मुंबई। बाबा रामदेव द्वारा पेश की कोरोना की दवा कोरोनिल पर जारी विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है।
आयुष मंत्रालय की आपत्ति के बाद अब महाराष्ट्र सरकार ने भी पतंजलि की 'कोरोनिल' पर पाबंदी लगा दी है।
देशमुख ने ट्वीट किया, 'राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान, जयपुर यह पता लगाएगा कि क्या ‘कोरोनिल’ का चिकित्सकीय परीक्षण किया गया। रामदेव को चेतावनी है कि महाराष्ट्र नकली दवाओं की बिक्री की अनुमति नहीं देगा।'
बाद में पत्रकारों से बातचीत में मंत्री ने कहा कि केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने कंपनी को इस उत्पाद की बिक्री की अनुमति नहीं दी है क्योंकि उसने चिकित्सकीय परीक्षण नहीं किए हैं।
उन्होंने कहा, 'पतंजलि के विज्ञापन के खिलाफ कई राज्यों में शिकायतें की गई है क्योंकि मंत्रालय या भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद की ओर से कोई अनुमति नहीं दी गई है।'
देशमुख ने कहा, 'अगर उन्होंने महाराष्ट्र में दवाई बेचने या यह प्रचार करने की कोशिश की कि इससे कोविड-19 का इलाज किया जा सकता है तो उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा।'
भाजपा नेता राम कदम ने इसका विरोध करते हुए कहा कि बगैर जांच के इस दवा को फर्जी क्यों बताया जा रहा है।
इससे पहले उत्तराखंड और राजस्थान भी बाबा रामदेव की इस दवा पर सवाल उठा चुके हैं। इस मामले में बाबा के खिलाफ मुजफ्फरपुर और जयपुर में मामले दर्ज हो चुके हैं।
उत्तराखंड आयुर्वेद डिपार्टमेंट के लाइसेंस अधिकारी ने बताया कि पतंजलि के आवेदन के अनुसार उन्हें लाइसेंस जारी किया गया था। हमने उन्हें सिर्फ इम्युनिटी बूस्टर (रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाई), खांसी और बुखार की दवाई बनाने के लिए ही लाइसेंस जारी किया था।
केंद्रीय मंत्री श्रीपद नाइक ने बुधवार को कहा कि पतंजलि आयुर्वेद ने कंपनी की उस औषधि के बारे में अपनी रिपोर्ट आयुष मंत्रालय को सौंप दी है जो उसने इस दावे के साथ पेश की है कि इससे सात दिन में कोरोनावायरस का इलाज किया जा सकता है।
आयुष मंत्री ने कहा कि मंत्रालय रिपोर्ट पर गौर करेगा और उसके बाद कंपनी को औषधि के बारे में अंतिम अनुमति देने पर निर्णय करेगा।