जलवायु परिवर्तन, खनन और शहरीकरण के कारण भारत के ऐसे कई शहर हैं जिनका भविष्य में अस्तित्व खत्म हो जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है। हालांकि इस संबंध में जारी रिपोर्ट पुरानी है लेकिन फिलहाल यह वायरल हो रही है। बताया जा रहा है कि भारत के समुद्र तटीय शहरों का अस्तित्व खतरे में हैं। भारत के कम से कम 10 ऐसे शहर हैं जिनका अस्तित्व खतरे में हैं।
5 कारणों से भारत के ये शहर समुद्र में समा जाएंगे कारण है:-
1. ग्लोबल वार्मिंग: इसके चलते जितने भी बड़े बड़े आइसलैंड हैं वे पिघल रहे हैं जिसके चलते समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है।
2. शहरीकरण: इस शहरों में तेजी से बड़ी बड़ी इमारतें, रेलवे ट्रैक, मेट्रो, असंख्य पुल आदि सभी बढ़ रहा है।
3. रेत खनन: समुद्र की रेत का बेहताशा खनन हो रहा है जिसके चलते तटों पर कटाव बढ़ गया है।
4. जनसंख्या का दबाव: इन शहरों में जनसंख्या का बढ़ते जाना भी एक बड़ी समस्या है।
5. बोरिंग: लाखों बोरिंग के चलते जल स्तर नीचे 500 फीट से नीचे तक चला गया है। भूमि को टिकाए रखने में जल की भूमिका घटते जाना।
उपरोक्त सभी कारणों के चलते: 1.मुंबई, 2.विशाखापट्टनम, 3.पणजी, 4.तिरुवनंतपुरम, 5.बेंगलुरु, 6.कोच्ची, 7.कोलकाता, 8.पुरी, 9.द्वारका, 10.चेन्नई। मोटे तौर पर देंखे तो पश्चिम बंगाल, ओड़िसा, तमिलनाडु, केरला, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात के कई तटवर्तीय क्षेत्र समुद्र में डूब जाएंगे।
इसके अलावा एनटीयू और बीबीसी की स्टडी के अनुसार अहमदाबाद, सूरत, दिल्ली, अमरावती सहित देश के कुछ और शहरों की भूमि धंसती जा रही है। प्रदूषण, धरती के भीतर के जल स्तर का घटना, शहरीकरण के कारण तेजी से पहाड़ों का खनन और वृक्षों का कटना, नदियों का सूखना ऐसी कई बड़ी चुनौतियां हैं जो इन शहरों को निगल रही है। कुछ शहरों पर जनसंख्या का दवाब इस कदर बढ़ता जा रहा है कि वहां के संसाधनों का दोहन भी तेजी से बढ़ा है। ऐसे में जलवायु परिवर्तन से निपटने, शहरीकरण की चुनौतियों का समाधान करने और शहरों को अधिक टिकाऊ और लचीला बनाने के उपाय ढूढ़ें जाने की जरूरत है।