कई गरीब देशों के गले की फांस बना Lockdown, बेरोजगारी और गरीबी ने पसारे पैर

Webdunia
शनिवार, 18 अप्रैल 2020 (07:27 IST)
बेरूत। कोविड-19 से जूझ रहे कुछ अमीर पश्चिमी देशों ने जहां लॉकडाउन के तहत लगाई गईं पाबंदियों में ढील देनी शुरू कर दी है, वहीं कई विकासशील देश विशेषकर मध्य-पूर्व और अफ्रीकी मुल्क ऐसा करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
ALSO READ: Lockdown से घटी Corona मरीजों के बढ़ने की दर
विकासशील देशों के पास इस संकट से निपटने के लिए मजबूत अर्थव्यवस्था, बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं और बड़े पैमाने पर जांच करने की सुविधा नहीं हैं, जो कि इस महामारी से छुटकारा पाने के लिए बेहद जरूरी हैं।
 
यूरोपीय देशों में जहां पाबंदियों से निकलने की रणनीति पर जोर-शोर से चर्चाएं हो रही हैं, वहीं संकटग्रस्त और भ्रष्टाचार तथा गरीबी से घिरे देशों के लिए अभी ऐसा सोचना भी मुमकिन नजर नहीं आ रहा। लेबनान एक छोटा-सा देश है। दिवालियेपन की कगार पर खड़े इस देश की स्वास्थ्य प्रणाली खस्ताहाल है और आबादी काम करने को बेचैन।
ALSO READ: Lockdown में राशन कार्ड गिरवी रखकर पैसे ले रहे हैं लोग...
देश में लगभग 1 महीने लागू लॉकडाउन के कारण हजारों लोग गरीबी के मुहाने पर पहुंच गए हैं जिससे सरकार पर पाबंदियों पर ढील देने का दबाव पड़ रहा है। लेबनान में चिकित्सा संसाधन सीमित हैं जिसके चलते डॉक्टरों को अपनी जान खतरे में डालकर लगातार काम करना पड़ रहा है। यही हाल कई अन्य विकासशील देशों का है।
दिक्कत यह है कि अगर लॉकडाउन में छूट दी जाए तो संक्रमण के मामले बढ़ सकते हैं जिसके चलते बिस्तरों और जरूरी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे अस्पतालों में भीड़ बढ़ने लगेगी, वहीं अगर पाबंदियां बरकरार रखी जाएं तो सामाजिक उथल-पुथल और आर्थिक नुकसान का खतरा मुंहबाएं खड़ा नजर आता है।

वर्ल्ड बैंक में मध्य-पूर्व तथा उत्तरी अफ्रीकी मामलों के मुख्य अर्थशास्त्री राबाह अरेज्की ने कहा कि इस समय में अपर्याप्त जांच और पारदर्शिता की कमी गलत कदम उठाने की गुंजाइश बढ़ा सकती है।
ALSO READ: मोदी सरकार का बड़ा फैसला, Lockdown से इन क्षेत्रों को भी राहत
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि बिना तैयारी के लॉकडाउन से बाहर आने पर फायदा होने के बजाय और नुकसान होगा। ऐसा नहीं है कि पश्चिमी देश इस नुकसान से अछूते हैं बल्कि उन्हें भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, लेकिन इन देशों में सरकार ने कारोबारों और लोगों को राहत पहुंचाने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, वहीं पाकिस्तान, मिस्र, यमन, लीबिया, सीरिया और कई अफ्रीकी देशों में हालात काफी जुदा हैं।
 
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमीर देशों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से गरीब देशों का कर्ज माफ करने की अपील की है। आईएमएफ ने पाकिस्तान को कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिए डेढ़ अरब अमेरिकी डॉलर देने का ऐलान किया है, वहीं अरब जगत के सबसे अधिक आबादी वाले देश मिस्र में हर 3 में से 1 व्यक्ति गरीबी में जी रहा है।
 
मिस्र की सरकार ने आंशिक लॉकडाउन लागू कर रखा है। इसके तहत रात में कर्फ्यू रहता है। सरकार को डर है कि पूरी तरह लॉकडाउन लागू करने से पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था तबाह हो जाएगी। इसके अलावा यमन, लीबिया और सीरिया के सामने कई साल से जारी युद्ध के चलते मानवीय संकट खड़ा हुआ है।

ऐसे में इन देशों में कोरोना की जांच के अभाव का अभाव है जिसके चलते खतरा बढ़ने की काफी गुंजाइश है। इसके अलावा इन देशों में पेशेवर और प्रशिक्षित चिकित्साकर्मियों का भी अभाव है। वहीं अफ्रीकी महाद्वीप के 54 में से 52 देशों में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले सामने आए हैं। ऐसे में यहां लॉकडाउन पहले से ही कमजोर खाद्य आपूर्ति की कमर तोड़ता हुआ नजर आ रहा है। (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

महाराष्ट्र में कौनसी पार्टी असली और कौनसी नकली, भ्रमित हुआ मतदाता

Prajwal Revanna : यौन उत्पीड़न मामले में JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एक्शन, पार्टी से कर दिए गए सस्पेंड

क्या इस्लाम न मानने वालों पर शरिया कानून लागू होगा, महिला की याचिका पर केंद्र व केरल सरकार को SC का नोटिस

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और MLA विक्रांत भूरिया पर पास्को एक्ट में FIR दर्ज

टूड्रो के सामने लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, भारत ने राजदूत को किया तलब

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

पुलिस ने स्कूलों को धमकी को बताया फर्जी, कहा जांच में कुछ नहीं मिला

दिल्ली-NCR के कितने स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी, अब तक क्या एक्शन हुआ?

अगला लेख