लेकिन आज देश की एक गुड़िया जीवन के भयावह कठिन दौर से गुजर रही है।
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स्थान देश की राजधानी के पूर्वी दिल्ली गांधीनगर का इलाका।
इसी इलाके के एक मकान के तल मंजिले पर स्थित एक कमरे में दो दिनों तक मनोज नामक विकृत व्यक्ति ने मात्र पांच साल की गुड़िया से अत्यंत लज्जाजनक दुष्कर्म किया।
बलात्कार जैसा जघन्य कृत्य करके भी उसकी पापी सोच को आराम ना मिला तो उसने बच्ची के गुप्तांग में मोमबत्ती, कांच की बोतल और अन्य सामग्री डाली। सुनकर ही कलेजा दहल उठता है कि आखिर कैसे कोई मनुष्य इतना पाशविक हो सकता है? लेकिन कच्ची और सुकोमल देह पर गुड़िया ने इस सबको झेला है।
' गुड़िया' का अपहरण 15 अप्रैल 2013 को किया गया। दो दिनों तक गुड़िया को बिना भोजन-पानी के बंधक बनाकर रखा गया, आरोपी मनोज उसी कमरे में रहता था। पीड़ित बच्ची का परिवार भी इसी इमारत में रहता है।
अगले पेज पर : आरोपी कर चुका है पत्नी से बलात्कार
आरोपी मनोज का नाम पहले भी बलात्कार के मामले में आ चुका है। मनोज ने शादी से पहले अपनी पत्नी के साथ बलात्कार किया था। बाद में कानूनी शिकंजे से बचने के लिए और गांववालों के दबाव में उसने शादी कर ली थी।
व्यवस्था का दोष देखिए कि अगर उसे अपने पहले अपराध पर वांछित, कड़ा और तत्काल दंड मिल जाता तो क्या वह इतनी घिनौनी हरकत दोबारा कर पाता??
गंदी मानसिकता के आरोपी मनोज कुमार ने कबूला है कि गुड़िया का उसने कई बार बलात्कार किया और दुष्कर्म के दौरान वह अश्लील फिल्म देख रहा था। मनोज के मोबाइल की जांच के बाद पता चला कि उसमें 12 अश्लील फिल्में थीं।
अगले पेज पर : कैसे हुआ खुलासा
पांच साल की इस मासूम बच्ची को 'दरिंदा' यह समझकर बिहार भाग गया था कि वह मर चुकी है। दिल्ली और बिहार पुलिस की एक टीम ने शुक्रवार को 22 वर्षीय आरोपी मनोज कुमार को बिहार के पटना से 50 किलोमीटर दूर स्थित मुजफ्फरपुर-चिकनौटा में उसके ससुराल भरथुवा गांव से गिरफ्तार किया।
शनिवार को आरोपी मनोज को बिहार से दिल्ली लाया गया। मनोज उत्तर-पूर्वी दिल्ली की एक कपड़ा फैक्ट्री में अनियमित कर्मचारी के रूप में काम करता है।
अगले पेज पर : दो लोगों ने किया बलात्कार
मनोज की गिरफ्तारी के बाद खुलासा हुआ कि पांच साल की इस बच्ची गुड़िया से दो लोगों ने बलात्कार किया था।
एम्स में गुड़िया का इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि यह पहली बार हुआ है जब हमने पांच साल की बच्ची के साथ इस तरह की बर्बरता और नीचता देखी है। गुड़िया की हालत खतरे से बाहर है।
लेकिन क्या सचमुच वह खतरे से बाहर हैं?? अगर उसे हम देश भर की गुड़ियाओं का प्रतीक माने तो क्या कोई अपने कलेजे पर हाथ रख कर दावे से कह सकता है कि देश की छोटी-छोटी गुड़िया अब खतरे से बाहर हैं।