नई दिल्ली। दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने शुक्रवार को आदेश दिया कि घर पर क्वारंटाइन के तहत कोविड-19 के हरेक मरीजों के लिए 5 दिन संस्थागत क्वारंटाइन केंद्र में रहना जरूरी होगा। आप सरकार ने इस फैसले को मनमाना बताते हुए कहा है कि इससे राष्ट्रीय राजधानी को नुकसान होगा।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व वाली एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने शहर में निजी अस्पतालों में क्वारंटाइन बेड के लिए 1 दिन का शुल्क 8,000-10,000 रुपए के बीच और वेंटिलेटर के साथ आईसीयू बेड के लिए 15,000-18,000 रुपए निर्धारित करने की सिफारिश की है। अपने आदेश में उपराज्यपाल ने कहा कि 5 दिन संस्थागत क्वारंटाइन में रहने के बाद कोविड-19 के बिना लक्षण वाले मरीजों को घर पर क्वारंटाइन के लिए भेज दिया जाएगा।
बैजल ने अपने आदेश में कहा कि घर पर क्वारंटाइन के तहत प्रत्येक मामले में 5 दिन संस्थागत क्वारंटाइन में रहना अनिवार्य होगा। इसके बाद बिना लक्षण वाले मरीजों को घर पर क्वारंटाइन के लिए भेज दिया जाएगा। लक्षण वाले मरीजों को जरूरत पड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा।
इस फैसले से पहले से ही दबाव झेल रहे स्वास्थ्य ढांचे पर और असर पड़ने की आशंका है। जवाब में दिल्ली सरकार ने कहा कि घर पर क्वारंटाइन को लेकर उपराज्यपाल का फैसला 'मनमाना' है और इससे दिल्ली को नुकसान होगा ।एक बयान में दिल्ली सरकार ने कहा कि घर पर क्वारंटाइन का कार्यक्रम कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में सबसे सफल अभियान है।
बयान में कहा गया कि पहले से ही यहां पर कोविड-19 के मरीजों के उपचार के लिए डॉक्टरों, नर्सों की भारी कमी है। कर्मियों की दिक्कत है, संक्रमण के बिना लक्षण वाले हजारों लोगों को रखने के लिए बड़े स्तर पर क्वारंटाइन केंद्र की जरूरत होगी। सरकार के मुताबिक दिल्ली में घर पर क्वारंटाइन में कोविड-19 के करीब 8,500 मरीज हैं। ये सभी ऐसे मरीज हैं जिनमें संक्रमण के किसी तरह के लक्षण नहीं मिले या मामूली लक्षण मिले। (भाषा)