सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत के बाद बॉलीवुड में ड्रग कनेक्शन सामने आया है। इसके बाद पापारात्सी की भूमिका भी बेहद बढ़ गई है। सेलिब्रटीज का पीछा करना, उनकी निजी जिंदगी में झांकने का काम बढ़ गया है।
मीडिया ट्रायल में इन पापारात्सी द्वारा ली गई तस्वीरों और वीडियों की अहम भूमिका होती है। आइए जानते हैं आखिर कौन होते हैं और क्या करते हैं पापारात्सी या पैपराजी।
पापारात्सी (Paparazzi) उन स्वतन्त्र फोटोग्राफरों को कहते हैं जो खिलाड़ियों, अभिनेताओं, राजनेताओं और इसी तरह की बड़ी शख्सियतों के फोटो लेते हैं। पापारात्सी इन शख्सियतों की पब्लिक और पर्सनल लाइफ की हर तस्वीर कैप्चर करना चाहते हैं। फोटो लेने की उनकी यह कोशिश इस हद तक होती है कि वे उनकी जिंदगी में घुसपैठ तक कर डालते हैं।
सेलिब्रटीज की पब्लिक और निजी जिंदगी में घुसपैठ कर इनकी कोशिश होती हैं कि इस तरह के बड़े सितारों के रेस्तरां की तस्वीरें, जिम लुक, एयरपोर्ट लुक से लेकर उनके बैडरूम तक की तस्वीरें लें ले।
सेलिब्रेटीज अपने घर में, बेडरूम में, बगीचे में क्या करते हैं, क्या पहन रहे हैं, वे कहां पार्टी कर रहे हैं यह सब जानना और पब्लिश करना इनका नशा है।
बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में अख़बारी फ़ोटोग्राफ़रों का यह बिल्कुल नया पेशा सामने आया। पापारात्सी राजनीति, खेल, फ़िल्म या किसी भी क्षेत्र के प्रसिद्ध और हाइप्रोफाइल व्यक्ति का पीछा करते हैं और उनकी रुटीन लाइफ के ऐसे दृश्यों को अपने कैमरे में कैद कर लेते हैं जो बेहद रोचक और सनसनी से भरे होते हैं। जिन्हें आम लोग देखना पसंद करते हैं।
हालांकि पैपराजी फ़ोटोग्राफ़र शो बिज़नेस की दुनिया में खासतौर से बदनाम हैं, क्योंकि उनके जासूसी कैमरों की आंखें कला जगत के सेलिब्रटीज और सितारों की जिंदगी में इस कदर पीछा करती रहती हैं कलाकारों का अकेले रहना और अपनी प्राइवेसी बनाए रखना मुश्किल हो जाता है।
पैपराजी दरअसल, इतालवी भाषा का शब्द है और इसका सही उच्चारण पापारात्सी है। लेकिन समय के साथ अपभ्रंश होते हुए यह पापाराजी या पैपराजी हो गया।
यह शब्द पहली बार 50 के दशक में सुना गया था, जब रोम के कुछ युवा फ़ोटोग्राफ़रों ने मिस्र के शाह फ़ारूक़ की कुछ निजी तस्वीरें ले लीं और प्रकाशित कर दीं। हालांकि, उस समय तक पापारात्सी शब्द चर्चित नहीं हुआ था बल्कि ऐसे लोगों की चर्चा स्ट्रीट फ़ोटोग्राफ़र (Street Photographer) जैसे अपमानजनक नाम से की जाती थी।
पैपराजी के पेशे को उस समय धक्का लगा और इन लोगों की उस समय काफ़ी आलोचना शुरू हो गई, जब प्रिसेंस ऑफ वेल्स डायना की एक दुर्घटना में मौत हो गई। इस कार दुर्घटना के बारे में बाद में कहा गया था कि यह सब पापारात्सियों की वजह से ही हुआ है, क्योंकि ये फ़ोटोग्राफ़र राजकुमारी डायना और उनके प्रेमी की फ़ोटो लेने के लिए शिकारी की तरह उनका पीछा किया करते थे।
ऐसे पॉपुलर हुआ ये शब्द?
मूलरूप से यह एक इतालवी शब्द या नाम है और एक फ़िल्म की वजह से यह प्रसिद्ध हो गया। 1960 में प्रसिद्ध इतालवी निर्देशक कार फ़ेडरिको फ़्लेनी ने उस नौजवान फ़ोटोग्राफ़र के जीवन पर फ़िल्म बनाने का इरादा किया, जिसने सबसे पहले एक रेस्त्रां में शाह फ़ारूक़ की एक ऐसी फ़ोटो ली थी जिस में वह ग़ुस्से में आपे से बाहर नजर आ रहा था। इस दौरान उसने गुस्से में आकर एक मेज़ को उल्टा कर दिया था। फिल्म में इस पात्र का नाम कोरिओलानो पापारात्सो है।
निर्देशक फ़ेडरिको फ़्लेनी से एक बार पूछा गया कि उन्हें अपने पात्र के लिए यह नाम सूझा कैसे तो उन्होंने बताया था कि एक अंग्रेज़ पर्यटक के पुराने सफ़रनामे में एक सराय की चर्चा है, जिस के मालिक का नाम पापारात्सो (Paparazzo) था बस वही नाम मेरे दिमाग़ में आ गया। जब फ़िल्म में फ़ोटोग्राफ़र के पात्र के लिए अभिनेता मारसीलो मास्त्रियानी को लिया गया तो उन्हें भी यह नाम बहुत पसंद आया।
हालांकि तब उन्हें भी पता नहीं था कि बाद में आगे जाकर पैपराजी शब्द इतना बदनाम या प्रसिद्ध हो जाएगा।