि कुछ हाई-एंड कैटेगरी के होटल हैं, वो मई के अंत तक बुक थे, लेकिन अचानक से कोरोना के बढ़ते मामलों ने सब कुछ बिगाड़ दिया। जून तक करीब 100 प्रतिशत बुकिंग कैंसिल हो चुकी है। अभी केवल 5 से 10 प्रतिशत ऐसे पर्यटक हैं जो यहां आ रहे हैं।
ट्रेवल एजेंट्स सोसाइटी ऑफ कश्मीर (टास्क) के अनुसार कोविड-19 के चलते करीब 5 से 10 प्रतिशत ही पर्यटक यहां का रुख कर रहे हैं। करीब 100 प्रतिशत एडवांस बुकिंग थी वह कैंसिल हो चुकी है। श्रीनगर में विश्व प्रसिद्ध डल झील और उसके आसपास जब्रवान पहाड़ियों के दामन तले स्थित ट्यूलिप गार्डन और अन्य मुगल गार्डन इस समय सूनसान और वीरान पड़े हैं।
ट्यूलिप गार्डन के इंचार्ज ने बताया कि यहां पर रोजाना 20 हजार पर्यटक और स्थानीय लोग ट्यूलिप के नजारे लेने आते थे, लेकिन यह संख्या कल तक औसतन 2500 तक गिर चुकी थी। इसमें भी 70 प्रतिशत स्थानीय लोग हैं जो यहां आते हैं। वहीं टास्क के सचिव अथर यामीन ने बताया कि सब कुछ अच्छा चल रहा था। आज से इस पार्क को भी बंद कर दिया गया।
कश्मीर घाटी में वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के कारण और फिर वर्ष 2020 में कोरोना के चलते लॉकडाउन के कारण काफी नुकसान पर्यटन क्षेत्र को उठाना पड़ा। जनवरी 2019 से दिसंबर 2020 तक करीब 2 हजार करोड़ का नुकसान केवल पर्यटन क्षेत्र को उठाना पड़ा था, लेकिन उसके बाद दिसंबर 2020 से मार्च 2021 तक कश्मीर में बहुत अच्छा सीजन गया और यहां के पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों ने बहुत अच्छा काम किया, जो कि चल रहा था, लेकिन अचानक से कोरोना की दूसरी लहर की गाज फिर से यहां के पर्यटन क्षेत्र पर आ गिरी।
वैष्णोदेवी की यात्रा पर भी कोरोना ने ब्रेक लगा दिया है। बीते वर्ष भी कोरोना महामारी के चलते जारी लॉकडाउन के कारण वैष्णोदेवी यात्रा करीब 6 माह तक बंद रही थी। हालांकि बीते वर्ष अगस्त माह के उपरांत वैष्णोदेवी यात्रा सुचारू होने को लेकर धीरे-धीरे श्रद्धालु भवन की ओर आने लगे थे और वैष्णोदेवी यात्रा सुचारू होने लगी थी, परंतु कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने एक बार फिर मां वैष्णोदेवी की यात्रा पर ब्रेक लगा दिया है।