जर्मनी में शिक्षण संस्थान एवं कार्यालय अभी बंद हैं, लेकिन लोगों को घर में रहना अनिवार्य नहीं है। यहां लोग सुपर मार्केट एवं दुकानों में जा सकते हैं, लेकिन मास्क पहनने के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन जरूरी है। पूर्ण लॉकडाउन तो यहां पहले भी नहीं था, लेकिन अब सरकार ने नियमों में थोड़ी ओर ढील दी है। कोरोना (Corona) महामारी को देखते हुए चुनौतियां कम नहीं हैं। भारतीय प्रवासी एवं बार्कलेज बैंक यूरोप की बार्कलेकार्ड, हैम्बर्ग शाखा में असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट अनिमेष दुबे ने वेबदुनिया से खास बातचीत में बताया कि कोरोना कालखंड में जर्मनी में लोगों की व्यक्तिगत, सामाजिक, आर्थिक मामलों में क्या बदलाव आया है।
दुबे ने वेबदुनिया से बातचीत में बताया कि कोविड-19 के चलते लाइफ स्टाइल में काफी बदलाव आए हैं। अब घर पर ज्यादा वक्त गुजरता है, अत: पत्नी एवं बेटे को अधिक समय दे पाते हैं। यात्रा नहीं करने से जोखिम भी कम है। हालांकि इसका दूसरा पहलू भी है। प्रतिस्पर्धा के चलते काम का दबाव भी रहता है। वेबएक्स, स्काइप आदि के माध्यम से मीटिंग्स पूरी कर रहे हैं। 10 किलोमीटर की वॉक करते हैं। इम्यूनिटी और फिटनेस के लिए व्यायाम करते हैं। इस दौरान वॉल पेंटिंग, गार्डनिंग और कुकिंग भी सीखी है।
लाइफ स्टाइल में बदलाव तो आया है : घर पर काम करने के दौरान चीजों में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आया है। घर रहकर ऑफिस के काम को भी अब प्रभावी तरीके से मैनेज करने का तरीका हम सीख गए हैं। मीटिंग एवं ऑनलाइन ट्रेनिंग सहित सब जरूरी काम घर से ही हो रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में जन्मे दुबे बताते हैं कि पत्नी की खाना बनाने, सफाई समेत अन्य घरेलू कामों में मदद करते हैं। मोबाइल पर मजेदार वीडियो बनाते हैं। भारत एवं सिंगापुर में परिजनों एवं मित्रों से वीडियो कॉलिंग के जरिए बात करते हैं। बेटे को खेल-खेल में सिखाते हैं। कभी-कभी रेस्टोरेंट से भी खाना मंगवाते हैं। सामान की खरीदी ज्यादा ऑनलाइन ही करते हैं। दोस्तों से मिलना और जिम जाना बंद हो गया है। समुद्र तट पर धूप के साथ मौसम का आनंद नहीं ले पा रहे हैं।
नियम तोड़ने पर जुर्माना : अभी यहा बसंत का मौसम है एवं लोग धूप में घरों पर नहीं रहना चाहते है। इसलिए यहां सरकार ने सार्वजनिक खेल के मैदान एवं बच्चों के लिए पार्क फिर से खोल दिए हैं। बावजूद इसके लोग कोरोना के भय से एक दूसरे से नहीं मिल रहे हैं। पहले लोग नए दोस्त बनाने में आगे रहते थे, लेकिन अब ऐसा करने से बच रहे हैं। यहां कुछ कार्यालय सख्त नियमों के साथ खुल गए हैं। कोरोना के मद्देनजर सरकारी गाइडलाइंस फॉलो नहीं करने वालों को पकड़े जाने पर जुर्माना भरना पड़ता है।
