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Tuesday, 15 April 2025
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Life in the times of corona: कोरोना के कहर में ‘सोशल नजदीकी’ के फ्लैशबैक मोड में आ गई दुनिया

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नवीन रांगियाल

कोरोना वायरस ने पूरे सोशल सि‍स्‍टम को भी बदलकर रख दि‍या, कहा तो इसे सोशल डिस्‍टेंस‍िंग जा रहा है, लेक‍िन कहीं न कहीं इस ड‍िस्‍टेंस ने लोगों के बीच की सोशल दूरि‍यों को भी कम करने का काम क‍िया है।

दरअसल, अब गली मोहल्‍लों में ऐसे दृश्‍य देखने को मि‍ल रहे हैं, जो पहले कभी देखने को नहीं मि‍लते थे या आज से क‍ि‍सी बेहद पुराने जमाने में देखने को मि‍लते थे। जि‍नमें लोग गली और मोहल्‍लों में खड़े होकर बत‍ियाते थे, सुख-दुख बांटते थे। महि‍लाएं रसोई और रैस‍िपी की बातें करती थी। यह सब गुजरे जमाने की बात थी, लेक‍िन कोरोना वायरस के संकट ने दुनि‍या को ‘फ्लैशबैक’ के मोड में ला द‍िया है।

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संपूर्ण लॉकडाउन की अपील के बाद पूरा देश इसे फॉलो कर रहा है, लेक‍िन शहरों सोशल ड‍िस्‍टेंस‍िंग के साथ लोगों के बीच एक आत्‍मीय नजदीक‍ियां भी नजर आ रही हैं।

गली- मोहल्‍लों में जो पड़ोसी कभी एक दूसरे को देखना नहीं पसंद करते थे, वो इस संकट की घड़ी में साथ खड़े नजर आ रहे हैं। वे अपनी गैलरी और बालकनी में से एक दूसरे से बातें करते हैं। एक दूसरे को इस चुनौती से लड़ने का ढांढस बंधा रहे हैं।

कुछ महि‍लाएं अपनी पड़ोसी से अलग-अलग डिशेज की रैस‍िपी शेयर कर रही हैं।

बच्‍चे अपनी-अपनी खि‍ड़कि‍यों से एक दूसरे से बातें कर रहे हैं। बुजूर्ग एक दूसरे को दूर से राम-राम कर रहे हैं।
ठीक इसी तरह इंदौर शहर के वि‍जय नगर क्षेत्र में दुख बांटने का भी एक बेहद अच्‍छा उदाहरण सामने आया है। यहां रहने वाले बृजेश शुक्‍ला का बेटा कर्फ्यू के कारण पुणे में फंस गया। इसके बाद उसकी मां का रो रोकर बुरा हाल हो गया है। ऐसे में अब पड़ोसी उन्‍हें ढांढस बंधा रहे हैं।

कुछ लोगों ने प्रशासन ने शुक्‍लाजी के बेटे को पुणे से वापस लाने की व्‍यवस्‍थाओं के बारे में भी पूछताछ की, हालांक‍ि ऐसी कोई सुव‍िधा नहीं है। ऐसे में उनके पड़ोसी उन्‍हें हि‍म्‍मत दे रहे हैं।

इसके पहले देखा गया था क‍ि कुछ मोहल्‍लों में रहने वाले लोग पालतू डॉग को घुमाने को लेकर आपस में झगड़ते भी थे, लेकि‍न अब वही लोग सड़क के आवारा कुत्‍तों के ल‍िए भोजन और पानी की व्‍यवस्‍था कर रहे हैं। ऐसे में मानवता के कॉन्‍सेप्‍ट को भी कहीं न कहीं बल मि‍ला है।

कुल म‍िलाकर सोशल डि‍स्‍टेंस‍िंग के इस दौर में सामाज‍िक नजद‍िक‍ियों के बढने के दृश्‍य भी खूब नजर आ रहे हैं।
यह एक सकारात्‍मकता ही हमें कोरोना जैसे घातक वायरस से लड़ने और उसे हराने की ताकत देगी।

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