वैज्ञानिकों के तैयार किए 'कमजोर वायरस' से Coronavirus के टीके की खोज में मिल सकती है मदद

Webdunia
बुधवार, 22 जुलाई 2020 (18:50 IST)
वॉशिंगटन। वैज्ञानिकों ने आनुवांशिक रूप से संशोधित एक 'कमजोर वायरस' तैयार किया है जो नए कोरोनावायरस (Coronavirus) की तरह ही इंसानों में एंटीबॉडीज पैदा करता है, लेकिन इससे कोई गंभीर बीमारी नहीं होती। वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे दुनिया भर में और प्रयोगशालाएं कोविड-19 के खिलाफ लोगों पर दवा और टीके की सुरक्षा जांच कर सकेंगी।
 
अमेरिका के सेंट लुइस में वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने वेसिकुलर स्टोमेटाइटिस वायरस (वीएसवी) के एक जीन को नए कोरोना वायरस सार्स (सार्स-सीओवी-2) के जीन से बदल दिया। दुनिया भर के विषाणुरोग विशेषज्ञ प्रयोगों में इसका व्यापक इस्तेमाल करते हैं।
 
सेल होस्ट एंड माइक्रोब नाम के जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक बदलाव के फलस्वरूप बना संकर विषाणु कोशिकाओं को संक्रमित करता है और मानव शरीर में एंटीबॉडीज सार्स-सीओवी-2 की तरह ही इसकी पहचान करती हैं, लेकिन इसे साधारण प्रयोगशाला सुरक्षा परिस्थितियों के तहत संभाला जा सकता है।
 
नया कोरोना वायरस क्योंकि हवा में तीव्र दबाव से आसानी से फैल सकता है और संभावित रूप से जानलेवा भी है इसलिये वैज्ञानिकों ने कहा कि इस पर उच्च स्तरीय जैव सुरक्षा वाली परिस्थितियों के तहत ही अध्ययन किया जाता है।
उन्होंने कहा कि संक्रमणकारी विषाणु को देख रहे वैज्ञानिकों को पूरे शरीर को ढकने वाला जैव सुरक्षा सूट पहनना चाहिए और प्रयोगशालाओं के अंदर कई निषेध स्तरों के साथ काम करना चाहिए। इसके साथ ही वहां हवा के निकलने के लिये विशेषीकृत व्यवस्था भी होनी चाहिए।
 
अध्ययन में पाया गया कि प्रयोगशाला कर्मियों के लिये यह सुरक्षा उपाय जहां जरूरी हैं वहीं इनसे कोविड-19 के इलाज के लिये दवा या टीके की तलाश के काम की गति बाधित होती है क्योंकि बहुत से वैज्ञानिकों के पास आवश्यक जैवसुरक्षा सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।
 
इस अध्ययन की वरिष्ठ सह-लेखक सीन वेह्लन ने कहा, 'मेरे पास इतने कम समय में इतनी वैज्ञानिक सामग्री के लिये कभी अनुरोध नहीं आया।' उन्होंने कहा, 'हमनें इस विषाणु का वितरण अर्जेटीना, ब्राजील, मैक्सिको, कनाडा और स्वाभाविक रूप से संपूर्ण अमेरिका में वितरित किया है।'

वैज्ञानिकों ने कहा कि सार्स-सीओवी-2 के एक ऐसे स्वरूप, जिसे संभालना आसान होगा, को बनाने के क्रम में उन्होंने वीएसवी से शुरुआत की जो उनके मुताबिक “आनुवांशिक रूप से बदलाव करने के लिये काफी सहज और कम हानिकारक है।”
 
शोधकर्ताओं के मुताबिक वीएसवी मुख्य रूप से मवेशियों, घोड़ों और सूअरों में पाया जाने वाला विषाणु है और विषाणु रोग विज्ञान प्रयोगशालाओं में इसका काफी इस्तेमाल होता है। उन्होंने कहा कि यह कभी कभी लोगों को भी संक्रमित करता है, जिससे उन्हें हल्की जुकाम जैसी बीमारी होती है जो तीन से पांच दिन तक रहती है।
शोधकर्ताओं ने वीएसवी की सहत प्रोटीन की जीन हटा दी, जिसका इस्तेमाल वह कोशिका से चिपकने और उसे संक्रमित करने के लिये करता था और उसकी जगह सार्स-सीओवी-2 की एक जीन लगा दी जिसे शूल (एस) प्रोटीन के तौर पर जाना जाता है।
 
उन्होंने कहा कि इस परिवर्तन से एक नया विषाणु वीएसवी-सार्स-सीओवी-2 बना, जो कोशिकाओं को नए कोरोना वायरस की तरह ही निशाना बनाता है, लेकिन इसमें उन अन्य जीनों का आभाव होता है जो गंभीर रोग पैदा करने के लिये जरूरी होती हैं। (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

महाराष्ट्र में कौनसी पार्टी असली और कौनसी नकली, भ्रमित हुआ मतदाता

Prajwal Revanna : यौन उत्पीड़न मामले में JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एक्शन, पार्टी से कर दिए गए सस्पेंड

क्या इस्लाम न मानने वालों पर शरिया कानून लागू होगा, महिला की याचिका पर केंद्र व केरल सरकार को SC का नोटिस

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और MLA विक्रांत भूरिया पर पास्को एक्ट में FIR दर्ज

टूड्रो के सामने लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, भारत ने राजदूत को किया तलब

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

पुलिस ने स्कूलों को धमकी को बताया फर्जी, कहा जांच में कुछ नहीं मिला

दिल्ली-NCR के कितने स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी, अब तक क्या एक्शन हुआ?

अगला लेख