क्रिकेट के पितामह : डॉ. डब्ल्यू.जी. ग्रेस (1848-1915)

Webdunia
रविवार, 3 जून 2007 (01:33 IST)
ग्लूस्टरशायर व इंग्लैं ड
दाएं हाथ के बल्लेबाज
दाएं हाथ के लेग ब्रेक गेंदबाज
श्रेष्ठ ऑलराउंड क्षेत्ररक्ष क

डॉ. विलियम गिलबर्ड ग्रेस न कि सिर्फ एक महान क्रिकेट खिलाड़ी थे, बल्कि वह आज तक क्रिकेट के पितृ-पुरुष के रूप में जाने जाते हैं। सीबी फ्राय ने एक बार कहा था कि दुनिया में ऐसा कभी नहीं होगा, जब कोई आधुनिक क्रिकेट में डब्ल्यूजी ग्रेस से आगे होगा क्योंकि आधुनिक क्रिकेट डब्ल्यूजी ग्रेस की ही देन है। या दूसरे शब्दों में यूँ कहें कि ग्रेस ही आधुनिक क्रिकेट के निर्माता हैं।

ग्रेस न केवल एक महान बल्लेबाज थे, बल्कि एक बहुत ही चतुर व विविधताभरे गेंदबाज वे श्रेष्ठ क्षेत्ररक्षक व शानदार दबदबा रखने वाले कप्तान भी थे। टेस्ट क्रिकेट की दुनिया तब शुरू ही हुई थी और इने-गिने टेस्ट मैच खेले जाते थे उस समय ग्रेस ने अपना टेस्ट कॅरियर 32 वर्ष की उम्र में शुरू किया जो कि इंग्लैंड द्वारा खेला गया पहला टेस्ट मैच भी था इसमें उन्होंने 152 रन बनाए थे और जब ग्रेस ने अपना अंतिम टेस्ट खेला तब वह 51 वर्ष के हो चुके थे।

अपने 22 टेस्ट मैच के जीवन काल में ग्रेस ने 32.29 के औसत से कुल 1098 रन बनाए जिसमें उन्होंने दो शतक भी लगाई तथा 26.22 के औसत से कुल 9 विकेट लिए।

प्रथम श्रेणी क्रिकेट के 43 वर्षीय जीवनकाल में ग्रेस ने कुल 54,896 रन बनाए और 39.55 के औसत से 126 शतकें भी लगाईं। माइनर क्रिकेट में भी उनके नाम 91 शतक और हैं। इसी तरह ग्रेस के बारे में उस जमाने के श्रेष्ठ क्रिकेट अंपायर और क्रिकेट समीक्षक बॉब थॉम्स का कहना था कि अगर ग्रेस महानतम बल्लेबाज नहीं होते तो निश्चित रूप से वह एक महान गेंदबाज तो होते ही। पहले उन्होंने राउंड आर्म और फिर ओवर आर्म धीमी और मध्यम-धीमी लेग ब्रेक गेंदबाजी करते हुए 17.52 के औसत से कुल 2876 विकेट भी हासिल किए।

ग्रेस जो कि तकनीकी दृष्टि से बहुत ही ठोस और शानदार स्ट्रोक प्ले के धनी थे, उनकी गेंद को शीघ्रता से समझने की क्षमता अद्भुत थी। अल्फ्रेड शॉ ने एक बार उनके बारे में कहा था कि 'मैं जहाँ भी चाहता उन्हें वहाँ गेंद डालता था और यह बूढ़ा आदमी उसे जहाँ चाहता वहाँ मारने में सक्षम रहता था।' अतः यह कहा जा सकता है कि ग्रेस ने क्रिकेट को एक आकार दिया, स्वरूप दिया और वह आज भी इसके मास्टर हैं।

ग्रेस के नाम कुछ रिकॉर्ड्‌स का लेखाजोखा इस प्रकार है। वह आधुनिक क्रिकेट के इतिहास में सबसे ज्यादा समय तक लगातार प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलने वाले क्रिकेटर रहे हैं। उन्होंने 1865-1908 तक लगातार 43 वर्ष प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेली। वह ऐतिहासिक डबल शतक बनाने वाले भी पहले खिलाड़ी रहे, जिन्होंने शतकों का शतक लगाया। 50,000 रन और ढाई हजार से अधिक विकेट भी लिए। उन्होंने 1874 में 7 बार लगातार 10 विकेट लिए और 12 बार उन्होंने एक ही मैच में शतक भी लगाया और 10 विकेट हासिल किए।

इन तमाम रिकॉर्ड्स और स्टेप के अलावा ग्रेस का व्यक्तित्व भी निराला था। वह बहुत मूडी भी थे, आउट होना उन्हें कभी नहीं भाता था। क्रिकेट को लेकर उनकी हजारों कहानियाँ आज भी किंवदंतियों की तरह फिजाओं में तैर रही हैं, लेकिन फिर भी वह मन से बहुत ही सहिष्णु और दयालु थे, लेकिन उनका महान व्यक्तित्व आज भी क्रिकेट के कई विख्यात्‌ मैदानों और संग्रहालयों में उनकी निराली कहानी कहता है।

इंग्लैंड में एक कंट्री क्रिकेट ग्राउंड के दरवाजे पर आज भी लिखा हुआ है- 'क्रिकेट मैच एडमीशन 3 पेन्स। इफ डब्ल्यूजी ग्रेस प्लेज एडमीशन 6 पेन्स'।

क्रिकेट के मक्का माने जाने वाले लॉर्ड्स के विख्यात्‌ क्रिकेट मैदान पर निर्मित मुख्य दरवाजों पर भी इंकित है कि-'डब्ल्यूजी ग्रेस, द ग्रेट क्रिकेटर'

टेस्ट रिकॉर्ड : टेस्ट 22, पारी 36, नॉट-आउट 2, उच्चतम स्कोर 170, रन 1098, औसत 32.29, शतक 2, अर्द्धशतक 5, कैच 39, गेंदे 666, रन 236, विकेट 9, औसत 26.22, सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी 2/12

प्रथम श्रेणी रिकॉर्ड 1865-1908 : मैच 878, पारी 493, नॉट-आउट 105, उच्चतम स्कोर 344, रन 54896, औसत 39.55, शतक 126, कैच 877, रन 51545, विकेट 2876, औसत 17.92, सर्वश्रेष्ट 10-49, 5 विकेट 246 बार, 10 विकेट 66 बार।

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