नोटबंदी के 5 सबक, भविष्य के लिए जरूरी

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Webdunia
मंगलवार, 22 नवंबर 2016 (14:27 IST)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए 8 नवंबर 2016 की रात को 500 और 1000 के नोट बंद करने की घोषणा करने के बाद एक ओर जहां लोग अपने पुराने नोटों को जमा कराने के लिए लंबी लाइन में लगे थे। वहीं, नये नोट लेने या बैंक से रुपया निकालने वालों की संख्या उससे कहीं ज्यादा थी। उक्त दोनों से भी बड़ी संख्या में उन लोगों की लाइन थी जो अपने नोट बदलवाना चाहते थे।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उनमें से अधिकतर लोगों के ये खुद के नोट थे ही नहीं। हालांकि सरकार के इस फैसले से निश्चित ही लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। खासकर उन्हें, जो अस्पताल में भर्ती हैं, यात्रा कर रहे हैं या दूसरे शहर या देश में हैं।

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सरकार के इस फैसले का सबसे बड़ा असर काला धन रखने वालों पर पड़ा। इस फैसले से देश का कितना भला होगा यह तो अर्थशास्त्रियों के विश्लेषण का कार्य है, लेकिन लोगों को इससे क्या सबक लेना चाहिये यह जानना भी जरूरी है।

1.जमाखोरी की प्रवृत्ति : अक्सर लोग अपने घरों में बड़े नोट और चिल्लरों को जमा करके रखते हैं। अवैध लेन-देन में कैश का ही सहारा लिया जाता है। यह रुपया लोगों की तिजोरी में पड़ा रहता है। बहुत से लोगों में बैंकों की अपेक्षा घर में आवश्यकता से अधिक रुपया-पैसा या सोना-चांदी जमा करने की प्रवृत्ति होती है।

ऐसे में जिन लोगों के घरों में अनुमान से अधिक रुपया था उनके लिये इसे बैंक में जमा करना मुसिबत मोल लेना ही साबित होगा। हो सकता हो कि यह उनका काला धन हो या कि बरसों से बचायी गई मेहनत की कमाई हो। मेहनत की कमाई भी यदि ढाई लाख से अधिक रखी है तो यह अब समस्या ही बन गई। यह भी हो सकता है कि यह ऐसा धन हो जो टैक्स बचाने के चक्कर में इकट्ठा होता गया हो। ऐसे में यह सबक मिलता है कि आवश्यकता से अधिक घर में नगदी नहीं रखी जानी चाहिए। इसके लिये बैंक या उनके लॉकरों का भी उपयोग किया जा सकता है।
2. गुल्लक का महत्व : अधिकतर घरों में अब गुल्लक रखने की परंपरा नहीं रही। बच्चों के गुल्लक का महत्व संकट काल में ही समझ में आता है। 500 और 1000 ने नोट बंद होने के बाद जिन लोगों ने अपने बच्चों की गुल्लक तोड़कर पैसे निकाले वे इसके महत्व को अच्छे से समझते हैं।

सबक यह कि हमें नोट या सिक्कों की जमाखोरी नहीं करना है लेकिन एक गुल्लक जरूर रखता है जिससे समय समय पर तोड़कर उपयोग करें और फिर नई गुल्लक बना लें। एक तो इससे आपके बच्चों को बचत की आदत पड़ेगी दूसरा घर में चिल्लर से लेकर 10, 20, 50 और 100 के नोट आसानी से मिल जाएंगे। यह नोट रोजमर्रा के सामान खरीदने में काफी मददगार साबित होते हैं।

