अरिंदम चौधरी : कितना सच, ‍कितना झूठ

वेबदुनिया डेस्क

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मैनेजमेंट गुरु, फिल्म निर्माता और ख्यात वक्ता अरिंदम चौधरी ने बहुत कम से समय में सफलता की लंबी सी‍ढ़ियां चढ़ी हैं। सफलता के इस दौर में उनके कई बिजनेज़ डिसीज़न को उनके कॉम्पिटिटर्स ने भी सराहा, लेकिन उनकी इस सफलता से परे उनकी आलोचना भी की गई। इस आलोचना में उनके बिज़नेस के तरीकों पर सवाल उठाने के साथ साथ उन पर टैक्स चोरी करने जैसे आरोप भी लगाए गए।

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खुद अरिंदम एक टीवी शो पर अपनी कंपनी के काम करने के तरीकों के बारे में यह कह चुके हैं कि आप मेरे कपड़े पहनने के तरीकों की आलोचना करेंगे तो मैं शायद आपसे कुछ न कहूं, लेकिन अगर आप मेरे बिज़नेस पर सवाल उठाएंगे तो मैं आप पर केस कर दूंगा। अरिंदम की ग्रुप की कंपनियां अपने ऊपर लगे आरोपों के बचाव में कई केस कोर्ट में दर्ज करवा चुकी हैं।

अरिंदम का बिज़नेस मुख्य रूप से चार कंपनियों में है। मैनेजमेंट एजुकेशन, कन्सल्टिंग, ह्यूमन रिसोर्सेस और मीडिया। इनमें से भी सबसे अधिक चर्चित उनकी मैंनेजमेंट एजुकेशन इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ प्लानिंग एंड मैनेजमेंट ( IIPM) है।

इकोनॉमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट के अनुसार 2010-11 में इन कंपनियों ने 533 करोड़ रुपए का राजस्व हासिल किया। इनसे से इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ प्लानिंग एंड मैनेजमेंट ( IIPM) ने अकेले ही 349 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त किया।

इकोनॉमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में यह भी लिखा ‍कि अरिंदम ने एक टीवी शो में खुद माना था कि उन के इंस्टिट्यूट में हर साल 3500 स्ट़डेंट एडमिशन लेते हैं और IIPM के ताज़ा विज्ञापन के अनुसार प्रत्येक स्टूडेंट से 14.75 लाख से 18.75 लाख तक की कोर्स फीस वसूली जाती है और पिछले दो सालों में इस इंस्टिट्यूशन ने 32 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की है। 533 करोड़ की ग्रोथ के बावजूद इस ग्रुप में अपने पिछले इनकम टैक्स में 4 लाख का नेट नुकसान दिखाते हुए 5 करोड़ रुपए से कम का आयकर भरा है। हालांकि इसके लिए भारी लागत और विज्ञापनों पर बड़े खर्च को आधार बनाया गया है। इस बीच इसी ग्रुप की कंपनियों के बीच भारी लेनदेन भी दिखाया गया है।

IIPM ने विज्ञापनों पर किया भारी खर्च : आंकड़ों पर गौर करें तो IIPM ने अपने विज्ञापनों पर खर्च करने के मामले में देश की कई ख्यात कंपनियों को भी पीछे छोड़ दिया। सवाल यह है कि सिर्फ विज्ञापनों पर भारी खर्च दिखाकर उसे कंपनी की ऑपरेटिंग कॉस्ट बताना क्या इनकम टैक्स चुराने की कोशिश नहीं है?

2008-09 में IIPM ने दिखाया कि उसने अपने 202 करोड़ रुपए के रेवेन्यू में से 120 करोड़ विज्ञापन में खर्च किए। विज्ञापन पर इतने बड़े पैमाने पर खर्च तो इंडियन प्रीमीयर लीग के खास स्पॉन्सर डीएलएफ ने भी नहीं किया, जिसे IIPM से कहीं अधिक प्रचार की जरूरत रही। यह एक अहम मुद्दा है, जिस पर अरिंदम और उनके ग्रुप से सवाल पूछे जा सकते हैं।

अरिंदम की कंपनी ने किए झूठे वादे...अगले पन्ने पर।


झूठे दावे : अरिंदम की वेबसाइट पर यह बताया गया है कि यह ख्यात वक्ता, मैनेजमेंट गुरु, अर्थशास्त्री अपने 90 मिनट के लेक्चर के लिए लगभग 55 लाख रुपए चार्ज करता है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट कहती है कि पिछले कई सालों से अरिंदम के मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट IIPM ने यह दावे किए हैं कि विदेशों में उसका कई यूनिवर्सिटीज़ के साथ टाइअप है और वह अपने स्टूडेंट्‍स को वहां जॉब प्लेसमेंट उपलब्ध करवाते हैं। लेकिन जब इन दावों की जांच की गई तो यह बहुत हद तक खोखले पाए गए और यही वजह है कि IIPM ने ऐसी सभी जांचों के खिलाफ कोर्ट केस किये हुए हैं।

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आपस में कई बड़े लेनदेन : इसके अलावा अरिंदम ग्रुप की कंपनियों ने आपस में कई बड़े लेनदेन किए, जिससे टैक्स चोरी का संदेह पैदा होता है। अरिंदम की लाइफ स्टाइल शाही है, उससे किसी को ऐतराज़ नहीं, लेकिन जब अर्थ, टैक्स, झूठे वादो के विवादों में फंसा मैनेजेमंट गुरु स्टूडेंट्‍स या बिज़नेसमैन को अपने लेक्चर देता है तो सुनने वाले उसे सच्चाई की कसौटी और कथनी- करनी जैसे पैमाने पर तौलते हैं। और यही वजह है कि कभी बड़े बड़े मैनेजमेंट कॉनक्लेव में अरिंदम के साथी वक्ता रहे लोग अब उनसे कन्नी काटने लगे हैं।

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