नई दिल्ली। देश में 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के लगभग 69 करोड़ पात्र लाभार्थियों में से केवल 11 प्रतिशत ने 25 जुलाई तक कोविड-19 टीके की एहतियाती खुराक ली है, जो केंद्र के लिए चिंता का विषय बन गया है। अधिकारियों ने लापरवाही और कोरोनावायरस का डर खत्म होने को तीसरी खुराक लेने वालों की संख्या कम होने के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
14 जुलाई तक 64,89,99,721 पात्र आबादी में से एहतियाती खुराक लेने वालों की संख्या 8 प्रतिशत थी। भारत ने 10 अप्रैल को 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को कोविड-19 टीकों की एहतियाती खुराक देनी शुरू की थी। केंद्र सरकार ने 15 जुलाई से सरकारी टीकाकरण केंद्रों पर 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी लोगों को एहतियाती खुराक देने के लिए 75 दिवसीय विशेष अभियान शुरू किया था। आधिकारिक सूत्रों ने आगे कहा कि 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के 10.43 करोड़ पात्र व्यक्तियों में से 29 प्रतिशत को 25 जुलाई तक कोविड-19 रोधी टीके की एहतियाती खुराक दी गई है।
सूत्रों के मुताबिक करीब 4 करोड़ लोगों ने अभी तक पहली खुराक नहीं ली है जबकि लगभग 7 करोड़ लोगों को दूसरी खुराक लेनी है। उन्होंने कहा कि एहतियाती खुराक के लिए पात्र 68,97,62,152 लोगों में से केवल 7,30,96,284 ने ही यह ली है। कुछ दिन में पात्र लोगों की संख्या बढ़कर 93 करोड़ हो जाएगी। टीकाकरण की धीमी गति के बारे में पूछे जाने पर एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि लोग लापरवाह हो गए हैं। साथ ही कोविड का डर भी नहीं है, क्योंकि लोग अब इस बीमारी को जान गए हैं। पात्र आबादी के एहतियाती खुराक लेने की धीमी गति के ये मुख्य कारण हैं।(भाषा)