Dharma Sangrah

COVID-19 : वुहान की लैब से लीक नहीं हुआ वायरस, वैज्ञानिकों ने किया स्‍टडी में दावा

Webdunia
शुक्रवार, 9 जुलाई 2021 (22:26 IST)
मेलबर्न। वैज्ञानिकों की एक वैश्विक टीम ने मौजूदा साक्ष्यों के आधार पर अपनी समीक्षा में कहा है कि सार्स-सीओवी-2 वायरस के पशुओं से मानव में फैलने की संभावना अधिक है, न कि यह चीन के वुहान में किसी प्रयोगशाला से लीक हुआ। यही कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 महामारी का कारण है।

अध्ययन अभी प्रकाशित नहीं हुआ है, हालांकि इसे सात जुलाई को प्री-प्रिंट सर्वर जेनोडो पर पोस्ट किया गया। अध्ययन में कहा गया है कि प्रयोगशाला में इस तरह की घटनाओं से सिरे से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन वर्तमान में कोविड-19 वायरस के प्रयोगशाला में उद्भव के संदर्भ में ऐसा होने की शून्य संभावना प्रतीत होती है।

इस खतरनाक वायरस के उद्भव को लेकर वैश्विक बहस के बीच दुनियाभर में विश्वविद्यालयों एवं अनुसंधान संस्थानों से 21 प्रख्यात वैज्ञानिकों ने वायरस के स्रोत को स्पष्ट करने में मदद के लिए मौजूदा वैज्ञानिक साक्ष्यों की समीक्षा की।
ALSO READ: Coronavirus: क्या वैक्सीन की 1 डोज COVID-19 से बचा सकती है? जानिए
ऑस्ट्रेलिया में सिडनी विश्वविद्यालय से प्रोफेसर एडवर्ड होम्स ने एक बयान में कहा, मौजूदा आंकड़ों के सावधानीपूर्वक किए गए गहन विश्लेषण में यह तथ्य सामने आया है कि सार्स-सीओवी-2 के प्रयोगशाला में उत्पन्न होने के कोई सबूत नहीं हैं।
ALSO READ: Good news : भविष्य में आम सर्दी-जुकाम जैसा बन सकता है Coronavirus
पत्र के लेखक ने कहा, शुरुआती मामलों में ऐसे कोई सबूत नहीं हैं, जिसका संबंध वुहान विषाणु संस्थान (डब्ल्यूआईवी) से हो। इसके विपरीत वुहान के पशु बाजार से महामारी का स्पष्ट संबंध पता चला है। उन्होंने कहा कि इस बात के भी कोई सबूत नहीं मिले हैं कि डब्ल्यूआईवी महामारी की शुरुआत से पहले सार्स-सीओवी-2 पर काम कर रहा था। दूसरी ओर अध्ययन के लेखकों को सार्स-सीओवी-2 के पशुओं के जरिए फैलने के समर्थन में वैज्ञानिक साक्ष्य मिले हैं।
ALSO READ: Coronavirus Vaccination : कोरोना वैक्सीन से पहले और बाद में बिल्कुल न करें ये 7 काम
टीम में ब्रिटेन में एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, कनाडा के सस्केचेवान विश्वविद्यालय, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय बर्कले और अमेरिका में पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी, न्यूजीलैंड में ओटागो विश्वविद्यालय और चीन में जियाओतोंग-लिवरपूल विश्वविद्यालय तथा कई अन्य शीर्ष वैश्विक संस्थानों के शोधकर्ता शामिल थे।(भाषा) 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

पाकिस्तानी सेना अल्लाह की फौज, दुश्मन पर फेंकी गई मिट्टी भी मिसाइल में बदल जाती, आसिम मुनीर की गीदड़भभकी पर आपको हंसी आएगी

महाराष्ट्र की राजनीति फिर गर्माई, महायुति में खटपट, किस बात को लेकर नाराज हैं शिंदे, गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात

470 ड्रोन, 48 मिसाइलें... रूस का यूक्रेन पर बड़ा हमला, जेलेंस्की बोले- काफी नुकसान हुआ

iPhone की चोरी और खोने पर ना घबराएं, Apple ने शुरू हुआ एक नया प्लान

WhatsApp के 3.5 अरब यूजर्स क्यों खतरे में, क्या डेटा हो गया लीक, सामने आई चौंकाने वाली जानकारी

सभी देखें

नवीनतम

LIVE: नीतीश कुमार का शपथ ग्रहण समारोह, गांधी मैदान में दिग्गजों का जमावड़ा

झारखंड सरकार का एक साल, मोरहाबादी मैदान में 8514 युवाओं को मिलेगी बड़ी सौगात

सपा विधायक सुधाकर सिंह का निधन, लखनऊ के मेदांता अस्पताल में ली अंतिम सांस

UP : CM योगी की नीतियों का असर, देश का सबसे विकसित प्रदेश बनेगा यूपी

चीन को रोकने के लिए भूटान में भारी निवेश कर रहा है भारत

अगला लेख