यदि POK को कर लिया भारत में शामिल तो क्या रहेगी चुनौतियां, कैसा होगा कश्मीर का नक्शा

WD Feature Desk
गुरुवार, 5 जून 2025 (14:48 IST)
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि अब पाकिस्तान से बात होगी तो POK और आतंकवाद पर ही बात होगी। पाकिस्तान को जल्द ही पीओके खाली करना होगा। आने वाले समय में भारत किसी भी तरह से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को फिर से अपने में शामिल कर लेगा। यदि सच पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर 78 साल बाद फिर से भारत का हिस्सा बन जाएगा तो भारत के लिए क्या चुनौतियां रहेगी और इसके लिए आगे क्या करना होगा?
 
जियोग्राफी को समझें: 
यह अगर भारत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) को अपने में शामिल कर लेता है, तो यह एक बड़ा भू-राजनीतिक और आंतरिक सुरक्षा का कदम होगा। इसलिए इसका भूगोल भी समझना जरूरी है। जिसे हम पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कहते हैं दरअसल वह पाकिस्तान अधिकृत जम्मू, कश्मीर और लद्दाख है। इसमें से पाकिस्तान ने एक छोटा हिस्सा चायना को मार्च 1963 में गिफ्ट में दिया था, जिसे शक्सगाम घाटी कहा जाता है। चाइना को गिफ्ट देने के बाद पाकिस्तान ने 2009 में बचे हुए पीओके के 2 टुकड़े कर दिए। एक का नाम गिलगित-बाल्टिस्तान (नार्दन एरिया), तो दूसरे का नाम आजाद कश्मीर रखा। 
 
पाकिस्तान ने POJK के मीरपुर, मुजफ्फराबाद सहित 13,297 वर्ग किमी के क्षेत्र को कवर कर रखा है तो दूसरी और उसने POTL के गिलगित और बाल्टिस्तान सहित कुल क्षेत्रफल लगभग 64817 वर्ग किमी पर कब्जा कर रखा है। यानी अनुमानित रूप से कुल 78114 किमी क्षेत्र पर कब्जा कर रखा है। लद्दाख के चीन अधिक्रांत क्षेत्र (COTL) में अक्साई चिन और शक्सगाम घाटी का कुल क्षेत्रफल लगभग 37,555 वर्ग किमी से अधिक बताया जाता है। धारा 370 को हटाने के बाद और लद्दाख को एक अलग राज्य बनाने के बाद ही यह स्थिति स्पष्ट हो पाई है। लद्दाख के कुछ हिस्से पाकिस्तान ने और एक बहुत बड़े हिस्से को चीन ने हड़प रखा है। शक्सगाम घाटी और अक्साई चीन का हिस्सा चीन के पास है।
 
POJK  के सामरिक महत्व के क्षेत्र: हाजी पीर, गिलगित, स्कार्दू, काराकोरम दर्रा, खुनजराब दर्रा, मुजफ्फराबाद, नीलम घाटी, चिलास, मिनीमर्ग, तोलतिंग/शक्सगाम घाटी आदि।
 
1. जम्मू परिचय: जम्मू संभाग में 10 जिले हैं। जम्मू, सांबा, कठुआ, उधमपुर, डोडा, पुंछ, राजौरी, रियासी, रामबन और किश्तवाड़। जम्मू का कुल क्षेत्रफल 36,315 वर्ग किमी है। इसके लगभग 13,297 वर्ग किमी क्षेत्रफल पर पाकिस्तान का कब्जा है। जम्मू के जिस क्षेत्र पर पाकिस्तान का कब्जा है वे हैं मुज़फ़्फ़राबाद, कोटली, मीरपुर, सुधान्ती, रावलकोट, भिम्बर, पुंछ हवेली, बाग, हट्टियां और हवेली आदि।
 
2. कश्मीर परिचय: जम्मू संभाग का क्षेत्रफल पीर पंजाल की पहाड़ी रेंज में खत्म हो जाता है। इस पहाड़ी के दूसरी ओर कश्मीर है। कश्मीर का क्षेत्रफल लगभग 16,000 वर्ग किमी है। इसके भारत में कुल 10 जिले हैं- श्रीनगर, बडगाम, कुलगाम, पुलवामा, अनंतनाग, कुपवाड़ा, बारामूला, शोपियां, गंदरबल, बांडीपुरा। दूसरी ओर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नीलम घाटी आदि है। माना जाता है कि गिलगित और स्कार्दू के कुछ क्षेत्र कश्मीर में आते हैं बाकि लद्दाख में।
 
