Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
Monday, 14 April 2025
webdunia

क्या रूस में येवगेनी प्रिगोझिन का विद्रोह नाटक था?

Advertiesment
हमें फॉलो करें Russia
webdunia

राम यादव

शनिवार, 24 जून को रूस में भाड़े के सैनिकों का सशस्त्र विद्रोह लगभग उतनी ही तेज़ी से समाप्त हो गया, जितनी तेज़ी से वह अकस्मात शुरू हुआ था। विद्रोह का नायक येवगेनी प्रिगोशिन इस समय रूस में नहीं, एक सौदेबाज़ी के आधार पर उसके पश्चिमी पड़ोसी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन के परम मित्र, बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्सांद्र लुकाशेंको की छत्रछाया में कहीं है।
 
प्रिगोशिन ने सरकारी सहमति से 2014 में बनी भाड़े के सैनिकों वाली अपनी सेना का नाम वैगनर आर्मी रखा है। यह नाम उसने सुविख्यात जर्मन संगीतकार, रिशार्द वैगनर के संगीत के प्रति अपने अनन्य प्रेम के कारण चुना था, पर अपने कारनामों से इस नाम को कुख्यात कर दिया है। प्रिगोशिन के भाड़े के सैनिक पिछले वर्ष यूक्रेन पर रूसी सेना के आक्रमण के बाद से यूक्रेनी सैनिकों से लड़ रहे थे। यूक्रेन से पहले वे सीरिया तथा अफ्रीकी देशों माली, लीबिया और मध्य अफ्रीकी गणराज्य की सरकारों के लिए वहां के सरकार-विरोधी विद्रोहियों से लड़ चुके हैं।

अपराधियों की सेना : वैगनर आर्मी को बहुत निर्दय और खूंखार माना जाता है। आरंभ में रूसी सेना के ऐसे सैनिक ही उसमें भर्ती किए जाते थे, जो रिटायर हो चुके हैं, किंतु बाद में राष्ट्रपति पूतिन की सरकार ने ही प्रिगोशिन को उसमें ऐसे अपराधियों को भी भर्ती करने की छूट दे दी, जो जेल में सज़ा काटने के बदले सैनिक बनकर लड़ने-भिड़ने और मरने-मारने के लिए तैयार थे। 
 
उन्हें तोपों-बंदूकों के अलावा टैंकों और युद्धक विमानों तक का प्रशिक्षण दिया जाने लगा। अमेरिकी सैन्य विशेषज्ञों का अनुमान है कि ऐसे क़रीब 40000 अपराधियों को वैगनर सैनिक बनाया गया। पूतिन कहा करते थे कि वैगनर-सेना कोई सरकारी सेना नहीं है। वह सरकार का प्रतिनिधित्व नहीं करती, लेकिन पैसा कमाने के लिए वह दुनियाभर में जो कुछ करती है, उससे रूसी क़ानूनों का कोई उल्लंघन भी नहीं होता।

रक्षामंत्री से चिढ़ थी : पिछले कुछ समय से यह भी देखने में आ रहा था कि रूसी रक्षामंत्री शोइगू को प्रिगोशिन की प्रसिद्धि पसंद नहीं आ रही थी। प्रिगोशिन की बार-बार मांग के बावजूद यूक्रेन से लड़ रहे वैगनर सैनिकों को वे हथियार और साज़-सामान नहीं मिल रहे थे, जो मिलने चाहिए थे। प्रिगोशिन ने रक्षामंत्री शोइगू को कोसना-धिक्कारना और भला-बुरा कहना शुरू कर दिया। 
 
शोइगू ने 10 जून को एक ऐसा आदेश जारी किया, जिसने प्रिगोशिन को आपे से बाहर कर दिया। आदेश यह था कि यूक्रेन में लड़ रही सभी रूसी स्वैच्छिक सैन्य इकाइयों को एक समझौते पर हस्ताक्षर करने होंगे। हस्ताक्षर नहीं करने वाली इकाइयां यूक्रेन में रूस की तरफ़ से नहीं लड़ सकेंगी।

आरोप-प्रत्यारोप : प्रिगोशिन को लगा कि यह उस पर शर्तें थोपने और उसके दबदबे को घटाने की एक चाल है। उसका कहना था कि जो रक्षामंत्री सेना का एक कार्यकुशल ढांचा तक खड़ा नहीं कर सका, उसके अधीन रहकर वह काम नहीं करेगा।

साथ ही यह आरोप भी लगाया कि रूसी सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने वैगनर सैनिकों पर बमबारी की है। इस बमबारी के विरोध में वैगनर सैनिकों ने 24 जून को विद्रोह करते हुए आनन-फ़ानन में ही रूस के एक बड़े शहर 'रोस्तोव ऑन दोन' के कई महत्वपूर्ण सैन्य प्रतिष्ठानों पर क़ब्ज़ा कर लिया और मॉस्को की दिशा में भी कूच करने लगे। 
 