स्वच्छता को लेकर कड़े निर्देश : जर्मन सरकार ने लॉकडाउन के नियमों में राहत तो दी है, वहीं दुकानों, रेस्टोरेंट, कार्यालयों में स्वच्छता के सख्त निर्देश के साथ मास्क पहनना अनिवार्य है। पुलिस ने हाल ही में हैम्बर्ग के एक रेस्टोरेंट में छापा मारकर स्वच्छता के नियमों का पालन नहीं करने पर उस पर कार्रवाई की है। समारोह के आयोजनों पर प्रतिबंध है। भारत की तरह जर्मनी में भी अलग-अलग राज्य हैं। इसलिए यहां राज्य परिस्थितियों के अनुसार अपने यहां नियमों में संशोधन कर सकते हैं। डॉक्टरों को बहुत जरूरी होने पर ही यात्रा की इजाजत है।
एनआईटी रायपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने वाले अनिमेष बताते हैं कि जर्मनी में मीडिया जागरूता पैदा करने में अहम भूमिका निभा रहा है। यहा एआरडी रेडिये सहित दास एरस्ट, जेडडीएफ, बीबीसी, गॉर्डियन, डीडब्ल्यू आदि मीडिया संस्थान आवश्यक जानकारियां दे रहे हैं। कोविड से बचने के लिए विज्ञापन भी प्रकाशित किए जा रहे हैं। यहां ऐसे भी लोग हैं जो सरकारी नियमों का विरोध कर रहे हैं।
सरकार के सराहनीय प्रयास : जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिलाओं में से एक हैं। इन्हें यूरोपीय संघ की नेता भी माना जाता है। मर्केल का कहना है कि यदि समय पर सही निर्णय नहीं लिए जाते तो जर्मनी की 70 फीसदी आबादी कोविड से संक्रमित हो सकती थी। अत: जब तक टीका विकसित नहीं हो जाता सरकार जनता का पूरा ध्यान रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
दुबे कहते हैं कि मर्केल एवं उनकी टीम द्वारा कोरोना को लेकर उठाए कदम सराहनीय हैं। संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित करने, रोगियों की पहचान, परीक्षण एवं इलाज के लिए जर्मनी दुनिया भर में सबसे सफल देशों में से एक रहा है। अधिकांश देशों की तुलना में यहां मृत्यु दर बहुत कम है। सरकार की अपनी स्वास्थ्य एवं चिकित्सा परामर्श टीम है, जो संक्रमण से निपटने के लिए सुझाव देती है।
वह कहते हैं कि भारत में नरेन्द्र मोदी सरकार ने भी कोरोना के मद्देनजर सकारात्मक कदम उठाए हैं। लॉकडाउन का निर्णय सही था। लॉकडाउन से भारत में आर्थिक नुकसान तो हुआ है, लेकिन लाखों लोगों की जानें भी बची हैं।
स्पेन में पर्यटन को बढ़ाने की योजना : दुबे कहते हैं कि जिन देशों ने आरंभ में ही कोविड 19 की भयावयता को समझा एवं समय रहते कदम उठाए वहां इसका संक्रमण नहीं फैला। भारत, सिंगापुर, नार्वे आदि इसके उदाहरण हैं। वहीं इटली, स्पेन, फ्रांस, ब्राजील, अमेरिका में हालात खराब हो गए। स्पेन एवं फ्रांस में अब स्थिति ठीक हो रही है। स्पेन इस गर्मी से पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना बना रहा है।
चीन को देना थी जानकारी : कोविड-19 की शुरुआत चीन से हुई। यह वायरस लैब से आया या चमगादड़ से, अभी इस पर विवाद थमा नहीं है एवं न ही हकीकत सामने आई है। हालांकि चीन ने दुनिया से संक्रमितों की वास्तविक संख्या को छिपाया है। यदि चीन संक्रमितों की संख्या, प्रभाव आदि के बारे में अन्य देशों से पहले ही जानकारी साझा कर लेता तो अन्य देश पहले ही इससे बचने के उपाय कर लेते एवं लाखों लोगों को बचाया जा सकता था।
