कारगिल युद्ध के महानायक परमवीर चक्र विजेता बलिदानी कै. विक्रम बतरा की बहादुरी पर बनाई गई फिल्म शेरशाह आज गुरुवार को बड़े पर्दे पर रिलीज होने जा रही है। वैसे 26 जुलाई को 'कारगिल विजय दिवस' मनाया जाता है। हालांकि 12 अगस्त को रिलीज होने जा रही फिल्म स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बलिदानियों के लिए श्रद्धांजलि होगी। आओ जानते हैं कारगिल युद्ध की दास्तान।
1. कारगिल के समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। वाजपेयजी पाकिस्तान से दोस्ती का हाथ बढ़ाने के लिए पहुंच गए लाहौर। दोस्ती की पहल करते हुए फरवरी 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा लाहौर यात्रा करने के बाद उसी वर्ष मई के महीने में पाकिस्तानी बलों ने नियंत्रण रेखा को पार कर भारत के क्षेत्र में घुसपैठ करके एक बहुत बड़े भू भाग पर कब्जा कर लिया। कारगिल क्षेत्र में नियंत्रण रेखा के जरिये घुसपैठ करने की साजिश के पीछे तत्कालीन पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख परवेज मुशर्रफ को जिम्मेदार माना जाता है।
2. भारत के साथ चले आ रहे छद्म युद्ध के द्वारा मुशर्रफ ने कश्मीर को क्रमश: कब्जाने के प्रयास के तहत छद्म युद्ध के बजाय एक कदम और जागे बढ़ाया और पाकिस्तान की सेना की नार्दन लाइट इन्फैंट्री के नियमित सैनिक मुजाहिदीनों के भेष में घुसपैठ के माध्यम से लाइन ऑफ कंट्रोल को पार कराकर कारगिल और द्रास सेक्टर ऊंची ऊंची चोटियों पर बैठा दिया और साथ ही सभी तरह के हथियार और साजोसामान को देकर रसद मुहैया कराने की एक लाइन भी बना डाली। इसमें आईएसआई और आतंकियों ने भरपूर मदद की। उनका मकसद था लेह-सियाचिन की आपूर्ति को बाधित करना और यूएन में एक बार फिर कश्मीर के मुद्दे को उठाकर इस संपूर्ण क्षेत्र को कब्जाना। इस कृत्य से जेहादियों में भी उत्साह जागृत हो गया।
3. कारगिल युद्ध को पाकिस्तान के चार जनरलों ने मिल कर अंजाम दिया था। इन चार जनरलों में तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ, मेजर जनरल जावेद हसन, जनरल अजीज खान और जनरल महमूद अहमद शामिल थे।
4. भारत को इस घुसपैठ का पता तब लगा जब गरकोन घाटी में अपने मवेशियों को ढूंढ़ने गए ताशी नामयाल और त्रेशिंग मोरप ने कुछ हथियारबंद लोगो को पहाड़ी की ओर जाते और संगर बनाते देखा।
5. तात्कालिन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को इसकी सूचना दी गई और उन्होंने तुरंत ही नवाज शरीफ से इस संबंध में बात की परंतु वहां से कोई संतुष्टी वाला उत्तर नहीं मिला तो सेना को आदेश दिया गया कि घुसपैठियों को खदेड़ दिया जाए।
6. स्थानीय चरवाहों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर भारतीय सेना ने घुसपैठ वाले सभी स्थानों का पता लगाया और फिर 6 मई 1999 के दौरान ऑपरेशन विजय की शुरुआत की गई। माना जाता है कि भारत ने इस ऑपरेशन विजय का जिम्मा प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से करीब दो लाख सैनिकों को सौंपा था। जंग के मुख्य क्षेत्र कारगिल-द्रास सेक्टर में करीब तीस हजार सैनिक मौजूद थे।
7. कारगिल युद्ध के पहले 3 चरण रहे। पहला, पाकिस्तानी घुसपैठियों ने श्रीनगर को लेह से जोड़ते राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक एक पर नियंत्रण स्थापित करने के मकसद से अहम सामरिक स्थानों पर कब्जा कर लिया। दूसरा, भारत ने घुसपैठ का पता लगाया और अपने बलों को तुरंत जवाबी हमले के लिए लामबंद करना शुरू किया तथा तीसरा, भारत और पाकिस्तान के बलों के बीच भीषण संघर्ष हुआ और पड़ोसी देश की हार हुई।
8. बहरहाल, कई दिनों के संघर्ष के बाद जुलाई 1999 में भारतीय थलसेना ने ऑपरेशन विजय के तहत वायुसेना की मदद से घुसपैठियों को खदेड़ दिया और 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस घोषित कर दिया गया।
9. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस युद्ध में हमारे लगभग 527 से अधिक वीर योद्धा शहीद व 1300 से ज्यादा घायल हो गए जबकि पाकिस्तान के 357-453 सैनिक मारे गए थे।
10. युद्ध की समाप्ति के बाद पाकिस्तान में तख्ता पलट हो गया और परवेश मुशर्रफ वहां के प्रमुख हो गए। मुशर्रफ ये दाव करते रहे कि कारगिल में पाकिस्तानी सैनिक नहीं कश्मीर के लोग ही स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे थे। हालांकि उनका यह दावा झूठा साबित हुआ। युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों को बाद में पाकिस्तान ने सम्मानित किया। बाद में परवेज मुशर्रफ को घुटने के बल भारत आकर अटल बिहारी वाजपेयी से मिलना पड़ा।