आश्चर्य की बात यह है कि विद्रोहियों को किसी ख़ास प्रतिरोध का सामना नहीं करना पड़ा। सैन्य गतिविधियों में दिलचस्पी लेने वाले रूसी ब्लॉगरों का दावा है कि इस विद्रोह के दौरान 13 से 20 तक रूसी सैनिक मारे गए। ब्लॉगरों के अनुसार, विद्रोहियों ने कई हेलीकॉप्टर और एक जासूसी विमान को मार गिराया, हालांकि सरकारी तौर पर ऐसा कुछ कहा नहीं गया है। प्रिगोशिन ने पहले तो अपने एक वक्तव्य में एक हेलीकॉप्टर मार गिराए जाने का उल्लेख किया, पर बाद में कहा कि विद्रोह रक्तपात से मुक्त था।

मॉस्को से केवल 200 किलोमीटर दूर : बताया जाता है कि प्रिगोशिन के भाड़े के सैनिक जब मॉस्को से कोई 200 किलोमीटर ही दूर रह गए थे, तब प्रिगोशिन ने उन्हें रुक जाने का आदेश दिया। कहा कि वह रूसी सैनिकों के साथ ख़ून-ख़राबा नहीं चाहता।
 
लगभग उसी किसी समय बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्सांद्र लुकाशेंको और प्रिगोशिन के बीच टेलीफ़ोन पर कोई बातचीत हुई थी, जिसमें प्रिगोशिन ने अपना विद्रोह रोक देना मान लिया और लुकाशेंको ने उसे संभवतः बेलारूस आने के लिए कहा। हो सकता है कि रूसी राष्ट्रपति पूतिन ने अपने मित्र लुकाशेंको को बीच-बचाव करने और प्रिगोशिन को समझाने-बुझाने के लिए अपने पास बुलाने का सुझाव दिया हो। इस बीच प्रिगोशिन का कोई अता-पता नहीं चल रहा है कि वह कहां है।
 
टेलीविज़न पर एक संबोधन में राष्ट्रपति पूतिन ने प्रिगोशिन के कारनामे को विश्वासघात बताया, पर यह भी संकेत दिया कि उसे दंडित नहीं किया जाएगा। लगता यही है कि इस समय लगभग 25000 सैनिकों वाली येवगेनी प्रिगोशिन की 'वैगनर सेना' भंग कर दी जाएगी। इन सैनिकों को दंडित या प्रताड़ित करने के बदले उन्हें राष्ट्रीय सेना में भर्ती होने का विकल्प दिया जाएगा।
 
किंतु प्रेक्षकों का मानना है कि अपनी मनमर्ज़ी चलाने के आदी अधिकांश वैगनर सैनिक राष्ट्रीय सेना में भर्ती होना और उसके अनुशासनों से बंधना पसंद नहीं करेंगे। वैगनर सेना की कमांड संरचना विकेंद्रीकृत थी। नियमित सेना के नौकरशाही तरीके की तुलना में युद्ध के मैदान पर तेजी से निर्णय लेने की छूट थी।

रूसी राजधानी की सुरक्षा ख़तरे में थी : प्रिगोशिन की वैगनर सेना का अनन-फ़ानन में मॉस्को से केवल 200 किलोमीटर दूर रह जाना यही दिखाता है कि रूसी राजधानी की सुरक्षा कितने ख़तरे में थी। रूसी सशस्त्र बलों का एक बड़ा हिस्सा यूक्रेन में बंधा हुआ है।
 
देश के भीतरी इलाकों में किसी अप्रत्याशित खतरे का सामना करने के लिए सैनिक उपलब्ध नहीं थे। केवल वायुसेना ही समय पर हस्तक्षेप कर सकती थी, लेकिन इस समय चल रहे यूक्रेनी जवाबी हमले की धार कुंद करने के लिए वायुसेना को भी अपना ध्यान यूक्रेन पर केंद्रित करना पड़ रहा है।
 
कहा जाता है कि प्रिगोशिन के सैनिकों की कूच रोकने के प्रयास में राष्ट्रीय वायुसेना के लगभग एक दर्जन पायलट भी मारे गए। पश्चिमी प्रेक्षक तो यहां तक कहते हैं कि यूक्रेनी पक्ष द्वारा रूसी क्षेत्र पर हाल ही के हमलों ने पूतिन की सेना की अजेयता के मिथक को मिथ्या साबित कर दिया है। भाड़े के सैनिकों के विद्रोह ने रूस के राजनीतिक नेतृत्व और उसकी रक्षा प्रणाली की कमज़ोरी जग जाहिर कर दी है।

रचा-रचाया नाटक : किंतु जर्मन सेना के सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल रोलांड काथर का मत है कि उनके विचार से यह सब एक रचा-रचाया नाटक था। जर्मन दैनिक 'दी वेल्ट' के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, प्रिगोशिन बेलारूस गया है। उसके वैगनर योद्धा भी वहीं जाएंगे और बाद में कभी वे उत्तर से यूक्रेन और किएव पर हमला बोल देंगे।
 
