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बहला-फुसलाकर और लालच देकर धर्म परिवर्तन कराने पर क्या है सजा? जानें कानून और BNS का प्रावधान

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WD Feature Desk

, गुरुवार, 17 जुलाई 2025 (17:53 IST)
conversion law in india: भारत में धर्म परिवर्तन एक संवेदनशील मुद्दा रहा है, खासकर जब इसमें बहलाने-फुसलाने, धोखाधड़ी या जबरदस्ती का आरोप लगता है। हाल ही में 'छांगुर बाबा' जैसे मामलों में आए दिन हो रहे नए खुलासे ने इस विषय को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। यह जानना महत्वपूर्ण है कि बहला-फुसलाकर किसी का धर्म परिवर्तन कराने पर भारतीय कानून के तहत क्या सजा मिलती है और भारतीय न्याय संहिता (BNS) में इसके क्या प्रावधान हैं।

'छांगुर बाबा' केस और धर्मांतरण के आरोप
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से सामने आए 'छांगुर बाबा' उर्फ जमालुद्दीन के मामले ने धर्मांतरण रैकेट के भयावह पहलुओं को उजागर किया है। पर आरोप है कि उसने एक बड़ा धर्मांतरण गैंग चलाया, जिसमें 5000 से अधिक लड़कियों का धर्म परिवर्तन कराया गया। जांच में विदेशी फंडिंग, आर्थिक लालच और विदेशों में नौकरी का सपना दिखाकर लोगों को धर्मांतरण के लिए प्रेरित करने के खुलासे हुए हैं। इस मामले में कई गिरफ्तारियां हुई हैं और जांच एजेंसियां सक्रिय हैं। यह केस दर्शाता है कि कैसे प्रलोभन और धोखे के माध्यम से धर्मांतरण की कोशिशें की जा रही हैं।

बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन कराने पर सजा: राज्य-स्तरीय कानून
भारत के संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 25 के तहत दिया गया है, जो किसी भी व्यक्ति को अपनी इच्छा से धर्म मानने, उसका पालन करने और प्रचार करने की आजादी देता है। हालांकि, इसमें जबरन या धोखाधड़ी से धर्मांतरण शामिल नहीं है। राष्ट्रीय स्तर पर जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कोई केंद्रीय कानून नहीं है, लेकिन कई राज्यों ने अपने-अपने 'धर्म स्वतंत्रता अधिनियम' (Anti-Conversion Laws) बनाए हैं ताकि ऐसे कृत्यों पर रोक लगाई जा सके।

इन कानूनों में बहला-फुसलाकर, धोखाधड़ी से, बलपूर्वक या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराने पर सजा का प्रावधान है। कुछ प्रमुख राज्यों के कानून और सजा इस प्रकार हैं:
1. उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2024 (जो 2021 के कानून का संशोधित रूप है) देश के सबसे सख्त कानूनों में से एक है।
  • बहला-फुसलाकर या धोखे से धर्म परिवर्तन कराने पर: 3 से 10 साल तक की जेल और ₹25,000 का जुर्माना।
  • नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति का धर्म परिवर्तन कराने पर: 5 से 14 साल तक की सख्त सजा और ₹1 लाख का जुर्माना।
  • सामूहिक अवैध धर्मांतरण कराने पर: 7 से 14 साल तक की जेल और अधिकतम ₹1 लाख का जुर्माना।
  • विदेशी फंडिंग से धर्मांतरण पर: 14 वर्ष तक का कारावास।
2. मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2021 के तहत धोखाधड़ी या बहला-फुसलाकर धर्मांतरण कराने पर अधिकतम 10 साल की कैद और ₹1 लाख तक का जुर्माना है। हाल ही में, मुख्यमंत्री ने ऐसे मामलों में फांसी की सजा का प्रावधान करने की भी बात कही है, जिससे यह और भी सख्त हो जाएगा।
3. हरियाणा: 'हरियाणा धर्म परिवर्तन गैर-कानून रोकथाम 2022' के तहत लालच देकर, डरा-धमकाकर, धोखाधड़ी से या झूठ बोलकर धर्मांतरण करवाने पर 10 साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है, साथ ही पीड़ित को भरण-पोषण भी देना होगा।
4. ओडिशा: ओडिशा धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम, 1967 देश का सबसे पुराना धर्मांतरण विरोधी कानून है। इसमें जबरन धर्मांतरण कराने पर एक साल तक की जेल और ₹5,000 तक का जुर्माना है। यदि पीड़ित नाबालिग है, तो सजा बढ़ जाती है।

BNS (भारतीय न्याय संहिता) की किस धारा में होती है कार्रवाई?
भारतीय न्याय संहिता (BNS), जो भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह ले रही है, में सीधे तौर पर 'धर्मांतरण' शब्द का उल्लेख कर सजा का प्रावधान नहीं है, जैसा कि राज्य-स्तरीय कानूनों में है। हालांकि, BNS के अध्याय XVI में धर्म से संबंधित अपराधों के प्रावधान हैं।
BNS की धारा 298: यह जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के उद्देश्य से किए गए कृत्यों से संबंधित है, जिसमें शब्द, संकेत या दृश्य प्रतिनिधित्व शामिल हो सकते हैं।
BNS की धारा 302: यह धार्मिक सभा में व्यवधान उत्पन्न करने से संबंधित है।
ये धाराएं सीधे तौर पर 'बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन' को परिभाषित नहीं करती हैं, लेकिन धोखाधड़ी, आपराधिक धमकी या अन्य संबंधित अपराधों के लिए BNS की अन्य धाराओं का उपयोग किया जा सकता है, जो धर्मांतरण के मामलों में भी लागू हो सकती हैं। हालांकि, 'बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन' के विशिष्ट अपराध और उसकी सजा के लिए मुख्य रूप से संबंधित राज्य के धर्मांतरण विरोधी कानूनों का ही सहारा लिया जाता है।

भारत में राष्ट्रीय स्तर पर एक व्यापक कानून का अभाव है, लेकिन कई राज्यों ने इस पर लगाम लगाने के लिए कड़े कानून बनाए हैं, जिनमें लंबी जेल की सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान है। इन कानूनों का उद्देश्य व्यक्तिगत धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करना और किसी भी प्रकार के अनुचित धर्मांतरण को रोकना है, ताकि देश की धार्मिक विविधता और सद्भाव बना रहे।
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