सार्वजनिक परिवहन से दूरी : जर्मनी में लोग सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने से बच रहे हैं। काम करने के लिए पैदल एवं साइकिल चलाना लोगों ने आरंभ कर दिया है। जर्मनी में लॉकडाउन में ढील देने के लिए, समुद्री तटों का आनंद लेने के लिए विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। यहां पर बहुत से लोगों को बगीचों एवं समुद्री तटों पर नियम तोड़ते देखा जा सकता है।
साइबर क्राइम में इजाफा : कोरोना कालखंड में जर्मनी में अपराधों की संख्या कम हो गई है। रिपोर्टों के अनुसार घर के परिसर में चोरी की घटनाओं में तेजी से गिरावट दर्ज हुई है। घरों एवं सड़कों पर होने वाले झगड़े भी कम हो गए हैं। वहीं कार्यालय एवं दुकानों में चोरियां बढ़ी हैं। घरेलू हिंसा एवं साइबर क्राइम बढ़ा है। हालांकि ओवरआल अपराधों में कमी आई है।
अर्थव्यवस्था पर असर : ऑटोमोबाईल, रेस्टोरेंट, पर्यटन, लघु उद्योग, एवं स्टार्ट अप प्रभावित हुए हैं। लोगों की नौकरियां चली गई हैं। सरकार ने 60 प्रतिशत के मूल वेतन के साथ घर पर रहने के लिए कहा है। अर्थव्यस्था को पटरी पर लाने के प्रयास जारी हैं। जर्मनी में पिछले दो दशकों में इस साल सबसे कम जीडीपी की संभावना है। पहली तिमाही में 2.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। आगे उपभोक्ता के खर्चों में कमी, निवेश में गिरावट, निर्यात एवं आयात में गिरावट से आगे हालात और खराब होने की संभावना।
दुबे कहते हैं कि आउटडोर पब्लिसिटी पर बहुत प्रभाव पड़ा है। मंदी के चलते विश्व में विज्ञापन पर व्यय 11 प्रतिशत तक गिर गया है एवं आगे यह 18 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। निर्यात एवं आयात पर भी प्रभाव पड़ा है। शेयर बाजर में गिरावट आई है। पर्यटक नहीं होने से न सिर्फ जर्मनी पूरे यूरोप पर इसका विपरीत असर पड़ा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में असर कम : ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना असर बहुत कम है। इसका कारण यहा जनसंख्या घनत्व का कम होना है। प्रत्येक राज्य में संक्रमण का ग्राफ अलग है। उदाहरण के तौर पर बावरिया में अर्थात म्यूनिख और आसपास के शहरों में संक्रमितों की संख्या अधिक है। इसका कारण म्यूनिख में अंतरराष्ट्रीय यात्रियों का आवागमन अधिक होना भी है।
म्यूनिख के पास छोटे शहरों एवं कस्बों में संक्रमितों की संख्या कम होने का कारण वहां पर यात्रियों का कम होना है। यहां सार्वजनिक स्थान साफ सुथरे हैं। सार्वजनिक उद्यान खुले हैं, सरकार ने पार्क एवं समुद्र तट पर जाने पर प्रतिबंध नहीं लगाया है।
राजनीतिक हालात : जर्मनी में प्रत्येक राज्य में अपने स्थानीय निकाय हैं एवं उनके प्रतिनिधि भी हैं। कुछ राज्यों में मौजूदा सरकार के कार्यों का समर्थन हो रहा है, वहीं कुछ में नहीं।
अंत में मैं सभी से यह कहना चाहता हूं कि सरकार एवं डॉक्टरों की सलाह मानें नियमों का पालन करें। सरकार की ओर से लॉकडाउन के नियमों में भी ढील देने के बावजूद अपनी सुरक्षा का ध्यान रखें। गरीब एवं जरूरतमंद लोगों की मदद करें।