यानी रूस ने दुनिया के सामने अपनी कोई कमज़ोरी नहीं दिखाई है, कमज़ोरी दिखाने का ढोंग रचा है। ब्रिटेन के भी सेवानिवृत्त जनरल रिचर्ड डैनट भी यही मानते हैं कि परिदृश्य बहुत यथार्थवादी है, वैगनर सेना बेलारूस की तरफ से यूक्रेन पर हमला बोलेगी। 
 
रूसी नीतियों के एक जर्मन विश्लेषक स्तेफ़ान माइस्टर ने जर्मन पत्रिका 'फ़ोकस' से 4 ध्यानाकर्षक बातें कहीं :
पहली- वैगनर सैनिकों के 25 जून वाले हमले पर शायद ही किसी ने टीका-टिप्‍पणी की। प्रिगोशिन मॉस्को की तरफ कूच करता है और कोई उसे रोकता नहीं। रूसी सेना भी कुछ नहीं करती।
दूसरी- पूतिन टीवी पर एक भाषण देते हैं, जिसे सुनकर लगता है कि उन्हें मालूम ही नहीं है कि हुआ क्या है। वे वास्तविकता से परे इतिहास और पश्चिमी देशों के बारे में कुछ कहते हैं, जबकि उसी समय युद्ध भी चल रहा होता है।
तीसरी- तब अचानक लुकाशेंको बीच-बचाव करने पहुंच जाते हैं। वे एक ऐसे तानाशाह हैं, जो पूरी तरह रूस पर निर्भर हैं और जिसे कुछ भी कहना-सुनना नहीं है। यह सब तय-तममाम है, मानो बीच-बचाव के लिए कोई कठपुतली चाहिए थी।
चौथी बात- देखते ही देखते समस्या का समाधान भी मिल गया। प्रिगोशिन को यात्रा का एक मुफ्त टिकट मिल जाता है, जबकि सत्ता का एकाधिकार पूतिन के पास है। प्रिगोशिन को कोई सज़ा वगैरह नहीं मिलती। सब कुछ पहले जैसा ही चकाचक है। सच्चाई ज़रूर बहुत उलझनपूर्ण साबित होगी।       
 
दूसरी ओर, स्वयं रूस में वहां के अभिजात वर्ग को राष्ट्रपति पूतिन पर अब भी भरोसा है। किसी ने भी सार्वजनिक रूप से प्रिगोशिन का पक्ष नहीं लिया। जनता का एक बहुत बड़ा भाग भी मत सर्वेक्षणों में यही कहता सुनाई पड़ता है कि पूतिन हैं, तो सब कुछ ठीक हो जाएगा।

प्रिगोशिन को पूतिन का ध्यान खींचना था : रूसी मामलों के विशेषज्ञ स्तेफ़ान माइस्टर नहीं मानते कि पूतिन और प्रिगोशिन के बीच कोई मिलीभगत है। उनका मानना है कि प्रिगोशिन का पूतिन से कोई सीधा संपर्क नहीं है। माइस्टर का समझना है कि प्रिगोशिन ने विद्रोह का ऩाटक इसलिए रचा, ताकि पूतिन के साथ बातचीत हो सके।
 
पूतिन प्रिगोशिन को शह नहीं दे रहे थे। प्रिगोशिन को गोला-बारूद नहीं मिल रहे थे। उसके सैनिक घटते जा रहे थे। प्रिगोशिन का खुद भी किसी भी समय अंत हो सकता था। विद्रोह का नाटक ही पूतिन का ध्यान ख़ींचने और वह सब पाने का एकमात्र संगत उपाय दिख रहा था, जिसकी येवगेनी प्रिगोशिन को लंबे समय से ज़रूरत थी।
 
प्रिगोशिन के कथित विद्रोह के एक ही दिन बाद यूक्रेन ने कुछ आंकड़े प्रकाशित किए हैं। इन आंकड़ों के अनुसार, विद्रोह वाले दिन रूसी सेना के 720 सैनिक मारे गए या घायल हुए। फ़रवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से 25 जून 2023 तक रूस अपने कुल 2,24,630 सैनिक खो चुका था, ऐसा यूक्रेन का दावा है। 
 
दावा यह भी है कि रूस के अब तक 4030 टैंक, 7806 बख्तरबंद वाहन, 624 एकसाथ कई रॉकेट दागने वाली प्रणालियां, 385 विमान मार गिराने वाली प्रणालियां, 304 विमान, 308 हेलीकॉप्टर, 3472 ड्रोन, 1259 क्रूज़ मिसाइल, 18 युद्धपोत और नौकाएं तथा 6735 अन्य वाहन एवं ईंधन टैंक भी इस दौरान नष्ट किए जा चुके हैं।
 
हो सकता है कि ये आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर दिए गए हों। तब भी इन आंकड़ों से यह आभास तो मिल ही जाता है कि इस अनावश्यक युद्ध में यूक्रेन ही नहीं, रूस को भी जानमाल की कितनी भारी क्षति उठानी पड़ रही है। रूस अकेला है, जबकि पूरा पश्चिमी जगत यूक्रेन के साथ है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

निर्मला सीतारमण ने ओबामा को घेरते हुए मुस्लिम देशों का दिया हवाला