कोरोना के चलते स्कूलों में ताला लगा था, इसलिए ऑनलाइन क्लास की भी मुहिम चलाई गई। हालांकि अब राज्यों को स्कूल खोलने के फैसले लेना पड़े। अब तक बच्चों के लिए कोई वैक्सीन नहीं आई है, बच्चों की वैक्सीन प्रक्रिया में है, ऐसे में सवाल ये है कि वैक्सीन लगने से पहले बच्चों को स्कूल भेजना चाहिए या नहीं?
इसे लेकर सरकार अपना रुख स्पष्ट किया है। उन्होंने कहा है कि बच्चों को वैक्सीन लगने और स्कूल खुलने का आपस में कोई संबंध नहीं है। दूसरा सवाल ये है कि स्कूल खोलने में जल्दबाजी तो नहीं की गई? सरकार का ये तर्क है कि कई देश अपने स्कूलों को खोल चुके हैं और डब्लूएचओ ने भी इसको लेकर कोई निर्देश नहीं दिए।
सरकार का तर्क है कि बच्चों में कोरोना संक्रमण ज्यादा गंभीर नहीं पाया गया और ग्लोबल साइंटिफिक एविडेंस ये कहता है कि जो बच्चे संक्रमित भी हुए उनमें लक्षण नहीं थे। इसलिए देश का भविष्य, बड़ों के मुकाबले महामारी से ज्यादा सुरक्षित है।
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा, 'स्कूल खुलने के लिए बच्चों को वैक्सीन लगे ये क्राइटेरिया कहीं भी दुनिया मे नहीं है। स्कूल तभी खुल रहे थे जब वैक्सीन का नामो निशान नहीं था। किसी साइंटिफिक बॉडी ने, कोई एपिडेमियोलॉजी या ऐसे किसी ने कोई एविडेंस दिए है ये कंडीशन होना चाहिए। हालांकि टीचर और स्टाफ को वैक्सीन लगे। उस दिशा में हमारे देश मे बहुत कोशिश की गई है कि टीचर और स्टाफ को वैक्सीन लगें'