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विराट कोहली के World Cup जीतने की राह में हैं कई चुनौतियां

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क्रिकेट के मैदान पर बतौर बल्लेबाज किवदंती बनते जा रहे विराट कोहली के लिए विश्व कप 'ताज में कोहिनूर' की तरह होगा लेकिन अब तक के सबसे चुनौतीपूर्ण इस विश्व कप में उनकी राह में कई चुनौतियां हैं। 
 
इसमें पिछले 12 महीने से खोया सम्मान लौटाने को बेताब ऑस्ट्रेलियाई धुरंधर स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर का जुनून और 44 साल से खिताब नहीं जीत पाने का मलाल मिटाने की इंग्लैंड की तड़प शामिल है। इयोन मोर्गन की कप्तानी वाली इंग्लैंड टीम अब तक की सबसे मजबूत मानी जा रही है और उसके पास कभी विश्व कप नहीं जीत पाने के जख्मों पर मरहम लगाने का यह सबसे सुनहरा मौका है। 
 
अगले साढ़े छह सप्ताह तक 10 देश क्रिकेट के सबसे बड़े महासमर में एक दूसरे के आमने-सामने होंगे। एक दिवसीय क्रिकेट में श्रेष्ठता की जंग का आगाज खिताब के प्रबल दावेदार इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका के मुकाबले से होगा। सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई करने के लिए कम से कम 5 मैच जीतने होंगे और फिलहाल टीमों का लक्ष्य यही होगा। 
 
भारत, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया खिताब के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं जबकि अनुशासित न्यूजीलैंड, उलटफेर करने में माहिर पाकिस्तान और आक्रामक वेस्टइंडीज भी खिताब जीतने का माद्दा रखते हैं।
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भारत : बल्लेबाजों की ऐशगाह पिचों पर गेंदबाजी सफलता की कुंजी होगी। भारत के पास डैथ ओवरों का विशेषज्ञ जसप्रीत बुमराह, कलाई के स्पिनर कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल जैसे उम्दा गेंदबाज हैं।

बल्लेबाजी में कोहली मोर्चे से अगुवाई करेंगे जबकि रोहित शर्मा पारी के सूत्रधार की भूमिका निभा सकते हैं और हार्दिक पंड्या बल्लेबाजी क्रम में आक्रामकता भरेंगे। भारतीय टीम इस विश्व कप को महेंद्र सिंह धोनी के लिए यादगार बनाना चाहेगी जिनका यह चौथा और आखिरी विश्व कप होगा। 
 
ऑस्ट्रेलिया : ऑस्ट्रेलिया के लिए वॉर्नर और स्मिथ की फार्म सफलता की कुंजी साबित हो सकती है। वॉर्नर ने आईपीएल में 692 रन बनाए जबकि स्मिथ ने दोनों अभ्यास मैचों में शानदार प्रदर्शन किया। उस्मान ख्वाजा, कप्तान आरोन फिंच, तेज गेंदबाज पैट कमिंस और मिशेल स्टार्क, स्पिनर नाथन लियोन और एडम जम्पा टीम को मजबूत बनाते हैं  
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इंग्लैंड : विश्व कप के 1975 में आगाज के बाद से इंग्लैंड की टीम इतनी मजबूत कभी नहीं दिखी जितनी इस बार मोर्गन की कप्तानी में लग रही है। उसके पास जोस बटलर, जानी बेयरस्टा, मोर्गन और जो रूट जैसे खतरनाक बल्लेबाज हैं।

गेंदबाजी में जोफ्रा आर्चर, मार्क वुड और आदिल रशीद पर नजरें होंगी। वहीं बेन स्टोक्स और मोईन अली गेंदबाजी, बल्लेबाजी और फील्डिंग तीनों में महारथी हैं। 
 
पाकिस्तान : पाकिस्तान लगातार हार के बाद विश्व कप में उतरा है। मोहम्मद आमिर और वहाब रियाज देर से टीम में शामिल हुए हैं। वैसे फखर जमां, इमाम उल हक, मोहम्मद हफीज, बाबर आजम और हारिस सोहेल प्रतिभाशाली खिलाड़ी है लेकिन अतीत के उदाहरणों को देखें तो इसकी कोई गारंटी नहीं है कि वे एक इकाई के रूप में चल सकेंगे।
 
न्यूजीलैंड : न्यूजीलैंड के पास केन विलियमसन के रूप में परिपक्व कप्तान और शानदार बल्लेबाज हैं। उनके अलावा मार्टिन गुप्टिल और कोलिन मुनरो भी अच्छे बल्लेबाज हैं। ट्रेंट बोल्ट, कोलिन डि ग्रांडहोमे और जिम्मी नीशाम पर गेंदबाजी की जिम्मेदारी रहेगी। 
 
वेस्टइंडीज : वेस्टइंडीज क्रिकेट ने तमाम उतार चढाव झेले हैं लेकिन ‘यूनिवर्सल बॉस’ क्रिस गेल अपने आखिरी विश्व कप में कुछ खास करना चाहेंगे। आंद्रे रसेल ने आईपीएल में अपना हुनर दिखाया है और मैच विनर्स की टीम में कमी नहीं है।
 
दक्षिण अफ्रीका : दक्षिण अफ्रीका का रिकॉर्ड आईसीसी टूर्नामेंटों में अच्छा नहीं रहा है। डेल स्टेन की फिटनेस समस्याओं ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है लेकिन कागिसो रबाडा की रफ्तार और इमरान ताहिर की फिरकी कमाल कर सकती है।
 
अफगानिस्तान : अफगानिस्तान का विश्व क्रिकेट में उभरना परीकथा जैसा रहा है। उसके पास रशीद खान जैसा शानदार स्पिनर, मोहम्मद शहजाद, हजरतुल्लाह जजाइ, हशमतुल्लाह शाहिद और मोहम्मद नबी जैसे अच्छे क्रिकेटर भी हैं।
 
बांग्लादेश : बांग्लादेश की नजरें सेमीफाइनल तक पहुंचने पर लगी होगी। मशरेफ मुर्तजा काफी लोकप्रिय कप्तान हैं, जिनके पास शाकिब अल हसन जैसा हरफनमौला है। तामिम इकबाल, महमूदुल्लाह रियाद और मुशफिकर रहीम का अनुभव टीम को मजबूती देता है।
 
श्रीलंका : श्रीलंका के पास अनुभव के नाम पर सिर्फ लसिथ मलिंगा है। खराब दौर से जूझ रही श्रीलंकाई टीम से अधिक उम्मीदें लगाना बेमानी है।

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