3. लद्दाख परिचय: लद्दाख एक ऊंचा पठार है जिसका अधिकतर हिस्सा 3,500 मीटर (9,800 फीट) से ऊंचा है। यह हिमालय और काराकोरम पर्वत श्रृंखला और सिन्धु नदी की ऊपरी घाटी में फैला है। करीब 33,554 वर्ग मील में फैले लद्दाख में बसने लायक जगह बेहद कम है। हालांकि इसका करीब 38 हजार वर्ग मील का क्षेत्र चीन ने अपने कब्जा में ले रखा है जिसे अक्साई चीन कहते हैं। भारत के लद्दाख में लेह और कारगिल दो हिस्से हैं जिसमें जंसकार घाटी भी शामिल है। विभाजन के बाद, पाकिस्तान और चीन ने राज्य के क्रमशः 78,114 वर्ग किलोमीटर और 37,555 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया, जबकि राज्य का शेष हिस्सा भारत में है। पाकिस्तान ने इस क्षेत्र का 5180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र भी अवैध रूप से चीन को उपहार में दे दिया जिसे शक्सगाम घाटी कहा जाता है। इसके अलावा गिलगित, बाल्टिस्तान, डायमिर, गीजर और घांचे भी भारत का हिस्सा है।

चुनौतियों को समझें:
सीमाओं के निर्धारण की चुनौतियां: POJK की सीमा अफगानिस्तान और चीन से लगी हुई है। युद्ध की परिस्थिति में दोनों ओर की सेनाओं के कुछ भीतर तक घुसकर बैठ जाने की आशंका जरूर बनी रहेगी। फिर भी यह सुनिश्चित करना होगा कि अन्य देशों के साथ ही भारतीय कश्मीर और लद्दाख की सीमाओं का निर्धारण भी सावधानी से करना होगा और इस संबंध में किसी भी प्रकार की स्थिति को भविष्य पर टाल देना सीमाओं पर तनाव को बरकरार रखकर नए विवाद प्रारंभ कर सकता है।
 
आतंकवादी अभियान और लोगों के पहचान की चुनौती: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में 78 वर्षों से कई पाकिस्तानी डेरा जमाए बैठे हैं। वहां उनके आतंकवादी कैंप के साथ ही उनके कई अवैध कारोबार भी हैं और वहां पर उन्होंने कश्मीरियों की कई जमीन भी हड़प रखी है। इसी के साथ ही कई पाकिस्तानियों ने कश्मीरी महिलाओं से निकाह भी कर रखा है जिसके चलते वहां की डेमोग्राफी पर भी असर पड़ा है। POK में दशकों से पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों की गहरी पैठ है। भारत को वहां आतंकवाद विरोधी अभियानों को और तेज करना पड़ेगा। वहां के कुछ हिस्सों में भारत के प्रति विरोधी भावनाएं भी हो सकती हैं। इससे हिंसा और अलगाववाद जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
 
संसदीय और विधानसभा सीटों का बंटवारा: जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के क्षेत्रफल का निर्धारण करने के बाद जम्मू, कश्मीर और लद्दाख की संसदीय और विधानसभा सीटों का विधिवत रूप से बंटवारा करना होगा और इसको लेकर भी स्थिति को स्पष्ट करना होगा। वर्तमान में POK  की कुल 6 विधानसभा सीटें हैं। ये सीटें संविधान के अनुच्छेद 81 के तहत निर्धारित की गई हैं। हालांकि POK में चुनाव नहीं होते, फिर भी इन सीटों को खाली रखा जाता है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 114 विधानसभा सीटों में से POK के लिए 24 सीटें आरक्षित हैं। परिसीमन के बाद इस स्थिति में बदलाव हो सकता है।
 
राजनीतिक और प्रशासनिक चुनौतियां: भारत को वहां के प्रशासनिक ढांचे को पूरी तरह से बदलना होगा। कानून, न्याय, पुलिस, शिक्षा आदि सभी भारतीय संविधान के अंतर्गत लाना होगा। वहां के नेताओं और समुदायों को भारतीय राजनीतिक प्रणाली में शामिल करने की रणनीति बनानी होगी। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को इस कदम को जायज ठहराने के लिए कूटनीतिक रूप से बहुत सक्रिय रहना पड़ेगा।
 
आर्थिक और विकास संबंधी चुनौतियां: बुनियादी ढांचे का विकास: पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर में सड़क, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं अत्यंत सीमित हैं, जिन्हें भारत सरकार को सुधारना होगा। कई सामरिक महत्व के क्षेत्र तक सेना की पहुंच को आसान बनाना होगा।
 
रोजगार और आर्थिक सशक्तिकरण: स्थानीय लोगों को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए विशेष आर्थिक योजनाएं और रोजगार सृजन की आवश्यकता होगी। स्थानीय लोगों को यह विश्वास दिलाना कि भारत में उनका भविष्य सुरक्षित है, एक चुनौती होगी। सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए संवाद और समावेशन की नीति अपनानी होगी।

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