3. बैंक खाते : ऐसे अभी भी लाखों लोग हैं जिनके बैंक में खाते ही नहीं हैं। गरीबों की छोड़िये, मध्यमवर्ग की कई महिलाओं और पुरुषों के खाते नहीं है। नोटबंदी के बाद ऐसे कई दुकानदार और छोटा-मोटा धंधा करने वाले लोग अब पछता रहे हैं कि काश हमारा खता होता, तो नोट बदलवाने की लाइन में नहीं खड़ा होना होता। कई घरेलू महिलाएं हैं जिनका अभी भी खाता नहीं है। इससे यह सबक मिलता है कि बैंक में खाता जरूर होना चाहिए।
खाता नहीं होगा तो आपके पास रखा पैसा आपके लिए कभी भी मुसिबत बन सकता है। वह चोरी हो सकता है, लुटा जा सकता है या आधी रात को कभी भी कागज के टुकड़ों में बदल सकता है। दूसरी बात यह कि आपको किसी दूसरे शहर में किसी को रुपया भेजना हो तो आपके पास वहां जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं। बैंक खाता नहीं होने के कारण आपको सैंकड़ों दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। न तो आप लोन ले सकते हैं और न ही आप जहां सिर्फ कार्ड ही चलता हो वहां से कुछ खरीद सकते हैं।

4.नगद लेन-देना : देश में अभी भी ऐसे बहुत से पढ़े-लिखे लाखों लोग हैं जो एटीएम या पेटीएम का इस्तेमाल नहीं करते। अधिकतर गांवों में तो यह सुविधा नहीं होने के कारण उनकी दुविधा समझ में आती है। लेकिन शहरों में अभी भी ऐसे लाखों लोग हैं जो एटीएम का इस्तेमाल करना नहीं जानते या करना नहीं चाहते।

बहुत से लोग एटीएम से पैसा निकालते हैं और शॉपिंग मॉल में नगद पैसा देकर सामान खरीदते हैं जबकि एटीएम का उपयोग करके भी सामान खरीदा जा सकता था। ऐसे बहुत से वैध-अवैध व्यापार हैं जहां नगद लेन-देन से ही काम चलता है। डॉक्टर, वकील, कोचिंग क्लास और प्रॉपर्टी ब्रोकर्स को छोड़ भी दो तो मंडी व्यापारी और छो-मोटे दुकानदान नगद लेन-देन ही करते हैं। इस नगद लेन-देने पर कुछ लोग टैक्स भरते हैं, कुछ लोग टैक्स बचाते हैं और कुछ भरते ही नहीं हैं।
 
उपरोक्त सभी से यह सबक मिलता है कि ज्यादा से ज्यादा कैशलेस ट्रांजेक्शन अर्थात अपना लेन-देन ज्यादातर कार्ड से ही करें। आपके क्रेडिट या डेबिट कार्ड को कोई भी रात में ऐसा नहीं बोल सकता कि यह कागज का टुकड़ा है। आपका एटीएम ही अपका डेबिट कार्ड भी है। और कार्ड से पेमेंट करने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि आपको खुल्ले पैसे न होने पर 99 रुपये देने में भी कोई दिक्कत नहीं होगी। आपको 1 रुपया वापस भी मिल जाएगा कोई आपको चॉकलेट नहीं थमाएगा। साथ ही आपने कहां, कब और कितना खर्च किया है सारी जानकारी आपके बैंक स्टेटमेंट से आपको मिल जाएगी, आप एटीएम से मिनी स्टेटमेंट आसानी से निकलवा सकते हैं। इससे दूसरा सबक यह मिलता है कि इनकम का डिक्लेरेशन बहुत जरूरी है। इससे आपको लोन जैसी सुविधा भी आसानी से मिल सकती है। आप इनकम टैक्स की सीमा में आए या न आएं अपना आईटीआर जरूर फाइल करें।

5. व्यवहार का महत्व समझें : आज किराना यहां से लिया और कल दूसरी जगह से। आज दूध यहां से लिया और कल दूसरी जगह से। आपने कभी किसी से अच्छे और विश्वसनीय संबंध नहीं बनाएं हैं तो आपको संकट काल में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।

अपने आस पड़ोस के लोगों से भी कभी आपने बेहतर संबंध नहीं बताये। बस कामपूर्ति तो फिर वे भी आपके संकट काल में कैसे आपका साथ देंगे। कब, किसे और किसकी जरूरत पड़ जाएं यह कहा नहीं जा सकता। इसलिए पड़ोसी, रिश्तेदार, राशन वाले, सब्जी वाले, डॉक्टर आदि से अच्छा व्यवहार बनाकर रखें। पैसा ही सब कुछ नहीं होता और वर्तमान में तो यह साबित भी हो गया है।
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