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जीत या आस्था: किसने छलकाए विराट के आंसू?

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हमें फॉलो करें विराट कोहली का करियर किसने बचाया

WD Feature Desk

, बुधवार, 4 जून 2025 (13:43 IST)
why virat got emotional in ipl: विराट कोहली की 18 नंबर की जर्सी और उनकी टीम रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB)  का पहला आईपीएल खिताब बस एक ओवर दूर था। जब जोश हेजलवुड ने 20वें ओवर में जीत सुनिश्चित की, तो घड़ी में रात के 11 बजकर 25 मिनट हो रहे थे। आखिरकार 18 नंबर की जर्सी का 18 सालों का लम्बा इंतजार खत्म हुआ। विराट की आंखें भर आईं, पलकें भीग गईं और आंसू की नदियां आंखों के समन्दर से बह कर गालों पर फैल गईं। विराट ने आंखें मूंद ली और हथेलियों में अपना चेहरा छिपा लिया। ये सच में एक भावुक कर देने वाला पल था। पिछले 18 साल की नाकामियां और निराशा इस एक पल में विराट के आसुओं से धुल गईं। वो इकलौता खिताब जो जिससे यह विराटतम क्रिकेटर महरूम था, अंततः उसके दामन में था। लेकिन ये कहानी इस मुकाम पर खत्म नहीं होती। विराट के आंसू एक सवाल छोड़ जाते हैं। सवाल ये है कि आखिर क्यों छलके विराट के आंसू? विराट के आंसुओं के पीछे जीत की खुशी है या आस्था का सैलाब! 

विराट के आंसू : जीत की खुशी के या आस्था का सैलाब?
निस्संदेह, यह एक बड़ी जीत थी। आईपीएल में अपनी टीम को पहली बार चैंपियन बनाना किसी भी खिलाड़ी के लिए एक सपने के सच होने जैसा होता है। विराट कोहली ने RCB को इतने सालों तक लीड किया, कई बार करीब आकर भी चूक गए। ऐसे में इस जीत से मिली खुशी स्वाभाविक है। यह खुशी उनके संघर्ष, उनकी मेहनत और उनके अटूट समर्पण का परिणाम थी। उनके आंसुओं में उस लंबे इंतजार का अंत और एक बड़ी उपलब्धि हासिल करने का संतोष साफ झलक रहा था।

हालांकि, कई लोगों का मानना है कि इन आंसुओं में सिर्फ जीत की खुशी नहीं, बल्कि कुछ और भी छिपा था - गहरी आस्था और विश्वास। पिछले कुछ सालों में विराट कोहली को अक्सर मंदिरों और धार्मिक स्थलों और आश्रमों में जाते देखे गए। अनुष्का शर्मा के साथ वे अक्सर उत्तराखंड के मंदिरों या वृंदावन के आश्रमों में जाते रहे हैं। अपने रिटायमेंट के बाद वे विशेषरूप से वृन्दावन में प्रेमानंद महाराज के पास उनका आशीर्वाद लेने भी गए थे। वे पहले भी यहां जाते रहे हैं। क्या यह उनके भीतर बढ़ती आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक है?
क्या यह संभव है कि इतने सालों के अथक प्रयास के बाद, जब सब कुछ अनिश्चित लग रहा था, विराट ने अपनी आस्था और विश्वास को मजबूत किया हो? क्या उन्होंने किसी अलौकिक शक्ति पर भरोसा किया हो, जिसने अंततः उन्हें यह सफलता दिलाई? कई बार जब इंसान अपनी पूरी कोशिश कर लेता है और परिणाम उसकी उम्मीदों से परे होते हैं, तो वह नियति या ईश्वरीय शक्ति पर विश्वास करने लगता है।

खेल भी है साधना
यह भी ध्यान देने योग्य है कि भारतीय संस्कृति में, खिलाड़ियों के लिए खेल सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि एक साधना होती है। वे अक्सर अपनी जीत के पीछे ईश्वरीय कृपा का हाथ देखते हैं। विराट के लिए, यह जीत उनके व्यक्तिगत संघर्ष और उनकी टीम के सामूहिक प्रयास का फल थी, लेकिन शायद उन्होंने इसे एक आध्यात्मिक यात्रा के रूप में भी देखा हो, जहाँ धैर्य और दृढ़ता के साथ-साथ आस्था ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

एक भावुक क्षण, कई व्याख्याएं
अंततः, विराट के आंसू एक भावुक क्षण के प्रतिबिंब थे, जिनकी कई व्याख्याएं हो सकती हैं। यह जीत की अपार खुशी भी हो सकती है, और यह वर्षों की आस्था और प्रार्थनाओं का फल भी हो सकता है। शायद यह दोनों का मिला-जुला रूप था। उनकी आँखों से छलके वो आंसू सिर्फ क्रिकेट के मैदान पर एक जीत का प्रतीक नहीं थे, बल्कि एक गहरे मानवीय अनुभव को दर्शाते थे – संघर्ष, धैर्य, उम्मीद और अंततः सफलता का। निश्चित ही विराट के ये आंसू अनमोल हैं। 

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